बड़ी बहन और भानजी की साथ में चुदाई- 1

रियल फॅमिली सेक्स कहानी मेरे ताऊ की शादीशुदा बेटी के साथ सेक्स की है. वो मुझसे 14 साल बड़ी है. लॉकडाउन में मैं उनके घर में फंस गया था. वहां क्या हुआ?

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम अजय है. मैं उदयपुर का रहने वाला हूं. मैंने 26 साल का हूँ.

मैं अन्तर्वासना पर प्रकाशित हर सेक्स कहानी को बड़े चाव से पढ़ता हूं. मुझे गरम सेक्स कहानियां पढ़ना और चुदाई करना बहुत पसंद है.

चुदाई में मुझे ज्यादातर 30 से 50 साल तक की औरत को चोदना और चुदाई करते समय उसके साथ गाली देकर बातें करना बहुत पसंद है.
कम उम्र की लौंडियां चोदना भी पसंद है मगर उनके नखरे ज्यादा होते हैं.

दिखने में मैं थोड़ा मोटा हूं लेकिन दिखता अच्छा हूं.
मैं बातें बहुत मस्त करता हूं तो ज्यादातर भाभियां और मेरी रिश्तेदारी में आने वाली औरतें मुझे बहुत पसन्द करती हैं.

मेरे घर में पापा मम्मी और मेरी एक बहन है.
मेरी बहन मेरे ताऊ की बेटी है. मेरे ताऊ ताई की मृत्यु एक हादसे में हो गयी थी, तब से उनकी बेटी हमारे साथ ही रही.
पापा टीचर हैं और मम्मी गृहणी हैं.

मेरी बहन मुझसे काफी बड़ी हैं, उनकी शादी 18 साल की आयु में चित्तौड़ में एक अच्छे घर में हो गई थी.

दीदी की एक बेटी है वो 19 साल की हो गई है. उसका नाम नीरजा है.
नीरजा घर में रह कर ही पढ़ाई करती है.
दीदी का एक बेटा विजय भी है, वो अभी बाहर पढ़ रहा है.

ये रियल फॅमिली सेक्स कहानी सन 2020 में मार्च में होली के बाद की है. तब मुझे मालूम हुआ कि दीदी की थोड़ी तबियत खराब है तो मैं उनसे मिलने उनके घर गया था.

मैं उनके शहर आ गया और घर पहुंच कर मैंने दरवाजे की बेल बजाई.

एक मिनट बाद नीरजा ने दरवाजा खोला.
नीरजा मुझे देख कर बहुत खुश हुई और मैं भी … क्योंकि मैं बहुत दिनों बाद गया था.

नीरजा अब जवान हो चुकी थी. उसके दूध भी बड़े हो चुके थे.

मैंने नीरजा के तने हुए मम्मे देखते हुए उससे पूछा- दीदी कहां हैं?
उसने मेरी नजरों को भांपते हुए कहा- मम्मी, ऊपर कमरे में आराम कर रही हैं.

मैं दीदी के पास आ गया.

दीदी मुझे देख कर बेड से उठीं और उन्होंने मुझे गले से लगा लिया.
मुझे दीदी के मम्मे अपनी छाती में बहुत बड़े महसूस हुए.

फिर मैंने दीदी से उनके हालचाल पूछे, तो दीदी ने कहा- अब काफी ठीक हूं.

दीदी थोड़ी मोटी हो गई थीं.
उनकी फिगर की 38-30-36 की थी.

मैं दीदी के घर 2-3 दिन रुकने वाला था.
तो दीदी ने नीरजा से कहा- बेटा जा मामा को उनका कमरा दिखा दे.

नीरजा ने ‘ओके मम्मी …’ कहा और मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा दी- चलिए मामा जी!
मैं नीरजा के साथ गेस्टरूम में आ गया.

मैंने नीरजा से पूछा- जीजू कहां हैं?
तो उसने बताया कि पापा को अपने किसी काम से मुंबई जाना था. वो वहीं विजय से मिलने भी जाएंगे.

मैंने कहा- क्यों विजय मुंबई में क्या कर रहा है?
नीरजा- विजय मुंबई में पढ़ता है मामा.

मैंने कहा- अरे वाह … वो कब चला गया?
नीरजा- वो अभी एक महीने पहले ही तो गया है. पापा उसका कुछ बंदोबस्त करके 2-3 दिन में आ जाएंगे.

मैंने कहा- ठीक है.
फिर नीरजा ने कहा- आप फ्रेश हो लो, मैं आपके लिए कुछ नाश्ता बनाती हूं.

नीरजा चली गई और मैं नहाने चला गया.

मुझे नहाने में थोड़ी देर लगती है, तो थोड़ा ज्यादा टाइम लग रहा था.

इस वजह से नीरजा मेरे रूम में मुझे बुलाने आ गई.
उसी समय मैं सिर्फ तौलिया लपेट कर बाथरूम से बाहर निकला था.

नीरजा ने मेरे सीने को देखते हुए कहा- मामा बहुत देर लगाई नहाने में!
मैंने कहा- हां, मैं आराम से ही नहाता हूं.

नीरजा वहीं बैठ गई और मैं शीशे के सामने बालों को बनाने लगा.

नीरजा मेरे पीछे बेड पर बैठी थी.

तभी मैंने देखा कि नीरजा मुझे पीछे से घूर रही है और अपने मम्मों को कभी कभी हल्का दबा रही है.
ये देख कर मैं चौंक गया.

नीरजा को पता नहीं चला कि मामा को शीशे में सब दिख रहा है.

उसके मम्मों को दबाते हुए देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया और तौलिए में तम्बू बन गया.

मैंने खुद को थोड़ा संभाला और नीरजा से कहा- तुम चलो, मैं आता हूं.

वो बाहर गई तो मैंने भी थोड़ा कंट्रोल किया और कपड़े पहन कर नाश्ते के लिए आ गया.

दीदी भी आ गयी थीं.
हम तीनों ने नाश्ता किया.
दीदी और मैं उनके बेटे विजय को लेकर बातें कर रहे थे.

उस वक्त मेरी दीदी ने हरे रंग की साड़ी, ब्लाउज पहना था.

दीदी के आधे से ज्यादा बड़े बड़े दूध ब्लाउज के बाहर से ही झलक रहे थे.
उन्हें देख कर मेरा लंड पैंट में झटके लेने लगा.
ये दीदी ने देख लिया और नीरजा ने भी देख लिया.

नीरजा हल्की सी मुस्कुरा रही थी और मैं शर्म से पानी हो रहा था.
दीदी भी बार बार मेरे लंड की तरफ ही देख रही थीं.
मुझे ऐसा लगा कि शायद दोनों ही लंड की भूखी हैं.

मैंने जल्दी से नाश्ता खत्म किया और आराम करने कमरे में चला गया.
मेरा लंड अभी भी खड़ा था.

मैं सीधा बाथरूम में गया और लंड को बाहर निकाल कर मुठ मारने लगा.
मैंने लंड को शांत किया और आकर सो गया.

शाम को 5 बजे तक उठा, फिर उठ कर चाय पी.
नीरजा अभी भी मुझे ही देख रही थी.
पता नहीं उसके मन में क्या चल रहा था.

फिर मैं बाहर घूमने आ गया और एक गार्डन में बैठ कर सिगरेट पीने लगा.

शाम को 8 बजे तक मैं घर से बाहर रहा और गार्डन में बैठा रहा.
मैं यही सोच रहा था कि चक्कर क्या है, दोनों ऐसे क्यों कर रही हैं.

अब मेरा मन भी उनकी चुदाई करने का बन गया था.
मैंने अब सोच लिया था कि दोनों में से किसी को तो कुछ जुगाड़ करके चोदूंगा.
जब दोनों तैयार ही हैं तो क्या दिक्कत है. लंड और चूत तो चुदाई के लिए ही बने हैं.

मैं घर आ गया.
हम तीनों ने खाना खाया.

फिर मैं और नीरजा टीवी देखने लगे. दीदी ने घर का सारा काम निपटाया और वो भी टीवी देखने आ गई.

टीवी पर कोरोना की खबरें आ रही थीं तो मैं बोर हो गया और मैंने एक मूवी लगा दी.
दीदी मेरे एक बगल में बैठी थीं और नीरजा दूसरी बगल में!

हम दोनों टीवी देख रहे थे. हम सबने खूब बातें की, बहुत हंसी मजाक किया.
दीदी और नीरजा मेरी बातों से खूब हंसी.

तभी दीदी ने कहा- बहुत दिन बाद आया है अजय … तुझे हमारी याद नहीं आती क्या?
मैंने कहा- याद तो बहुत आती है, पर आप अपने छोटे भाई को बुलाती कहां हो.

हमें बातें करते करते बहुत देर हो गई थी.
अब दीदी सोने चली गईं.

मैं और नीरजा एक बजे तक टीवी देखते रहे.
फिर हम दोनों भी अपने अपने रूम में जाकर सो गए.

अगले दिन मैं 10 बजे उठा, तब तक सब उठ गए थे.

दीदी मेरे रूम में सफाई कर रही थीं. दीदी मुझे जगा देख बोली- उठ गए? और सो जाओ आराम से … अब कुछ काम नहीं है.
मैं कुछ समझा नहीं.

मैं- क्या हुआ?
दीदी- बाहर लॉकडाउन की वजह से सब गलियां सुनसान पड़ी हैं. पूरे शहर में पुलिस घूम रही है. किसी को घर के बाहर नहीं जाने दे रही है. अब घर में ही रहना है. तेरे जीजू ने भी फोन करके कहा है कि अजय को मेरे आने तक यहीं रोक लेना. वैसे भी सब बंद है, वो अपने घर जाकर भी क्या करेगा. तू यहीं रुक जा, अब कुछ काम तो है नहीं.

जीजू जिस काम से मुंबई गए हुए थे तो वो भी नहीं हो पाया और वो भी विजय के साथ वहीं फंस कर रह गए.

मैं ये सब सुनकर एकदम से परेशान हो गया.
मगर अगले ही पल मेरे मन में लड्डू फ़ूटने लगे कि अच्छा मौक़ा हाथ आ गया.

मैं नहाने चला गया और मैंने जानबूझ कर अपनी तौलिया बाहर छोड़ दी.
मैंने बाथरूम की कुंडी भी नहीं लगाई, बस गेट को ऐसे ही हल्का सा लगा दिया.

बाथरूम में आकर मैंने अपने सारे कपड़े निकाल दिए और पूरा नंगा हो गया.
मैं नहा ही रहा था कि थोड़ी देर बाद दीदी सफाई करती हुई बाथरूम की तरफ आ गईं.

उनका ध्यान मेरी तरफ नहीं था शायद … मगर उन्हें बाथरूम में पानी गिरने की आवाज से समझ आ गया था कि मैं बाथरूम में नहा रहा हूँ.

फिर शायद बाथरूम के खुले दरवाजे से दीदी की नजर मेरे नंगे जिस्म पर पड़ गई.
मैं भी अपने लंड को सहला रहा था, जिससे लंड अपनी मस्ती में झूम रहा था.

दीदी मेरे लंड को देख रही थीं और मैं नहाने का ड्रामा कर रहा था.

मैं काफी देर तक नहाता रहा और दीदी मेरे लंड को ही देखती रही थीं.
वो एक ही जगह कचरा साफ करने का नाटक करती रहीं.

मैं भी ऐसे ही नहाता रहा.
दीदी को पता नहीं था कि ये सब मुझे पता है कि दीदी मुझे देख रही हैं.

इधर दीदी को देख के मेरा लंड एकदम कड़क हो गया था.
उधर मेरे लंड को देख कर दीदी भी गर्म हो चुकी थीं.

मैंने नहाने के बाद दीदी से तौलिया के लिए कहा.

दीदी तौलिया लेकर आयी और वो जानबूझ कर बाथरूम में आ गईं.
मैंने दीदी को देख कर लंड को ढकने की झूठी कोशिश की.

दीदी भी मुझसे सॉरी कहने लगीं.
फर मेरे लंड को देख कर मुस्कुराती हुई बाथरूम से बाहर निकल गईं.

फिर मैं तौलिया लपेट कर बाहर आ गया, दीदी अभी भी वहीं थीं.

मैं बाल बनाने शीशे के सामने गया.
उस समय भी मैंने मुड़ कर देखा, तो दीदी मुझे ही देख रही थीं.

दीदी को देख कर मेरा लंड भी तौलिए को तम्बू बना रहा था.

तभी मैंने दीदी के सामने तौलिए को पीछे से खींच कर एकदम से नीचे गिरा दिया.
मैं फिर से नंगा हो गया और मेरा लंड दीदी को सलामी देने लगा.

दीदी जोर से हंस पड़ीं.
मैंने जल्दी से वापस तौलिए को सही किया और दीदी को देखने लगा.

उन्होंने कहा- अब तू बड़ा हो गया है और तेरा वो भी!
ये कह कर दीदी हंसती हुई बाहर चली गईं.

मैंने अपने कपड़े पहने और बाहर आ गया.
शाम को खाना खाने के बाद टीवी देखी और नीरजा को आवाज दी मगर नीरजा को नींद आ रही थी तो वो नहीं आई.
आज वो जल्दी सो गई थी.

अब दीदी और मैं टीवी देख रहे थे और बातें कर रहे थे.
दीदी को टीवी देखते देखते नींद आ गयी और दीदी वहीं मेरी जांघ पर सर रख कर सो गईं.

मैं टीवी देख रहा था.
थोड़ी देर बाद दीदी हिलीं तो उनकी साड़ी का पल्लू नीचे सरक गया था.

दीदी के दूध जो कि बहुत बड़े थे, मुझे साफ़ दिखाई देने लगे.

मेरा लंड खड़ा होने लगा दीदी के दूध देख कर!

मैंने हिम्मत करके दीदी के एक दूध पर हाथ रख दिया और धीरे धीरे घुमाने लगा.
जब उधर से कुछ विरोध नहीं हुआ तो मैंने हल्का हल्का दबाना भी शुरू कर दिया.

थोड़ी देर बाद दीदी ने करवट ली. दीदी इस बार मेरी जांघ पर मुँह उल्टा करके सो गई थीं.
इस पोजीशन में दीदी का मुँह मेरे लंड पर आ गया था.

मैंने भी उनके दूध से हाथ को हटा लिया था. मैं कुछ डर भी गया था.

थोड़ी देर बाद मैंने देखा कि दीदी ने अपना पैर हिलाया और गहरी नींद में सोने का नाटक करने लगीं.

मैं समझ गया कि दीदी फूल मूड में हैं.
मैंने भी धीरे से अपने हाथ को आगे बढ़ाया और दीदी का लहंगा पकड़ कर धीरे धीरे ऊपर कर दिया.

मैंने देखा कि मेरी दीदी ने अन्दर कुछ नहीं पहना था, मुझे उनकी मोटी गांड आधी नंगी दिख रही थी.

तो मैंने भी सोने का नाटक किया और उनकी गांड पर हाथ रख कर गांड को धीरे से रगड़ने लगा.
साथ ही मैं नींद का नाटक करता रहा.

जब दीदी ने इस पर कोई आपत्ति नहीं दिखाई तो मेरी हिम्मत और बढ़ गई.
मैं उनकी गांड के छेद पर उंगली रगड़ने लगा.

तभी दीदी ने अपने पैर खोल दिए और एक हाथ मेरे लंड पर रख दिया.
मैंने भी मौका देख उंगली को दीदी की चूत में लगा दी. मैंने देखा कि दीदी कि चूत ने पानी छोड़ दिया था. उनकी पूरी चूत गीली थी.

मैं हिम्मत करके उंगली को चूत में डालने लगा.
तभी दीदी एकदम से उठ गईं और मैं घबरा गया.

सेक्स कहानी के अगले भाग में लिखूंगा कि दीदी और नीरजा ने कैसे मेरे लंड से एक साथ चुदने का मजा लिया.

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रियल फॅमिली सेक्स कहानी का अगला भाग: बड़ी बहन और भानजी की साथ में चुदाई- 2