फैमिली सेक्स देशी स्टोरी-7

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

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हाई फ्रेंड्स,

दोस्तो, मैं सोनाली आपका फिर से स्वागत करती हूं अपनी कहानी शृंखला में … काफी समय बाद पाठकों के कहने पर वापस कहानियां लिखना प्रारम्भ कर रही हूं।

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के बाद का भाग है इसीलिए जिन्होंने भी पुरानी कहानियां नहीं पढ़ी हैं पहले ऊपर दिए लिंक से पढ़ लें, तत्पश्चात इस कहानी का आनंद लें।

रोहन के मोटे लण्ड की भीषण पिलाई ने मुझे अंदर तक चीर दिया. थोड़ी देर आराम के बाद मैं रोहन के ऊपर से उठी और अपने नंगे बदन के ऊपर अपना गाउन डाल लिया।
मैंने रोहन से कहा- बेटा, अब कपड़े पहन ले और फिर लंच करके रोहित को लेने स्टेशन चले जाना।
रोहन ने उठकर मेरी लाल पैंटी पहन ली और उसके ऊपर कपड़े पहन लिए। रोहन स्टेशन चला गया और मैं भी सभी काम निपटा कर नहाने चली गयी।

अब तक आपने पढ़ा कि मेरे पति के जाते ही मेरे बेटे रोहन ने किस तरह मेरी चुदाई की और मेरी पैंटी पहनकर रोहित को लेने स्टेशन चला गया।

अब आगे:

कुछ देर बाद दरवाजे की घंटी बजी तो मैं समझ गयी कि रोहन रोहित को लेकर आ चुका है.
मैंने दरवाजा खोला तो सामने रोहन खड़ा हुआ था.

वो अंदर आया और बोला- रोहित ऑटो से आ रहा है.
मैंने पूछा- क्यों?
तो रोहन ने जवाब दिया- सामान ज्यादा था तो बाइक पर नहीं आ पा रहा था. इसलिए ऑटो करना पड़ा.
और फिर हम दोनों दरवाजे पर खड़े होकर रोहित का इंतजार करने लगे।

कुछ ही पल में रोहित का ऑटो घर के दरवाजे पर आकर रुका. रोहन सामान लेने के लिए ऑटो की तरफ चल दिया.
रोहित भी ऑटो से उतरकर सामान उतारने लगा. रोहित और रोहन दोनों सामान लेकर अंदर आने लगे.
अंदर आते समय जब रोहित की नज़र मुझसे टकराई तो उसने हँसकर मुझे आंख मार दी।

रोहित के अंदर आते ही मैंने दरवाज़ा बन्द कर दिया। दरवाज़ा बन्द करते ही जैसे ही में पीछे मुड़ी रोहित ने मुझे कसकर गले लगा लिया और मेरे होंठों को चूम लिया.
रोहन तब तक अंदर जा चुका था।

मैंने रोहित को खुद से अलग करते हुए पूछा- सफर कैसा रहा?
रोहित ने कहा- मौसी … जब से ट्रेन में बैठा हूँ, आप ही के ख्यालों में खोया हुआ हूं.
और फिर मेरा हाथ पकड़कर उसने अपनी पैंट के उभार पर रख दिया।

रोहित का लण्ड खड़ा हुआ था पर जीन्स के अंदर वो जिस तरह कसा हुआ था उसे देखकर मालूम हो रहा था कि वो दर्द भी कर रहा होगा।

मैंने मुस्कुरा कर रोहित के लण्ड को उसकी जीन्स के ऊपर से ही दबा दिया और कहा- अंदर जाकर ढीले कपड़े पहन लो जिससे तुम्हें और इसे दोनों को आराम मिले.
और फिर हम दोनों बातें करते करते अंदर आ गए।

रोहित को अभी कुछ दिन रोहन के साथ ही रूम शेयर करना था. रोहित अपना सामान रोहन के रूम में व्यवस्थित करने लगा और रोहन भी उसकी मदद कर रहा था।

मैंने उन दोनों से कहा- तुम दोनों फ्रेश हो जाओ. तब तक मैं खाना तैयार करती हूं.
और मैं वहाँ से किचन में आ गयी और खाना तैयार करने लगी.

जून का महीना था तो गर्मी भी अपने चरम पर थी. खाना बनाते बनाते मैं खुद पसीने से नहा रही थी, ऊपर से मेरा गाउन भी शरीर से चिपका जा रहा था।

हर दिन की तरह जब घर पर कोई नहीं रहता था या सिर्फ रोहन ही रहता था तो मैं बिना गाउन के ही घर के काम करती थी. बस अधनंगे अपने जिस्म को ढकने के लिए एक दुपट्टा डाल लेती थी।
पर अब रोहन के साथ रोहित भी था घर पर. तो यह सब करना तो मुश्किल ही था.

कुछ देर बाद रोहित किचन में आया और दरवाज़े पर खड़ा होकर मेरी तरफ देखने लगा।
मैंने रोहित की तरफ देखा.

वो एक स्लीवलेस टीशर्ट और बॉक्सर में खड़ा हुआ मुझे देख रहा था.
मैंने रोहित की तरफ देखते हुए कहा- बस दस मिनट में खाना तैयार हो जाएगा. अभी रोटियाँ बन रही है. फिर खाकर आराम से सो जाना।
रोहित- मौसी आप आराम से अपना समय लीजिये. कोई जल्दी नहीं है।

मैंने पूछा- और रोहन क्या कर रहा है?
रोहित- वो रूम में ही है.
और इतना बोलते ही वो मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया और मेरी कमर को अपने हाथों में कसकर जकड़ लिया।

मैंने कहा- क्या कर रहे हो रोहित? अभी मुझे काम करने दो. और अभी मैं पसीने से भी तर हूँ. तुम भी गंदे हो जाओगे।
रोहित- आप अपना काम कीजिये मौसी … मेरी वजह से आपको बिल्कुल भी परेशानी नहीं होगी. मैं तो बस आपको थोड़ा प्यार करना चाहता हूं. औऱ रही बात आपके पसीने की … तो इसकी खुशबू तो मुझे पागल कर रही है।

मेरी किचन घर के सबसे पिछले हिस्से में थी.और किचन का प्लेटफार्म दरवाज़े के बायी तरफ था. प्लेटफॉर्म की दीवार पर ही एक खिड़की लगी हुई थी वेंटिलेशन के लिए। पर उस खिड़की से घर के अंदर का भी सब दिखता था. जैसे रूम में कौन जा रहा है या कौन आ रहा है।

मैंने रोहित से कहा- अभी रोहन आ जाएगा तो क्या करोगे?
रोहित- रोहन जब कमरे से बाहर निकलेगा तो मैं आपसे अलग हो जाऊँगा.
और इतना बोलकर वो मेरी गर्दन पर आ रहे पसीने को चाटने लगा और मेरी गर्दन को चूमने लगा।

मैंने कहा- ये क्या कर रहे हो? पसीना भी कोई चाटता है भला … और हां … खिड़की से बाहर नज़र लगाए रखना. वरना रोहन भी देख लेगा कि भांजे और मौसी के बीच ये कैसा प्यार है।
रोहित ने मेरे कान के निचले हिस्से को मुंह में लेकर चूसते हुए हामी में अपना सिर हिला दिया।

मैंने रोहित से कहा- जो भी करना है, ऊपर ऊपर से ही करना. अभी आगे बढ़ने का सही समय नहीं है।
हम दोनों इतने धीमे धीमे बाते कर रहे थे कि हमारी आवाज़ हम दोनों के अलावा कोई और सुन भी नहीं सकता था।

रोहित करीबन छह फीट का था रोहन के बराबर. पर मेरी लम्बाई उन दोनों से ही कम थी। रोहित मुझे अभी भी कस कर जकड़ा हुआ था और उसका खड़ा लण्ड मुझे अपनी पीठ के निचले हिस्से पर महसूस हो रहा था मेरी गांड से कुछ इंच की ऊँचाई पर।

रोहित ने फिर धीरे धीरे मेरे गाउन को टांगों से ऊपर उठाना शुरू कर दिया.
मैंने अपने एक हाथ से रोहित का हाथ रोककर उससे कहा- बस ऊपर से ही … कपड़े सही करने में भी समय लगता है।
रोहित ने कहा- मौसी बस कमर तक ही उठाऊँगा. और किसी के आने से पहले ही आपका गाउन नीचे हो जाएगा. आप चिंता मत कीजिये।

मैंने वापस अपना हाथ उसके हाथों से हटा लिया और फिर से रोटियां बेलने लगी।

रोहित ने मेरा हाथ हटते ही जल्दी से मेरे गाउन को मेरी कमर तक उठा दिया. मैं अपना सिर झुकाकर अपनी नंगी टांगों और उसके बीच मेरी काली पैंटी, जो मेरे अधनंग शरीर मेरे जननांग और मेरी गांड को ढके हुए थी, को देख रही थी।

रोहित मेरी नंगी जांघों पर हाथ फेरने लगा और फिर मेरी पैंटी की इलास्टिक में उंगली डाल कर मेरी कमर के इर्दगिर्द घुमाने लगा। उसने फिर तेजी से मेरी पैंटी को जाँघों तक नीचे कर दिया और फिर अपना कठोर हाथ मेरी तपती हुई मुलायम चूत पर रख दिया।

खुद को नंगी होती हुई देख मैं वैसे ही काफी उत्तेजित हो गयी थी और फिर रोहित की उंगलियों का स्पर्श अपनी चूत पर पाकर मैं बेकाबू होने लगी और कामवासना में मेरे मुंह से ‘आआह हहऊ श्सहह’ निकल गया।

रोहित ने फिर अपने बॉक्सर को भी आगे की साइड से थोड़ा नीचे कर लिया. इतना कि बस उसका लण्ड ही बाहर निकला हुआ था।

उसने मेरी पीठ पर चूमते हुए एक हाथ को मेरी कमर से नीचे ले जाकर चूत को सहलाना शुरू कर दिया और दूसरे हाथ से अपने लण्ड को मेरी जाँघों के बीच में घुसेड़ना शुरू कर दिया।

मैंने उसकी कोशिश को देखते हुए अपनी टांगों को थोड़ा फैला दिया जिससे उसका लण्ड मेरी जाँघों के बीच में पूरी तरह से फिट हो गया. जैसे ही मुझे लगा कि अब रोहित का लण्ड बिल्कुल फिट है तो मैंने वापस से अपनी जाँघों को वापस चिपका लिया जिससे रोहित का लण्ड मेरी जांघों के बीच में ही जकड़ गया।

मैंने रोहित से कहा- अब मैं इससे ज्यादा आगे कुछ और नहीं कर सकती।
रोहित का मन तो मेरी चूत चोदने का था पर मेरे इस बर्ताव से उसके तो सपने ही धरे रह गए।

रोहित ने कहा- कोई नहीं मौसी … अभी ऐसे ही सही. पर अगली बार जब मौका मिलेगा और हम दोनों अकेले होंगे तब आज की भी कसर पूरी करूंगा.
और यह बोलते हुए उसने अपने लण्ड को जाँघों में ही आगे पीछे करना शुरू कर दिया।

रोहित बड़ी ही सादगी से मेरी जाँघों को चोद रहा था औऱ मेरी चूत से खेल रहा था.
मैं भी अपनी जाँघों के बीच रोहित के कड़क लण्ड को रगड़ खाते महसूस कर उत्तेजित हो रही थी।

रोहित ने अपने दूसरे हाथ को भी मेरी कमर पर लपेट लिया और मेरी पीठ गर्दन और कानों को चूमते हुए अपनी उंगलियो को मेरी चूत पर फिरा रहा था. वो अपनी उंगलियों को मेरी चूत में डालने की कोशिश तो कर रहा था. पर पीछे से उसके हाथ जो मेरी बांहों के नीचे से होते हुए मेरी कमर को घेरे हुए थे, इतनी नीचे तक नहीं आ पा रहे थे. इसीलिए उसे बस मेरी चूत को ऊपर से सहलाना पड़ रहा था।

रोहित अपने लण्ड को पूरी तरह मेरी जाँघों के बीच से आगे पीछे कर रहा था. जब उसका लण्ड पूरी तरह से मेरी जाँघों को भेदकर आगे जाता … तो उसके लण्ड का सुपारा मेरी कोमल चूत को नीचे से चूमता हुआ आगे आता और फिर वापस चला जाता।

मेरी चूत और उससे रिसता हुआ पानी … रोहित के लण्ड को हर बार एक गीला चुम्बन दे रही थी और अगला हर चुम्बन पहले से अधिक गीला और गर्म था. इसका यह परिणाम था कि रोहित और मेरी सांसे पहले से तेज और गरम हो गयी थी।

मेरा सारा ध्यान अब रोहित के लण्ड पर था जिससे मेरी काम करने की तेजी भी बहुत कम हो गयी थी. रोटियां बनाना उनको सेकना … इन सब में मुझे काफी समय लग रहा था. एक बार तो मेरा मन कर रहा था कि सारे काम यहीं रोक दूँ और खुल कर चुदाई करूँ!
पर मुझे खुद पर काबू पाना था।

भले ही उस दिन मैं रोहित के आने से कुछ देर पहले ही रोहन से चुदी थी पर रोहित ने मेरी वासना को फिर से पंख दे दिए थे।

कुछ देर बाद रोहित ने अपने लण्ड को वैसे ही आगे पीछे करते हुए अपने हाथों को मेरी कमर से हटाया और मेरी पैंटी को वापस से पहनाने लगा। आगे से तो मेरी पैंटी मुझे ठीक आ गयी पर रोहित का लण्ड मेरी जाँघों में फसा होने के कारण पीछे से मेरी पैंटी मेरे नितम्बों के नीचे ही थी।

मुझे समझ नहीं आया कि रोहित ये क्या कर रहा है. शायद वो अब यहीं रुकना चाहता था.
पर रोहित अभी भी मेरी जंघाओं को चोद रहा था.
और फिर वो तेजी बढ़ाते हुए अपना लण्ड जल्दी जल्दी चलाने लगा।

मैं समझ चुकी थी कि अब रोहित का स्खलन होने वाला है.
रोहित ने भी अपना लण्ड मेरी जाँघों के बीच से बाहर निकाला और मेरी गांड की दरार में अपने लण्ड का सुपारा ऊपर नीचे करने लगा. सीधे खड़े होने के कारण मेरे उभरे हुए नितम्बों में रोहित के लण्ड का सुपारा कहीं गायब ही हो गया था.

परंतु कुछ ही पलों में मुझे मेरी गांड के छेद पर लण्ड के सुपारे के साथ थोड़ा गीलापन भी महसूस हुआ.
और फिर रोहित ने हल्के झटकों के साथ अपना वीर्य स्खलन शुरू कर दिया।

‘आहाह हहह … उहह हहह …’ गर्म वीर्य का स्पर्श अपने शरीर पर पाकर मेरा मन में सिसकारियां फूटने लगी.
एक के बाद एक झटके और हर झटके के साथ वीर्य की धार निकल रही थी जो मेरे नितम्बों की दरार से बहते हुए मेरी चूत पर आ रही थी और वहाँ से नीचे गिर रही थी.

अब मुझे समझ में आया कि रोहित ने मुझे वापस पैंटी क्यों पहना दी थी।

रोहित के लण्ड ने करीब सात-आठ वीर्य की पिचकारियाँ चलाई थी. इतना वीर्य स्खलन कि मेरी गांड और चूत दोनों बुरी तरह उसके वीर्य से भीग चुके थे. चूत से वीर्य की गिरती हुई बूंदें मेरी पैंटी पर जमा हो रही थी।

झड़ने के बाद रोहित ने अपने लण्ड के गीले सुपारे को मेरे नितम्बों पर मलकर साफ कर लिया और अपना बॉक्सर ऊपर करके मुझे मेरी पैंटी को ठीक से पहना दिया और मेरे गाउन को वापस नीचे कर दिया।

सब कुछ व्यवस्थित करने के बाद रोहित मेरी पीठ को फिर से चूमने लगा.

मैंने कहा- कितना माल जमा कर रखा था तूने रोहित? मुझे पूरा गंदा कर दिया. अब मुझे फिर से नहाना पड़ेगा।

रोहित ने कहा- मौसी, जबसे मुझे पता चला कि होस्टल लेने से पहले मैं आपके घर रहूंगा, तब से मैंने अपने लण्ड को सिर्फ आप ही के लिये तैयार रखा था. कि जब आप मिलोगी तो आपकी चूत को अपने वीर्य से भर दूंगा पर आपने तो मेरी मेहनत ही बेकार कर दी।

मैंने हँसते हुए कहा- कोई बात नहीं राजा … तेरी मेहनत अभी बेकार नहीं गयी है. मेरी पैंटी और टांगों के बीच बह रही है।
मेरी इस बात पर हम दोनों हँसने लगे.

मैंने रोहित से कहा- अब जाओ और अपना सामान बाथरूम में जाकर ठीक से साफ कर लो. अब तो मैं तुम दोनों को खाना खिलाने के बाद ही नहाऊंगी।
रोहित मेरे होंठों पर एक चुम्बन देते हुए अपने रूम की तरफ चला गया.

मेरी टांगों के बीच गीली पैंटी की ठंडक मुझे मेरी चूत और जाँघों पर महसूस हो रही थी. ऐसी चिपचिपाहट में रहना थोड़ा अजीब था.
अगले दो-तीन मिनट में खाना तैयार हो गया।

मैंने खाना डाइनिंग टेबल पर लगाया और दोनों लड़कों को आवाज़ दी.
कुछ ही देर में दोनों आ गए और फिर हम तीनों ने मिलकर खाना खाया और इधर उधर की बातें की।
फिर मैंने खाना खिलाकर उनको सोने के लिये कहा और अपने रूम में आ गयी।

रूम में आते ही मैंने अपना गाउन उतार दिया और ब्रा पैंटी मैं ही ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ी होकर अपनी हालत देखने लगी।
मेरी पैंटी पूरी तरह भीगी हुई थी और मेरी जाँघों चूत और नितम्बों से चिपक गयी थी। मेरी जाँघों पर भी वीर्य का थोड़ा गीलापन महसूस हो रहा था।

मैंने देर ना करते हुए खड़े खड़े ही अपनी पैंटी को उतारा और उसे उल्टा करके देखने लगी.

रोहित का वीर्य अभी तक उसमें भरा हुआ था. मैं पैंटी को थोड़ा और ऊपर अपने चेहरे के पास लायी और अपनी नाक से उसे सूंघने लगी.
जैसे ही वीर्य की सुगंध मेरे नथुनों में समायी… आआआहह हहहह … कितनी मादक खुशबू थी.

मैंने कुछ और पल उसको सूंघा और फिर अपनी जीभ निकालकर, जहाँ जहाँ वीर्य का कुछ हिस्सा बचा हुआ था, वहां से उसे चाटने लगी।

मैं रोहित की मेहनत को ऐसे ही बर्बाद नहीं जाने देना चाहती थी. मलाई समान वीर्य का स्वाद भी काफी स्वादिष्ट था. धीरे धीरे करके मैंने अपनी पैंटी पर से सारा वीर्य चाट लिया.
फिर मेरी नज़र शीशे में से मेरी चूत पर गयी जो कि शायद अभी भी रोहित के रस से गीली थी।

मैंने कमर के बल नीचे झुककर अपनी पैंटी को अपने सीधे हाथ में लिया और अपनी टांगों के बीच लेजाकर अपनी गांड को पैंटी से पोछते हुए नीचे अपनी चूत तक को साफ किया और फिर अपनी ब्रा को उतारकर बेड पर फेंकते हुए अपनी पैंटी को हाथ में लेकर बिल्कुल नंगी बाथरूम के अंदर नहाने चली गयी।

नहाने के बाद मैं अंदर आयी और खुद को टॉवल से पोछ कर साफ पैंटी और ब्रा पहनकर ऐसे ही बिस्तर पर लेट गयी।

तभी मुझे याद आया कि ट्रिप के दौरान जब रोहित ने मुझे नंगी देख लिया था तो मेरे कहने पर रोहन ने रोहित से बात की थी और मुझे बताया था कि वो दोनों काफी फ्रैंक हैं और कभी कभी एक दूसरे की मुट्ठी भी मार देते हैं।

मैं सोचने लगी कि क्या आजकल के लड़के … और वो भी कजिन भाई आपस में ऐसा कर सकते हैं. और यहाँ तक कि उन दोनों में ये भी बात हुई थी कि उन दोनों ने अपनी अपनी मम्मियों को नंगी देखा है.
मेरे लिए बच्चों द्वारा अपनी मम्मियों को नंगी देखना कोई बड़ी बात नहीं थी. मुझे याद है जब मेरा बेटा रोहन मुझे अपने पापा से चुदते हुए खिड़की से देखता था।

अगर आपने भी ऐसा कुछ देखा है तो आप मुझे एक छोटा सा लेख लिखकर बता सकते हैं.

पर आपस में एक दूसरे की माँ के बारे में ऐसी बातें करना और एक दूसरे के गुप्तांगों को सहलाना थोड़ा अजीब लगता है.
और अब तो वे दोनों साथ ही रहने वाले थे … अब ना जाने और क्या क्या गुल खिलाने वाले थे।
यह कोई चिंताजनक बात नहीं थी … मैं तो बस यह सब देखने की जिज्ञासा रखती थी।

मैंने रोहन से इस बारे में बात करने का फैसला किया. मैं रोहन से वो हर बात जानना चाहती थी जो उन दोनों में होती थी.
इसी कशमकश मैं मेरी नींद लग गयी।

कुछ देर बाद जब डोरबेल बजी तो मेरी नींद खुल गयी.

आगे की मौसी की चुदाई कहानी अगले भाग में!

आपको मौसी की चुदाई यह कहानी कैसी लगी आप अपने विचार और सुझाव मुझे भेज सकते हैं. साथ ही लॉकडाउन के इस समय आपने मेरी कहानी पढ़कर किस तरह एन्जॉय किया और क्या किया. एक छोटा सा लेख लिखकर मुझे बतायें। जो लेख अच्छा होगा उसे मैं अपने इंस्टाग्राम पर पोस्ट करुँगी।
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आप स्त्री हो या पुरुष … अगर आपको मेरी कहानियां पसंद आती हैं तो मेल करने में बिल्कुल भी संकोच ना करें. एक लेखक के लिये बस यही खुशी देने वाली बात होती है कि ज्यादा से ज्यादा लोग उसकी कहानी पढ़ें और उस पर अपने विचार दें।
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