प्यासी चाची की चूत और गाण्ड चुदाई

दोस्तो.. मेरा नाम मोनू जैन है.. मैं 23 साल का हूँ.. मैं यहाँ पर अपनी जो स्टोरी लिख रहा हूँ.. वो कहने को तो रियल है.. पर मैं ऐसा कहूँगा नहीं.. क्योंकि ऐसा सभी कहते हैं.. आप खुद ही तय कीजिएगा कि मेरी कहानी में कितनी सच्चाई है।

चूंकि यह घटना मेरी और मेरी चाची मधु जैन के साथ हुई है इसलिए मैं अपनी चाची मधु के बारे में भी थोड़ा बता दूँ। जब मैंने उनके साथ सेक्स करना शुरू किया था.. तब वो 32 साल की थीं और एक बच्चे की माँ थीं। वो थोड़ा सांवले रंग की हैं.. पर उनका फिगर बहुत सेक्सी है.. उनके मम्मे काफ़ी मोटे और भरे हुए हैं.. उनकी चूत पर बहुत बाल भी हैं।

अब मैं आपको बताता हूँ कि मेरा उनके साथ ये सब कैसे शुरू हुआ।
बात उन दिनों की है.. जब मेरे पिताजी की तबियत खराब थी.. तो चाची हमारे यहाँ मम्मी के काम में हाथ बंटाने के लिए आ गई थीं। वो मुझसे बहुत घुलमिल कर और खुल कर बात करती थीं.. मैं उनकी बात को मज़ाक में लेकर छोड़ दिया करता था।
रात को जब वो फ्रेश होकर नाइटी में आती थीं.. तो उसमें से उनके आधे मम्मे दिखते थे और मैं उन्हें देखने के लिए रात में अक्सर उनके पास बैठा रहता था।

एक दिन मेरी उनसे किसी बात पर बहस हो गई और उस रात मैंने खाना नहीं खाया.. रात को वो मेरे पास खड़ी हो गईं और मुझसे खाना खाने के लिए कहने लगीं.. और मैं गुस्सा बना रहा।
तभी उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर रख कर दबा दिया.. मैंने ये बात महसूस कर ली थी.. तभी से मेरे मन में उन्हें चोदने का ख्याल आया था।
लेकिन खड़े लण्ड पर चोट तो देखिए कि अगले ही दिन वो अपने घर चली गईं।

उनसे मिलने की चाह बढ़ती गई और कुछ दिन बाद मैं भी उनके घर चला आया। मैं यह बात जानता था कि उनके पति उन्हें संतुष्ट नहीं कर पाते हैं और चाचा की उम्र भी उनसे 11 साल ज्यादा है।
मुझे अपने घर देख कर वे बड़ी ही खुश हुईं।

रात को मैं उनके पास ही सोने के लिए तैयार हो गया। रात को हम सेक्स के बारे में बात करने लगे और वो मुझसे पूछने लगीं- क्या तुमने कोई ब्लू-फिल्म देखी है?
मैंने उन्हें बता दिया- हाँ.. देखी है..
उसके बाद मैं अपना लंड अपने शॉर्ट्स में से निकाल कर उनकी गाण्ड से स्पर्श कराने की कोशिश करने लगा.. पर मैं कामयाब नहीं हो पाया।
उनके हल्के विरोध के कारण कुछ कर ही पा रहा था।

तभी मैंने उनसे कहा- मैं तो यहाँ आपके साथ टाइम पास करने के लिए आया हूँ।
तो वो कहने लगीं- नहीं ऐसा मत कहो..
मैंने कहा- ठीक है.. तो मैं कल चला जाऊँगा..
तो वो कहने लगीं- ठीक है.. तुम जो मर्जी हो.. कर सकते हो।

तब मैंने डरते-डरते उनके मम्मों पर हाथ रख दिया।
वो मुझे काफ़ी मुलायम से लगे.. मैं प्यार से उनके मम्मों को सहलाने लगा। जब उन्होंने कुछ नहीं कहा.. तो मेरी हिम्मत बढ़ने लगी और मैं उनका एक कबूतर अपने हाथ से पकड़ कर दबाने लगा, वो मादक सिसकारी लेने लगीं।

अब मेरी हिम्मत खुल गई थी.. मैंने उनकी नाइटी की डोरी खोल दी और अन्दर हाथ डाल कर उनके चूचों को दबाने लगा। वो अपने मुँह से आवाज़ें निकालने लगीं.. मैं और ज़ोर-जोर से दबाने लगा।

इसी बीच मैंने उनका हाथ पकड़ कर अपने शॉर्ट्स के ऊपर से अपने लंड पर रख दिया। उन्होंने थोड़ी देर तो कुछ नहीं किया और ऐसे ही हाथ रख कर पड़ी रहीं..
मैं अब उनके चूचों को मुँह में लेकर चूसने लगा और दांतों से कभी-कभी काट लेता था। तब वो भी कामातुर होकर मेरा लंड शॉर्ट्स के ऊपर से पकड़ कर अपना हाथ ऊपर-नीचे करने लगीं।
मैंने उनकी चूत पर हाथ फेरना चालू कर दिया। उन्होंने नाइटी के अन्दर ब्रा और पैन्टी में से कुछ भी नहीं पहन रखा था.. क्योंकि गर्मी के दिन थे।

मैं उनकी चूत को पकड़ कर मसलने लगा.. चाची के मुँह से आवाज़ें और भी तेज़ हो गईं। अब उन्होंने मेरा शॉर्ट उतार कर मेरा लंड पकड़ लिया.. मैंने उनकी चूत में अपनी उंगली डाल दी और अन्दर-बाहर करने लगा।
चाची भी मेरे लंड पर अपना हाथ जल्दी-जल्दी ऊपर-नीचे करने लगीं।

मैंने चाची से अपने लंड को मुँह में लेने के लिए कहा.. तो पहले तो उन्होंने मना कर दिया.. पर मेरे ज़ोर देने पर उन्होंने सिर्फ़ उसे एक चुम्मी ली।

अब मैं चाची के ऊपर आ गया और उनकी टांगें उठा कर अपने कन्धों पर रख लीं और उनकी चूत में लंड डालने की कोशिश करने लगा। मैंने जैसे ही पहला धक्का लगाया.. चाची के मुँह से सिसकारी निकलने लगी.. पर मैंने इसकी कोई परवाह नहीं की और सुपारा चूत में फंसा कर धक्के लगाता रहा।
दो-तीन ज़बरदस्त धक्के लगाने के बाद मेरा लंड पूरा चाची की चूत में चला गया।

अब मैं उनको जोर-जोर से चोदने लगा और वो भी नीचे से अपनी चूत में मेरा लवड़ा लेने के लिए अपने चूतड़ उछालने लगीं। करीब 15-20 मिनट की चुदाई के बीच वो दो बार झड़ चुकी थीं और अब वो ‘बस करो..’ कहने लगीं.. पर मैं अभी तक नहीं झड़ा था.. इसलिए मैंने उन्हें अपनी गाण्ड मरवाने के लिए कहा।
तो उन्होंने कहा- ठीक है.. पर धीरे-धीरे करना.. मैंने पहले कभी नहीं मरवाई है।
मैंने कहा- ठीक है..

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पर जैसे ही मैंने उनकी गुलाबी गाण्ड को देखा.. तो मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ और मैंने लौड़ा चाची की गाण्ड में फंसाया और ज़बरदस्त 2-3 धक्के मार दिए।
वो चिल्लाने लगीं.. मगर मैं नहीं थमा और उनकी गाण्ड को पूरे मन से चोदने के बाद ही मैं झड़ा। मैंने अपना सारा माल भी उनकी गाण्ड में ही निकाल दिया।

वो एकदम से निढाल हो गई थीं.. पर उन्होंने मुझे बहुत ही पसन्द किया.. तब से मैं उन्हें आज तक चोदता आ रहा हूँ। जब भी चाचा कही बाहर जाते हैं.. चाची मुझे अपने पास बुला लेती हैं और मैं उनकी चूत और गाण्ड की धकापेल चुदाई करता हूँ।

उम्मीद करता हूँ आप लोगों को मेरी स्टोरी पसंद आई होगी.. मैं आपके ईमेल का इंतज़ार करूँगा।