सन्ता अकेला बैठा जोर जोर से हन्स रहा था।
बन्ता उसके घर आया तो उसे हंसते देख पूछने लगा- क्या हुआ? ऐसे क्यों हंस रहे हो?
सन्ता बोला- कल शाम मेरे दोस्त इरफ़ान ने चुपके से मेरे मोबाइल फ़ोन से मेरी गर्ल फ़्रेन्ड का नम्बर ले लिया…
बन्ता बोला- ओह… फ़िर क्या हुआ?
सन्ता- फ़िर क्या… बेवकूफ़ कल रात से ही अपनी बहन को रोमांटिक मैसेज़ भेजे जा रहा है…
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आखिर शिष्टाचार भी कोई चीज है
बन्ता अपने दोस्त सन्ता को गाड़ी पर चढ़ाने आया।
छुटने को तैयार रेलगाड़ी की खिड़की से सन्ता अपने दोस्त बन्ता को शुक्रिया अदा करता हुए बोला- कितना आनन्ददायक रहा तुम्हारे घर पर रहना… मैं बयान नहीं कर सकता… वो शानदार कमरा, वो स्वादिष्ट खाना, वो घूमना फिरना, वो देर रात तक बैठ कर बातें करना… वाकई, बहुत ही आरामदायक अनुभव था… इन सबसे उपर तो भाभी के साथ सेक्स में सबसे ज्यादा मजा आया!
इतने में गाड़ी चल दी।
सन्ता के बगल में इरफ़ान भाई बैठा था, वो सन्ता की आखिरी बात सुन कर सन्न रह गया, उसने सन्ता से पूछ ही लिया- भाइ साहब, बाकी सब तो ठीक है, पर ‘भाभी के साथ सेक्स में मजा आया…’ यह कहने की क्या जरूरत थी?
जवाब में सन्ता ने लाचारी भरा मुँह बना कर कहा- भाई, मजा तो क्या खाक आया… पर कहना तो पड़ता ही है भाई… कहना पड़ता है… आखिर शिष्टाचार भी कोई चीज है।
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