पेश है मेरी कहानी का आगे का हिस्सा..
मैंने कहा- ठीक है.. मैं 30 मिनट में पहुँच जाऊँगा.. अपने पति से बात नहीं कराओगी क्या?
उसने कहा- बात क्या करोगे.. मिल ही लेना।
मैं उसे लेने पहुँच गया और देखा कि एक 35-36 साल का आदमी उसके पास खड़ा था।
वो मेरे पास आई और कहा- ये हैं मेरे सर प्रवीण जी..
उसने मुझे ‘हैलो’ कहा.. मैंने भी बोल दिया।
मैंने कहा- सुनीता जी चलिए.. नहीं तो लेट हो जाएंगे।
हम दोनों उसके पति को ‘बाय’ बोल कर चल दिए।
उसके घर से चलने के कुछ देर बाद उसने अपनी बांहें मेरे गले में डाल दीं और कहा- आई लव यू..
मैंने गाड़ी रोकी और उसको चूमते हुए कहा- आई लव यू टू..
फिर हम थोड़ी देर में ऑफिस पहुँच गए।
इसके बाद लगभग हर रोज ऐसे ही चलने लगा। अब वो मेरे साथ ही आती और जाती थी जिससे उसके पति के साथ मेरी दोस्ती हो गई।
दोस्तो, कम्पनी में सभी उसके आगे-पीछे घूमते थे.. लेकिन वो सिर्फ़ मेरे साथ ही आती और जाती थी।
फिर वो दिन आ ही गया.. जिसका मुझे इन्तज़ार था।
वो रविवार का दिन था.. मैं उठा.. नहा कर तैयार हो गया और उसे लेने के लिए पहुँच गया। वो आई और मेरे साथ गाड़ी में बैठ गई और हम दोनों मेरे कमरे की तरफ़ चल दिए।
हम दस मिनट में कमरे पर पहुँच गए.. तो उसने देखा कि मेरे सारे कपड़े बिखरे पड़े थे।
वो कहने लगी- प्रवीण, ये क्या हाल बना रखा है?
मैंने कहा- मेरी बीवी तो है नहीं.. जो इन सबका ध्यान रखेगी।
उसने मेरी तरफ़ तिरछी नजरों से देखा और कहा- मैं भी तो आपसे प्यार करती हूँ.. मुझे ही अपनी पत्नी मान लो।
मैंने उसे बाँहों में जकड़ लिया लेकिन उसने कहा- रुको भी.. पहले साफ़-सफ़ाई करने दो।
उसने अपनी चुन्नी एक तरफ़ रख दी।
मैंने उसे अपना लोअर और टी-शर्ट पहनने के लिए दे दी और उससे कहा- अपने कपड़े बदल लो.. नहीं तो खराब हो जाएंगे।
उसने अपने कपड़े बदल लिए। फिर उसने गंदे कपड़े धोने के लिए डाल दिए और साफ़-सफ़ाई कर दी।
फिर मैंने उससे कहा- मुझे भूख लगी है.. और नाश्ता करना है।
उसने कहा- मैं आपके लिए नाश्ता घर से बनाकर लाई हूँ और गाड़ी में रखा है।
मैं जल्दी गया और गाड़ी से नाश्ता ले आया।
उसने कहा- पहले सुहागदिन मनाएंगे.. फिर खाना खाएंगे।
उसने जल्दी से अपने कपड़े बदल लिए और बिस्तर पर सुहाग का जोड़ा पहन कर घूंघट करके बैठ गई.. जैसे कोई नई-नवेली दुल्हन बैठी हो।
उसे देख कर मैं उसके पास गया, मेरे तो सब्र का बाँध टूट रहा था.. मैं जैसे ही उसके पास गया तो उसने जल्दी से उठ कर मेरे पैर छू लिए और कहा- प्रवीण जी.. मुझे अपनी पत्नी बना लो।
मैंने उसे उठाया तो देखा कि उसकी आँखों में आँसू थे।
मैंने उसे चुप करवाया और गले से लगा लिया। फिर मैंने उसके चेहरे को हाथ में पकड़ कर ऊपर उठाया और अपने होंठों को उसके होंठों पर रख दिया।
वो तो जैसे सिमट गई और मेरा पूरा साथ देने लगी। मैं 15 मिनट तक उसके होंठों को चूसता रहा और उसके कपड़े उतारने लगा.. तो उसने कहा- जल्दी क्या है.. मैं आपकी हूँ.. जल्दबाजी मत करो।
फिर धीरे-धीरे उसके मम्मों को सहलाने और दबाने लगा। अब मैंने उसका ब्लाउज उतार दिया और उसके मम्मों को दबा कर चूसने लगा था।
उसके मुँह से अजीब सी आवाजें आ रही थीं- हाय.. उहुम्म्म.. आआह.. आह… मैं मर जाऊँगी.. आह..
मैं भी पागल हो रहा था.. मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए और वो भी मुझे पागलों की तरह चूम रही थी।
उसने कहा- आप भी अपने कपड़े उतार दो।
मैंने एक ही झटके में सारे कपड़े उतार दिए.. वो मेरे तने हुए लन्ड को देख कर चौंक गई।
मेरा लन्ड 7″ लम्बा और 2.5″ मोटा है।
उसने कहा- मैं तो मर ही जाऊँगी.. मेरे पति का तो सिर्फ़ 2.5″ लम्बा और मुश्किल से 1″ मोटा है।
मैं समझ गया कि इसका मतलब ये अभी तक कुंवारी जैसी ही है और इसकी सील अभी तक शायद नहीं टूटी है।
मैंने कहा- इसे मुँह में ले लो..
वो मना करने लगी- मुझे अच्छा नहीं लगता।
लेकिन मेरे जोर देने पर वो मान गई और फिर धीरे-धीरे मेरा लवड़ा चूसने लगी।
फिर हम 69 की अवस्था में आ गए। वो मेरा लन्ड चूस रही थी और मैं उसकी चूत चाट रहा था।
उसकी आँखों में से पानी निकल रहा था.. क्योंकि मेरा लण्ड उसके गले तक जा रहा था.. जिससे उसे साँस लेने में तकलीफ़ हो रही थी।
फिर हम ऐसे ही 15 मिनट तक यूँ ही लगे रहे और वो झड़ गई.. मैं उसका सारा रस पी गया।
थोड़ी ही देर बाद मैं भी उसके मुँह मे झड़ गया और उसने सारा वीर्य पी लिया।
फिर हम बाथरूम में गए और एक-दूसरे को साफ़ किया।
उसने कहा- सच में आज पहली बार इतना मज़ा आया है।
मैंने कहा- अभी असली मज़ा तो बाकी है।
वो मुस्कुरा उठी और मेरे लण्ड से खेलने लगी। फिर हम बिस्तर पर आ गए। मैंने उसे सीधा लिटा दिया और लण्ड को उसकी चूत पर रखा और रगड़ने लगा।
वो तड़प रही थी और कहने लगी- अब और मत तड़पाओ।
अब मैंने लण्ड को उसकी चूत पर रखा और एक झटका मारा तो मेरा लण्ड 3″ तक ही घुसा था और वो तेज आवाज में रोने और तड़पने लगी।
लेकिन वो चीख नहीं पाई.. क्योंकि उसके होंठों को मैंने अपने होंठों में दबा रखा था।
अब मैं धीरे-धीरे लण्ड को उसकी चूत में आगे-पीछे करने लगा, थोड़ी देर बाद वो भी मेरा साथ देने लगी। फिर मैंने एक और झटका मारा तो मेरा लण्ड 5″ तक ही जा पाया था और उसकी आँखों से लगातार आँसू निकल रहे थे। इसके साथ ही मैंने उस पर रहम ना करते हुए एक और झटका मारा तो मेरा लण्ड उसकी चूत की गहराई में जड़ तक उतर गया।
वो रो रही थी और अपने आपको छुड़वाने की कोशिश कर रही थी। लेकिन मैंने उसे नहीं छोड़ा और उसकी चूचियों को चूसने लगा और लण्ड को उसकी चूत में धीरे-धीरे आगे-पीछे करता रहा।
थोड़ी ही देर मे वो सामान्य हो गई और वो भी मेरा साथ देने लगी।
अब वो अपनी गाण्ड को उठा-उठा कर मेरे लवड़े से चुदवा रही थी और कह रही थी- आज तक मेरे पति से कुछ नहीं हुआ.. आज आपने मुझे औरत बना दिया.. मैं आज के बाद आपकी बीवी बन के रहूँगी और आपकी सेवा करूँगी।
मैं सिर्फ उसकी चूत का बाजा बजाने में लगा था।
वो कह रही थी- आह्ह.. मेरे राजा.. मेरे पति मेरे प्रवीण.. चोदो मुझे.. और जोररर.. से चोदो.. जल्दी-जल्दी चोदो.. मेरी चूत की प्यास बुझा दो.. मैं बरसों से प्यासी हूँ।
ऐसा लगता था कि उसने पानी छोड़ दिया था.. जिसके कारण सारा कमरा ‘फचा.. फच..’ की आवाज से गूँज रहा था।
मैंने उसे पूरे 20 मिनट तक चोदा और इस बीच में वो 3 बार झड़ चुकी थी। फिर मैं भी 5-6 झटकों में झड़ गया और उसके ऊपर ही लेट गया।
वो मुझे चूम रही थी और खुशी उसकी आँखों से झलक रही थी। जब मैंने नीचे देखा तो उसकी चूत से खून और हम दोनों का मदन-रस मिल कर निकल रहा था।
मैं समझ गया कि उसके पति का छोटा आइटम किसी काम का नहीं है।
बाद में हम दोनों फ़्रैश होकर लेट गए। वो अब भी मेरे लण्ड से खेल रही थी.. जिससे मेरा लण्ड फिर से तन कर खड़ा हो गया।
मैंने उससे कहा- मुझे तुम्हारी गाण्ड मारनी है।
लेकिन उसने कहा- अभी तक चूत का दर्द तो खत्म नहीं हुआ है.. और आप और दर्द देने के लिए कह रहे हैं।
मैंने कहा- दर्द नहीं दूँगा।
मैंने उसे उलटा लेटा दिया और तेल लेकर उसकी गाण्ड पर लगा दिया और अपना लण्ड उसकी मस्त गाण्ड पर लगा कर एक जोर का झटका मारा और मेरा पूरा लण्ड उसकी गाण्ड में चला गया।
वो दर्द के मारे छटपटाने लगी। लेकिन थोड़ी ही देर में ही वो मस्त हो गई और गाण्ड को आगे-पीछे करने लगी।
अब वो कहने लगी- चोदो राजा.. आज जितना चोदना है.. चोद लो.. मुझे चोद-चोद कर अपनी रण्डी बना लो.. आह..
मैंने कहा- रात में रुकोगी?
वो कहने लगी- जब तक आप कहोगे रुकूँगी.. क्योंकि मैं आपकी बीवी हूँ.. उनकी नहीं.. उससे कुछ होता ही नहीं.. असली औरत बनने का सुख तो आपने मुझे दिया है।
हम काफ़ी देर तक चुदाई में लगे रहे और फिर मैंने अपना पानी उसकी गाण्ड में छोड़ दिया।
फिर हम फ़्रैश हो कर बैठ गए और मैंने कुछ खाने के लिए कहा। वो लेकर आई और हमने मिलकर खाना खाया।
फिर उसने अपने पति को फोन किया और कहा- हम 4 दिनों के लिए कम्पनी के काम से बाहर जा रहे हैं.. मुझे सर के साथ जाना है और अभी एक घण्टे में ही निकलना है।
फिर हम दोनों उसके घर पहुँच गए और उसके पति को सब झूठ-मूठ समझा दिया, उसके पति को विश्वास दिला दिया।
मैंने कहा- आप मेरे फोन पर फोन कर लेना। अगर फोन बन्द हो तो चिन्ता मत करना हम फ्री होते ही फोन कर लेंगे।
हम निकल पड़े और मेरे कमरे पर पहुँच गए और कमरे पर पहुँचते ही एक-दूसरे से चिपक गए। फिर चुदाई शुरू हो गई.. हम बिना कुछ किए लगे रहे।
अगले दिन मैंने ऑफिस में जाकर 4 दिन की छुट्टी ले ली। फिर हमने 4 दिन तक जमकर चुदाई का खेल खेला। उसके बाद जब भी हमें वक्त मिलता है.. हम चुदाई करते हैं।
दोस्तो, आज वो एक साल के बच्चे की माँ है.. जो मेरा है।
आपको मेरी ये आपबीती कैसी लगी.. मुझे जरूर बताइएगा।
आपके जवाब के बाद मैं आपको अपनी अगली आपबीती लिखूँगा कि कैसे मैं एक ज़िगोलो बना?
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