मेरा नाम विशाल है.. यह अन्तर्वासना की साईट पर मेरी पहली कहानी है। मैं जयपुर का रहने वाला हूँ और मेरी उम्र 25 साल है।
यह बात कुछ समय पहले की ही है.. एक दिन मैं अपनी बुआजी के घर गया, घर पहुँचते ही मैं सीधे भाभी के कमरे में घुस गया।
वहाँ पर भाभी कपड़े बदल रही थीं.. मुझे देखकर वे मेरी तरफ पीठ करके घूम गईं और बोलीं- दरवाजा नॉक करके तो आया करो.. मेरे प्यारे देवर जी!
इस पर मैं बोल उठा- भाभी के कमरे में आने के लिए नॉक करने की क्या जरूरत है?
यह बोलकर मेरी नज़र भाभी के जिस्म पर पड़ी और मैं तो भाभी का जिस्म देखते हुए बाहर को निकल गया।
हाय.. क्या मस्त गदराया हुआ जिस्म था भाभी का.. आपको बता दूँ कि मेरी भाभी का जिस्म एकदम अप्सरा जैसा है.. उनके मोटे-मोटे मम्मों.. नशीली आँखें.. सुर्ख लाल होंठ..
थोड़ी देर के बाद मैं अन्दर आया तो भाभी ने इठला कर पूछा- इतनी देर तक क्या देख रहे थे?
तो मैं सकपका गया और बोलने लगा- कुछ नहीं.. मैं तो आपके कहते ही बाहर चला गया था।
भाभी बोलीं- ज्यादा भोले मत बनो.. मैं जानती हूँ.. तुम्हारे और पड़ोस वाली पूजा के बारे में क्या चलता है।
इस बात पर मैं कुछ नहीं बोल पाया।
भाभी ने फिर से पूछा- बताओ न.. क्या देख रहे थे?
तो मैं बोला- आपकी जवानी को.. क्या फिगर है आपका भाभी.. भैया तो कदर ही नहीं करते हैं आपकी..
इस पर भाभी रोने लग गईं और बोलीं- तू सही बोल रहा है.. तेरे भैया तो मुझे छूते ही नहीं हैं एक-एक महीना हो जाता है, ‘वो’ सब करे बगैर.. उनका तो पता नहीं.. पर मैं कहाँ जाऊँ.. इसके लिए तू ही बता विशाल.. मैं क्या करूँ?
मैं भाभी को चुप कराने लग गया और बोला- भाभी यही तो जिन्दगी की कड़वाहट है।
इसी तरह कुछ देर तक बात होती रहीं.. फिर थोड़ी देर बाद मुझे पापा का फ़ोन और मैं चला गया। मुझे मालूम हो गया था कि भाभी जी अतृप्त, प्यासी चुदासी चूत चुदने के लिए कुलबुला रही है।
कुछ ही समय के बाद एक दिन भैया काम से बाहर गए हुए थे और बच्चे भी मेरे बड़े भैया के घर गए हुए थे.. घर पर सिर्फ फूफाजी.. बुआजी और भाभी रह गए थे।
बुआजी ने बोला- आज रात तू यहीं पर सो जा..
अंधे क्या चहिए.. दो आँखें.. मैंने ‘हाँ’ कर दी।
मैं रात को घर पर पापा को बोलकर बुआजी के घर आ गया और भाभी के कमरे में आ कर लेट गया।
थोड़ी देर बाद भाभी भी अपने कमरे में खाना खाकर आ गईं और कमरे में मेरी तरफ पीठ करके लेट गईं।
मैं भी थोड़ी देर लेटा रहा। थोड़ी देर बाद मुझे लगा कि भाभी सो गई हैं.. तो मैं भी सोने का नाटक करते हुए भाभी के करीब आ गया और धीरे से मैंने अपना हाथ भाभी के पेट पर रख दिया।
इस पर भाभी की तरफ से कोई एक्शन नहीं हुआ.. तो मैंने अपना हाथ भाभी के पेट पर फिराना चालू कर दिया।
इस बार भाभी के जिस्म में थोड़ी हलचल हुई और वो सीधे हो कर लेट गईं। फिर मैं धीरे-धीरे अपना हाथ भाभी के मम्मों पर लाया और उन्हें ब्लाउज के ऊपर से ही दबाना चालू कर दिया।
उनका किसी भी तरह का प्रतिरोध न होना मेरे हरी झंडी सा था। इससे मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैंने भाभी के ब्लाउज के हुक खोलना स्टार्ट किए.. कुछ ही पलों में उनका ब्लाउज पूरा खोल दिया।
भाभी ने नीचे ब्रा नहीं पहन रखी थी। मैं धीरे-धीरे उनके मस्त बोबों को दबाने लग गया।
मुझे अहसास था कि भाभी जगी हुई हैं और सोने का नाटक कर रही हैं.. पर मैं तो मम्मों को दबाने में खोया हुआ था।
थोड़ी देर बाद मैंने भाभी की साड़ी पेटीकोट के साथ धीरे-धीरे ऊपर को सरकाई। इस पर भाभी की संगमरमर सी जांघें नंगी होकर दिखाई देने लगीं।
मैंने देखा भाभी ने पैन्टी भी नहीं पहनी हुई थी।
उनकी चूत को देखने पर ऐसा लगा जैसे भाभी ने अपनी चूत को कुछ दिनों पहले ही साफ़ किया हो।
मैंने अपनी एक ऊँगली भाभी की चूत के ऊपरी भाग पर धीरे से रगड़ी।
चूत में लिसलिसापन महसूस होते ही मुझे लगा कि भाभी सच में सोने का नाटक कर रही हैं।
मैं भाभी की चूत के ऊपर के भाग को दो उंगलियों के बीच में रखकर रगड़ने लगा। इस बार भाभी के मुँह से सिसकारी छूट गई। मेरी हिम्मत और बढ़ गई और मैं भाभी के होंठों को अपने होंठों के बीच में लेकर उनका रस पीने लग गया।
थोड़ी देर बाद भाभी भी मेरा साथ देने लगीं। हम काफी देर तक एक-दूसरे को चूमते रहे।
जब हम अलग हुए तो भाभी बोलीं- मुझे पता था कि तुम्हारी नज़र मेरे ऊपर काफी दिनों से है.. और आज रात तुम मेरे साथ सेक्स करने की कोशिश करोगे। मेरी नज़र भी तुम पर थी… पर कभी मौका नहीं मिल पाया।
इस बात पर मैंने भाभी के मम्मों जोरों से दबा दिए तो भाभी बोलीं- धीरे देवर जी.. अब तो ये तुम्हारे ही आम हैं।
मैंने भाभी के सारे कपड़े खोल दिए और अपने भी खोल दिए।
भाभी मेरा लंड देखकर बोलीं- इतना मस्त लंड.. देवर जी कहाँ छुपा कर रखा था?
भाभी ने मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लग गईं.. मैं मस्त होने लगा।
थोड़ी देर बाद जब भाभी ने लंड चूसना बंद किया.. तो मैं भाभी की दोनों टांगों के बीच में आकर उनकी चूत को अपनी जीभ से चाटने लग गया।
इस हरकत से भाभी मस्त होने लगीं और ‘ऊह.. आह..’ की आवाज़ निकालने लग गईं.. जो पूरे कमरे में गूंजने लगी।
थोड़ी देर बाद भाभी बोलीं- अब मत तड़पाओ.. डाल दो मेरी चूत में.. तुम्हारा लंड..
मैंने भी देरी नहीं की.. भाभी को अपने ऊपर लेकर धीरे-धीरे अपना लंड भाभी की चूत में डाल दिया।
भाभी हल्का से उछलीं.. पर पूरे लंड को अपनी चूत में ले लिया।
फिर वो धीरे-धीरे ऊपर-नीचे होने लगीं और ‘ऊह.. आह..’ की आवाजें निकालने लगीं।
थोड़ी देर के बाद मैंने भाभी को अपने ऊपर से हटाया और उन्हें लंड की तरफ इशारा किया। वो ये इशारा समझ गईं और मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लग गईं।
फिर मैंने भाभी को लिटाया और उनके ऊपर चढ़कर उनकी चूत में अपना लंड डाल दिया।
भाभी को मज़ा आ रहा था.. वो कहने लगीं- पांच साल में तेरे बड़े भैया ने इतने मज़े नहीं दिए.. जितने छोटे ने एक रात में दिए हैं।
मैं भाभी को पूरी ताकत से ऐसे ही चोदता रहा.. थोड़ी देर में भाभी की बॉडी अकड़ गई.. और वो बोलीं- मेरा निकलने वाला है..
इस पर मैंने झटके और जोर से मारने चालू कर दिए। थोड़ी देर में भाभी का पानी निकल गया.. पर मैं अभी भी चार्ज था।
भाभी बोलीं- मुझ से तुम्हारा लंड अब चूत में सहा नहीं जा रहा है..
इस पर मैंने बोला- ठीक है..
मैंने अपना अपना लंड बाहर निकाला और भाभी के मुँह में डाल दिया।
भाभी लंड को फिर से चूसने लग गईं। थोड़ी देर बाद मैंने अपना लंड भाभी की बड़े-बड़े मम्मों के बीच में लगा दिया और भाभी से बोला- भाभी.. अपने दोनों बोबों को कस कर पकड़ लो।
वे समझ गई कि अब दूध चुदाई होना है..
फिर मैंने अपने लंड को मम्मों के बीच में आगे-पीछे करने लग गया। थोड़ी देर के बाद मेरा भी निकल गया और मैं भाभी के ऊपर ही निढाल हो गया।
हम काफी देर तक ऐसे ही लेटे रहे। थोड़ी देर बाद भाभी मेरा लंड फिर सहलाने लग गईं और वो फिर खड़ा हो गया।
भाभी भी फिर से चार्ज हो गईं और हमने फिर से अपनी चुदाई लीला शुरु कर दी।
उस रात मैंने भाभी को तीन बार चोदा। चुदाई के बाद हम दोनों नंगे ही एक-दूसरे के साथ चिपक कर सो गए।
इस सबके बाद भाभी ने अपनी किराएदारनी को भी मुझसे चुदवाया।
आपको मेरी कहानी कैसी लगी। मुझे मेरी मेल आईडी पर मेल कर के जरूर बताईएगा..
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