पहला प्यार और कुंवारी बुर की चुदाई-2

पहला प्यार और कुंवारी बुर की चुदाई-1
दोस्तो, अभी तक मेरी कहानी में आपने पढ़ा कि कॉलेज में एक देसी लड़की से मुझे प्यार हुआ और एक दिन मैं उसकी कुंवारी बुर की चुदाई के लिए तैयार था, मगर वो मान नहीं रही थी.
मैं आशा करता हूँ कि आपको मेरी कहानी पसंद आई होगी. ये किसी की हवस भरी चुदाई की कहानी नहीं है, एक प्यार भरी चुदाई की कहानी है.

पिछले भाग में मैंने अपने बारे में बताया था आपको, मेरी गर्लफ्रैंड सिया के बारे में ज्यादा नहीं बता पाया था. वो बहुत ही गोरे रंग की है, उसकी हाइट 5 फुट 3 इंच की है. उसकी फिगर 32-28-30 की है, वो बहुत ही गजब का माल लगती है. जींस और टॉप में उसे देख कर तो मेरा अक्सर लंड खड़ा हो जाता है. वो मिडिल क्लास फैमिली से है. शायद इसी लिए शादी से पहले चुदाई जैसी चीज को खराब समझती है. वो कहती है कि ये सब शादी के बाद ही ठीक है.

अब उसको कैसे समझाऊं कि मेरा उसे चोदने का बहुत मन होता है.

खैर पिछली बार जब हम घूमने गए थे तो चुदाई छोड़ कर सब कुछ हुआ था. उसने मुझे बस चोदने ही नहीं दिया था बाकी मैं उसकी बुर के ऊपर लंड रगड़ कर झड़ गया था.

अब मैं आगे के प्लान बनाने लग गया कि उसे कैसे चोदूँ. अपने चोदू दोस्तों से पूछा कि यार उसे कैसे चोदूँ, तो उनमें से एक ने बहुत सही आईडिया दिया. उसने कहा कि नेक्सट टाइम उसके ड्रिंक में जोश बढ़ा देने वाली गोली मिला देना, वो खुद बोलेगी कि आज मुझे चोद दो.

करीब 6 महीने बाद कॉलेज की छुट्टियाँ हुईं तो मैंने उसके साथ 2 दिन के लिए घूमने का प्लान बनाया. हम दोनों ने इस बार लखनऊ जाने का सोचा और चल दिए.

उसने जाने से पहले ही मुझसे कहा- बाबू, हम चुदाई नहीं करेंगे.
मैंने उसे भरोसा दिलाया कि हम बस पिछली बार जैसा ही करेंगे और कुछ नहीं करेंगे. लेकिन मेरे दिमाग में तो कुछ और ही चल रहा था. मैंने गोली पहले ही खरीद कर रख ली थी और इस बार तो ब्लू पिक्चर देख कर खूब ट्रेनिंग भी ले ली थी कि इस बार तो इसे चोद कर ही रहूंगा.

लखनऊ पहुँचने के बाद होटल में गए, रूम लिया, सामान रखा और घूमने निकल गए.
फिर रात का खाना खाने के बाद होटल के रूम में आ गए.

मैं उससे बोला- नीचे से माज़ा ले कर आता हूँ.
और बाहर आकर एक बोतल माज़ा खरीदी और एक पैकट कंडोम का ले लिया. फिर थोड़ी सी माज़ा पीकर बाकी में मैंने गोली को मिला दिया और माजा लेकर कमरे में आ गया. उसके बाद उसे माजा पिला दी और उसमें से थोड़ा खुद भी पी ली.

अब मैंने टीवी ऑन कर दिया और उसे अपनी बांहों में भर कर उसके होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा. उसने भी साथ देना शुरू कर दिया था. इसी तरह मैंने धीरे-धीरे उसके चूचियों को हाथ से मसलना शुरू कर दिया. वो अब गर्म हो रही थी और मैं उसे उतना ही मज़ा दे रहा था.

फिर मैंने उसके कपड़े निकाल दिए. अब वो मेरे सामने एकदम नंगी लेटी हुई थी. मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए और उसके पूरे बदन को चूसने लगा. मैं उसके हर एक अंग को अपने होंठों से किस कर रहा था. उसे बहुत आनन्द आ रहा था. वो ‘आह.. आह..’ के सिवाए जोर-जोर से सिसकारी भी ले रही थी.

उसकी कमर को चूमने के बाद मैंने उसकी दोनों टांगों के बीच में हाथ लगा कर उसकी चूत को सहलाने लगा. जैसे ही मैंने बुर को हाथ लगाया.. वो एकदम से उछल गई.
कहने लगी- ये क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- मज़ा आ रहा है ना..!
उसने कुछ नहीं कहा, बस अपनी क़मर हिलाने लगी.

फिर मैंने उसके चूत पर अपना मुंह लगा दिया और जीभ से चाटने लगा. अब तो समझो जैसे उसके अन्दर आग सी लग गई थी. उसने मेरे सिर को जोर से अपनी चूत पर दबा दिया और दोनों जांघों से जकड़ लिया.
दवा मिली माजा पिए हुए उसे करीब आधा घंटा हो चुका था. शायद दवा ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया था.

फिर मैंने उसकी चूत को जुबान से ही चोदना शुरू कर दिया, इससे उसे बहुत मज़ा आ रहा था. वो कमर हिला-हिला कर मादक सिसकारियां भर रही थी.

इसी तरह करीब 5 मिनट तक बुर चाटने के बाद मैं उठा और अपना लंड उसके उसके चूत पर रख कर रगड़ने लगा. इस बार उसने कुछ भी नहीं कहा. बस वो ‘आह.. आह..’ किए जा रही थी. मैंने बिना टाइम वेस्ट किए अपने लंड का सुपारा उसकी चूत के अन्दर डाला. अभी थोड़ा ही अन्दर गया था कि उसे दर्द होने लगा.
वो कहने लगी- प्लीज़ दर्द हो रहा है, आराम से करो.
मैंने कहा- जान, अब दर्द नहीं होगा.

मैंने थोड़ा लंड निकाल कर बुर के ऊपर से ही लंड को रगड़ने लगा. फिर जब वो नार्मल हुई.. तो मैंने दोबारा से लंड को छेद के निशाने पे रखा और से उसे किस करने लगा. वो किस से मस्त हुई कि इसी बीच मैंने एक जोर का धक्का लगा दिया. इस धक्के ने मेरे लंड को उसकी बुर में डाल दिया था.
वो दर्द से रोने लगी और उसने मेरे होंठों में अपने दांत गड़ा दिए.. लेकिन मैंने उसे नहीं छोड़ा.. बल्कि एक और जोर का धक्का लगा दिया. इस बार शायद आधा लंड उसकी बुर के अन्दर समा चुका था. वो बहुत जोर से रोने लगी थी, शायद उसे बहुत दर्द हो रहा था.

मैं उसे चुप करा रहा कि बस हो गया अब दर्द नहीं होगा.. पहली बार में सबके साथ होता है. मैं उसके चूचों को हाथ से मसलने लगा, उसके और होंठों पर किस करने लगा.

फिर कुछ देर में वो चुप हो गई और मेरे किस का साथ देने लगी. उसकी चूचियों के मटर के दाने एक बार फिर से टाइट हो गए थे. ये शायद मेरे लिए इशारा था कि अब मैं अपना काम शुरू करूँ.

फिर मैंने नीचे देखा तो अभी आधा लंड बाहर ही था और उस पर खून लगा हुआ था, थोड़ा सा खून चादर पर भी लग गया था. ये बात मैंने उसे नहीं बताई. मैं बस इसी आधे लंड को उसकी बुर में में अन्दर-बाहर करने लगा. इस बार वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी.

वो ‘आह उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह..’ करके मज़ा ले रही थी. फिर कुछ देर धक्का लगाते-लगाते मैंने एक और जोर का धक्का दे दिया और अब पूरा लंड उसकी चूत की गहराई में समा चुका था.

वो फिर से दर्द में आ गई लेकिन इस बार मैंने धक्का मारना बन्द नहीं किया और वो भी कुछ देर में मेरा साथ देने लगी. हम दोनों एक-दूसरे के बांहों में समा चुके थे, उसका सारा दर्द जा चुका था और वो अब चुदाई का मज़ा ले रही थी.
वो बीच-बीच में मुझे ‘आई लव यू..’ कह रही थी.. और मैं उसका जवाब हर बार एक जोर के धक्के के साथ देता जा रहा था.

बस कुछ ही देर के बाद मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ और ये सोचने के पहले ही झड़ गया. मैंने सारा माल उसकी चूत में ही गिरा दिया और पस्त होकर उसके ऊपर ही गिर गया. मेरा लंड भी सिकुड़ कर बाहर आ गया था, वो भी बहुत खुश लग रही थी.

फिर मैंने उसको अपनी बांहों में भरते हुए उसके होंठों पर चुम्मा देकर मैंने उससे कहा- आई लव यू.. आज तुमने मुझे दुनिया की सबसे बड़ी ख़ुशी दी है.
उसने भी मुझसे यही कहा और हम एक-दूसरे को किस करने लगे. पहली बार में ही इतना माल निकल गया था जैसे अब मेरी टंकी खाली हो गई हो. आज तक मुठ मारने में इतना माल कभी नहीं निकला था.

मैंने उससे कहा- जाओ बाथरूम से फ्रेश हो कर आ जाओ.
इतने में उसकी नज़र खून के धब्बे पर पड़ गई और वो कहने लगी- ये क्या है?
मैंने उससे कहा- क्या बायोलॉजी नहीं पढ़ी हो.. कुंवारी चूत की सील टूटती है तो खून आता ही है, ये वही है.

फिर वो समझ गई कि अब वो कुंवारी नहीं रही. वो बुर धोने बाथरूम में चली गई. मैंने झट से बेड से चादर हटा दिया और उसके बाद टॉवल लेकर बाथरूम में चला गया. पहले तो वो दरवाज़ा नहीं खोल रही थी, फिर उसने खोल दिया और हम साथ में नहाए.

इसके बाद कमरे में आकर लेट कर बात करने लगे. बात-बात में ही कब हमें नींद आ गई.. पता ही नहीं चला.

दोस्तो ये थी मेरी और सिया की पहली चुदाई की कहानी.. उसके बाद तो बस वो जैसे मुझसे चुदने का मौका ढूंढती थी और वक़्त के साथ हम दोनों इस चुदाई के खेल में एकदम मस्त परिपक्क्व चुदक्कड़ हो गए थे.

आपको मेरी देसी चुदाई की कहानी कैसी लगी.. बताइएगा जरूर.
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