Pyar Ka Izhar Nahi Kar Pa Raha
मेरा नाम राहुल केजरीवाल है (अजीब संयोग है) मैं दिल्ली में रहता हूँ जॉब कर रहा हूँ।
मेरी समस्या यह है कि मैं अपने साथ काम करने वाली एक लड़की पर मरने लगा हूँ। यह सिर्फ एक तरफा मामला है लेकिन मुझे यह एक अच्छा लग रहा है, मेरे अंदर हर पल उस मधुर भाषिणी, मनोहर रूप वाली, जादुयी भाव भंगिमा वाली सुन्दरी को देखने के लिए लालसा जागृत रहती है। उसे देख कर मेरे अंदर कुछ कुछ होता है, मन करता है कि उसे अपने सामने बैठा कर उससे ढेर सारी बातें करूँ, अपने दिल की चाहत उसके सामने कह दूँ कि मैं उसे बहुत पसंद करता हूँ, मैं उस पर मर मिटा हूँ।
लेकिन दुर्भाग्य से मेरे लिए विभिन्न कारणों से मैं ऐसा नहीं कर सकता हूँ, अपने दिल की चाहत, अपने प्यार का इजहार नहीं कर सकता।
सबसे बड़ा कारण है कि हम दोनों विभिन्न संस्कृतियों से हैं, हम विजातीय हैं। मुझे व्यक्तिगत रूप से अंतर्जातीय, अंतर-सांस्कृतिक रिश्तों के साथ समस्या नहीं है, लेकिन मेरे परिवार को यह स्वीकार नहीं होगा। मुझे लगता है कि उन्हें स्वीकार नहीं होगा।
सही बताऊँ तो जो हालात अब मेरे सामने हैं, मेरे लिए बहुत मुश्किल हो रहा है क्योंकि अभी तक मैं वही करता आया हूँ जिससे मेरे परिवार वाले खुश रहें!
साथ ही एक बड़ा कारण यह है कि लड़कियों के मामले में मैं हमेशा फिसड्डी ही रहा हूँ, अभी तक मैं उसे अपने मैन बात कहना तो दूर, उसे अहसास भी नहीं करा पाया हूँ कि मैं उसकी तरफ आकर्षित हूँ..
मेरी सबसे गंभीर समस्या यह है कि जब भी वह आसपास होती है तो मैं कुछ भी सोचने समझने में असमर्थ हो जाता हूँ, मुझे समझ ही नहीं आता कि मैं उससे सामान्य वार्तालाप भी कैसे करूँ.. यह सोच कर मैं उससे कोई बात ही नहीं करता, मुझे लगता है कि वो मेरे बारे में अकडू, घोंचू, चूतिया, फुद्दू, फट्टू जैसे विचार रखती होगी।
जबकि वो खुद काफी दिलकश, मिलनसार जवान लड़की है, उससे मेरा बात ना करना असभ्यता है, वह ऎसी है कि हमेशा बातचीत में सब लोगों को शामिल करना चाहती है, मुझे ऐसा लगता है सारी गड़बड़ मेरी तरफ से ही है।
अपने इस मूर्खतापूर्ण व्यवहार से मुझे शर्म आती है, मैं शर्मिंदा महसूस करता है और यह शर्मिंदगी मेरी निराशा को और बढ़ा देती है।
मैं क्या करूं?