ममेरी दीदी अर्चना की चूत चुदाई

दोस्तो.. मेरी बुआ के बेटे ने मेरी चूत चोदी, वही घटना कहानी के रूप में अपने उसी चोदू भाई के शब्दों में पेश कर रही हूँ।

मेरा नाम रोहन है.. मेरी फैमिली में मेरे पापा.. मम्मी.. भाई और दो बहनें हैं। मैं पुणे का रहने वाला हूँ। मैं अभी 18 साल का हूँ और

अभी 12 वीं में हूँ। मेरी हाइट 5 फीट 7 इंच है.. मेरा जिस्म एकदम फिट है और मेरे लौड़े का आकार 7 इंच का है।

यह मेरी जिन्दगी की पहली चुदाई है, मैंने अपनी ममेरी बहन अर्चना है की चूत चोदी थी, उनकी उम्र 21 साल है और उनके जिस्म का

कटाव यही कोई 32- 28-36 है। उनके उठे हुए मम्मों को तो देखते ही उन्हें चोदने का मन करने लगता है।

बात आज से दो साल पहले की है, हम लोग गर्मियों की छुट्टियों में मामा के यहाँ गए थे। मेरे मामा के घर में मामा- मामी.. एक बहन

और 2 भाई हैं। ममेरी बहन हम सबमें बड़ी हैं।

उनको देख कर हमेशा चोदने का मन करता था.. पर डर भी लगता था। मैं अक्सर उनको छुप कर नहाते हुए देखता था। क्योंकि गाँव में

हैंडपंप पर ही सब नहाते थे और हैंडपंप आँगन के बीचों-बीच लगा हुआ था.. जिस वजह से सब कुछ खुलेआम दिखता था।
रोज़ यह देख कर मैं मुठ्ठ मार कर संतोष कर लेता था।

गाँव में अक्सर लाइट नहीं आती थी.. तो हम सब अक्सर छत पर ही सोते थे।
एक दिन की बात है.. मैं रात में जल्दी सो गया और आधी रात को पेशाब करने के लिया उठा.. तो मैंने देखा कि अर्चना दीदी मेरे बगल

में सोई हुई हैं। मैं उनके कसे हुए मम्मों को निहारता रहा।

तभी मैंने धीरे से उनके आमों को मसकने की कोशिश की और धीरे से अपना हाथ उनके मम्मों पर रख दिया।

आअह्ह्ह… दोस्तों क्या बताऊँ.. एकदम मखमल की तरह लग रहा था। थोड़ी देर तक ऐसे ही हाथ रखे रहा और कुछ देर बाद जब दीदी

की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई.. तो मेरा मन अब कुछ और करने का होने लगा।

मैंने धीरे से उनकी एक चूची को दबाने लगा। तभी मेरे अंडरवियर में कुछ हरकत होने लगी और मेरा लंड फनफनाने लगा।

कुछ देर ऐसे ही करने के बाद मेरा एक हाथ दीदी की चूची पर.. तो दूसरा हाथ अपने लंड पर था।

कुछ देर बाद मैं चूचियों को कपड़े के अन्दर से महसूस करना चाह रहा था.. तो मैंने उनके कुरते के गले में धीरे से हाथ डाला ही था कि

दीदी ने करवट बदल ली।
मेरी तो गांड ही फट गई कि कहीं दीदी जाग तो नहीं रही हैं।
मैंने जल्दी से अपना हाथ वापिस खींचा और सोने का नाटक करने लगा।

लगभग 5 मिनट के बाद मैंने देखा कि दीदी की गाण्ड और मेरा लंड.. दोनों आमने-सामने हैं। तभी मैंने सोचा कि चलो गाण्ड को भी

स्पर्श कर लिया जाए।
तो मैं धीरे से अपना सिर उनके पैरों की तरफ करके लेट गया और उनके गाण्ड पर हाथ रख कर धीरे से सहलाने लगा, मेरा लंड फिर

टाइट हो चला।
अब मन नहीं मान रहा था.. तो मैंने पैन्ट के अन्दर ही धीरे-धीरे लौड़ा सहला कर मुठ्ठ मार ली और सो गया।

अगले दिन सुबह मैं जब बरामदे से होते हुए दूसरे कमरे में जा रहा था कि अचानक तभी अर्चना दीदी ने मुझे पीछे से पकड़ लिया और

अपने सीने से चिपकाया और जल्दी से दूसरे कमरे में चली गईं।
उस वक़्त सब कोई आँगन में बैठे हुए थे.. पहले तो मैं डर गया कि कहीं दीदी मुझे पकड़ कर सबके सामने ले जाकर रात वाली बात न

बता दें..

लेकिन जब दीदी दूसरे कमरे में जाते हुए पीछे मुझे देखते हुए हंस रही थीं.. तो अब मुझे तो मानो हरी झंडी मिल गई थी।
उनके पीछे से मैं भी उस कमरे में चला गया और तभी दीदी ने मुझे कस कर जकड़ लिया और धीरे से बोलीं- रात को काफी मज़े ले रहे

थे..
तो मैं भी मौके पर चौका मारते हुए उनके मम्मों को दबाने लगा, वो धीरे से आँख बंद करके चूचों को मसलवाने के मजे लेने लगीं।
उन्होंने धीरे से कान में कहा- रात में नीचे कमरे में आ जाना..
यह कह करके उन्होंने तो मानो मेरे सपनों को पूरा कर दिया, अब तो बस मुझे रात का इंतज़ार था, पूरा दिन काटना मुश्किल हो रहा

था.. बस यही सोच रहा था कि कब रात होगी।

रात को वो धीरे से उठी और मुझे भी इशारा करते हुए नीचे चलने को कहा.. तो मैं भी धीरे से उनके पीछे चल दिया।
नीचे कमरे में पहुँच कर दीदी मुझे देख कर हँसने लगीं और पूछा- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?
तो मैंने कहा- नहीं..
फिर दीदी ने कहा- कभी सेक्स किया है?
मैंने कहा- नहीं..

फिर मैंने पूछा- क्या आपका कोई दोस्त है?
तो वो बोलीं- देखो.. है तो.. पर आजकल बॉयफ्रेंड होना कोई बड़ी बात नहीं है।
मैंने भी ‘हाँ’ में सिर हिला दिया।

तभी धीरे से दीदी मुझे चुम्बन करने लगीं और अपने होंठों को मेरे होंठों के साथ सटा कर एक लम्बा चुम्बन किया।
मैं भी धीरे से उनके मम्मों को दबाने लगा। मम्मों को दबवाते ही वो एकदम से गरम हो गई और इधर मेरा लंड भी उफान पर आ गया

था।

तभी दीदी ने मेरे लंड को पकड़ लिया और उसे हाथ में लेकर सहलाने लगीं, मैंने भी उनकी चूत को ऊपर से ही मसलना शुरू कर दिया।
थोड़ी देर बाद दीदी के सलवार सूट को मैंने उतार दिया, दीदी ने सफ़ेद ब्रा और काली पैन्टी पहनी हुई थी।
मैंने उनकी ब्रा के हुक को धीरे से खोल दिया।
आह्ह… दोस्तों.. क्या तने और कसे हुए चूचे थे.. मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मैं दोनों हाथों से उनकी चूचियों को सहलाने और दबाने

लगा, दीदी धीरे धीरे सिसकारियाँ लेने लगीं।
फिर उसने कहा- भाई इसे चूस डाल.. चूस-चूस कर इसका रस निकाल दे।

मैं भूखे शेर की तरह टूट पड़ा और चूचियों को दबाने और चूसने लगा। कुछ देर बाद दीदी के निचले हिस्से की तरफ हाथ बढ़ाया और

अन्दर हाथ डाल कर चूत को कुरेदने लगा।
अब दीदी ने मेरे लंड को पकड़ा और हिलाने लगी.. और उसने एक झटके में ही मेरी चड्डी भी उतार दी।
मेरा 7 इंच का लंड तन कर दीदी के सामने खड़ा था। दीदी भी भूखी शेरनी की तरह लंड को निहारने लगी और नीचे झुक कर उसने मेरे

लंड को अपने मुँह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चाटने लगी।
आआह्ह्ह.. क्या मज़ा आ रहा था.. ऐसा लग रहा था कि मैं ज़न्नत में हूँ।

कुछ देर लण्ड चूसने के वो बाद वो ज़मीन पर लेट गई और अपने दोनों पैर फैला कर और मुझे चूत चोदने के लिए बुलाने लगी। मैं भी

उसकी दोनों टांगों के बीच में जा कर बैठ गया।
मैंने अपने मुँह से दीदी की चूत को चूम लिया। मेरे मुँह लगाते ही दीदी के मुँह से मादक सिसकारी निकल गई- आआह्ह्ह… चूस भाई…

अब मैं दीदी की चूत को चूसने लगा और अपनी जीभ को उनकी चूत के बीच डाल कर चूतरस को साफ़ करने लगा। करीब दस मिनट

तक मैं ऐसे ही लपर-लपर चूत चूसता रहा।
अब दीदी पागलों की तरह मेरा सिर अपने हाथों से पकड़ कर अपनी बुर में खींच रही थीं, दीदी कह रही थीं- अब चोद दे.. भाई.. चोद दे..

मैं अपना लंड दीदी की चूत के छेद के पास ले जाकर डालने की कोशिश करने लगा.. लेकिन मैं लौड़ा पेलने में सफल नहीं हुआ.. तो

दीदी ने मेरी मदद करते हुए मेरे लंड के सुपारे को चूत के छेद के निशाने पर लगाया.. और तभी मैंने धीरे से एक झटका लगा दिया।

मेरे लंड का सुपारा दीदी की बुर में घुस गया.. लेकिन दीदी को दर्द नहीं हुआ तो मैंने पूछा- दर्द क्यों नहीं हुआ?
तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा- मेरी चूत की झिल्ली फट चुकी है भाई..
यह जान कर मैंने एक और तेज़ झटका लगा दिया और मेरा पूरा 7 इंच का लंड अन्दर चूत में समां गया।
अब दीदी को थोड़ा सा दर्द हुआ.. तो मैं रुक कर के दीदी को चुम्बन करने लगा और चूचियों को दबाने लगा।

कुछ देर बाद जब दीदी सामान्य हुईं तो मैं अपने लंड को आगे-पीछे करने लगा।
दीदी के मुँह से मस्त आवाजें आने लगीं- आआह… आअईई… फाड़ दे बहनचोद..
मैं भी तेज़ी से झटके देने लगा.. कुछ देर बाद दीदी भी गाण्ड उठा-उठा कर साथ देने लगी।

दस मिनट बाद दीदी का बदन अकड़ गया और वो झड़ गई.. पर मैं रुका नहीं.. बल्कि और जोर-जोर से पेलता रहा। पूरे कमरे में चुदाई

की आवाज़ ‘छप.. चाआप…. फच.. पछह..’ आने लगी।

काफ़ी देर तक चोदने के बाद मैं भी झड़ने वाला था, मैंने दीदी से पूछा- कहाँ निकालूँ?
दीदी ने कहा- मुझे पीना है।
तो मैंने लंड को बुर में से निकाल कर दीदी के मुँह में लगा दिया.. माल को पिचकारी की तरह उनके मुँह में पूरा डाल दिया।
दीदी ने सारा का सारा वीर्य पी लिया और मेरे लंड को चाट-चाट कर साफ़ कर दिया।

उसके बाद मैं और दीदी नंगे ही एक-दूसरे से लिपट गए और एक-दूसरे के ऊपर सो गए। उस रात दीदी को मैंने बार-बार चोदा।
अब हर गर्मियों की छुट्टियों में दीदी को जाकर खूब चोदता हूँ।

दोस्तो.. आपको मेरी यह चुदाई कथा कैसी लगी.. प्लीज मुझे जरूर बताईएगा और अपने कमेंट्स जरूर लिखें ताकि मैं आपको अपने और

बाकी के चुदाई के किस्से सुना सकूँ।

मुझसे कोई गलती हो गई हो.. तो मुझे माफ़ कर दीजिएगा.. क्योंकि यह मेरी पहली चुदाई की कहानी है। मुझे आप लोगों के कमेंट का

इंतज़ार रहेगा। ये ईमेल आईडी भी दीदी की ही है।
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