मामा की बेटी ने चूत चोदना सिखाया-2

अभी तक आपने पढ़ा..
दीदी मेरे मुँह से लंड शब्द सुनना चाहती थीं।
मैंने भी बोल दिया- दीदी लंड..
तो बोली- पहले दीदी बोलना बंद कर.. फिर ठीक करूँगी उसे..
मैंने कहा- ठीक है.. तो आपको क्या बोलूँ..
बोली- कुछ भी बोल.. पर दीदी नहीं..
मैंने कहा- ठीक है।

उन्होंने मेरा लंड कैपरी से बाहर निकाला और हाथ में ले लिया, लौड़ा देख कर वो कहने लगी- अबी तेरा तो बहुत बड़ा है।
मेरी ममेरी बहन मुझे चोदना सिखा रही थी मुझे बहुत मजा आ रहा था।
मैंने फिर से उन्हें किस करना शुरू किया.. वो भी मेरा साथ पूरा दे रही थी।
अब आगे..

मैंने कहा- यार पहले इसे ठीक करो.. बाकी बातें बाद में..
वो बोली- ठीक है..
इतना कहते ही उसने पहले मेरे लंड पर किस किया.. तो मुझे गुदगुदी हुई।

मैंने कहा- ओह्ह.. यह क्या कर रही हो तुम?
वो बोली- ठीक कर रही हूँ..
फिर वो मेरे लौड़े को मुँह में डाल कर चूसने लगी। मुझे बड़ी गुदगुदी हो रही थी और मजा भी आ रहा था।

फिर उसने लंड मुँह से निकाला और टोपे को आगे-पीछे करने लगी। मुझे बहुत मजा आ रहा था और तभी थोड़ी देर बाद मेरे लंड से एक तेज धार निकली और सीधा उसके कपड़ों पर जा गिरी।
मैंने कहा- यह क्या था?
वो बोली– ये पानी होता है.. अब ठीक हो जाएगा तेरा लंड..

मैं लेट गया और वो बाथरूम में जाकर अपने कपड़े साफ़ कर के आई और आकर मेरे साथ लेट गई।
मैंने उनसे पूछा- ये पानी क्यों निकलता है?
तो उसने बताया- इस पानी से ही बच्चा पैदा होता है।
मैंने पूछा- वो कैसे?

तो मेरा हाथ पकड़ कर अपनी फुद्दी पर ले गई और बोली- जब तेरा लंड फुद्दी में जाएगा और यह पानी अन्दर छूट जाएगा तो बच्चा पैदा होगा।
मैं नहीं समझा था और उन्हें यह पता लग गया था कि मैं अभी नहीं समझा हूँ।
तो बोली- कोई बात नहीं.. तुझे कल कबड्डी खेलना सिखाऊँगी।
मैंने कहा- वो तो आती है मुझे..
वो बोली- नहीं.. यह दूसरी किस्म की होती है।
मैंने पूछा- कैसी?
तो बोली- बच्चा पैदा करने वाली..

फिर थोड़ी देर तक हम दोनों ने चूमा-चाटी की और फिर हम सो गए।

अगली रात फिर हमने किस से शुरू किया और आज वो मेरा हाथ अपनी सलवार के अन्दर ले गई.. उसके छोटे-छोटे बालों को मैं अपने हाथ से महसूस कर सकता था।
वो बोली- पहले इसे ठीक से सहलाना सीख.. मतलब कबड्डी खेलने से पहले लड़की को गरम करना सीख ले फिर कबड्डी खेलने का और ज्यादा मजा आएगा।
मैंने कहा- सिखाओ.. फिर देर किस बात की है..

वो अपने हाथ से मेरे हाथ को पकड़ कर काम करवा रही थी और मुझे बताती जा रही थी।
मैंने कहा- आप सलवार खोल दो.. ऐसे में मेरे हाथ को दिक्कत हो रही है।
यह कहानी आप अन्तर्वासना पर पढ़ रहे हैं।

उसने सलवार उतार दी। जैसा उसने मुझे बताया था.. मैं भी वैसे ही ऊँगली करने लगा।

वो ‘आह.. आह.. ऊह.. ऊह..’ कर रही थी, फिर बोली- इसे अब जीभ से चाट..
मैंने कहा- नहीं.. यह गन्दी जगह है।
वो बोली- चाट तो.. पता लग जाएगा कि गन्दी है.. या अच्छी..

मैंने भी वैसा ही किया.. अब वो मेरा सर पकड़ कर अपनी गुदगुदी फुद्दी पर दबा रही थी और बोल रही थी- अबी चोद दे.. इसे.. अच्छे से चोद इसे.. अब रहा नहीं जाता.. चोद दे इसे.. अआ.. आह.. आह्ह्म..
ये सब करने में मुझे भी मजा आ रहा था और मेरा लंड भी रॉड बना हुआ था। उसने मेरा लंड पकड़ा हुआ था और हिला रही थी।

फिर वो बोली- अबी मेरे ऊपर आ जा..
मैं उसके ऊपर उल्टा हो कर चढ़ गया.. तो बोली- तू मेरी फुद्दी चाट.. मैं तेरा लंड चूसती हूँ।

अब हम ऐसा करने लगे.. इस खेल में मुझे बहुत मजा आ रहा था और मैं अपने लौड़े को उससे खूब चुसवा भी रहा था।
थोड़ी देर बाद मैंने कहा- मेरा निकलने वाला है..
वो बोली- कोई बात नहीं.. तू चाटता रह..

मैं बुर चाटने लगा और थोड़ी देर में वो भी झड़ गई और मैं भी निकल गया। उसने मेरा सारा पानी चादर पर गिरा दिया था और उसका पानी भी चादर पर गिर गया था।
अब मैं सीधा होकर उसके साथ चिपक गया।

वो बोली- अबी मुझे चोदेगा?
मैंने कहा- मुझे नहीं चोदना आता।
बोली- कोई बात नहीं.. मैं कल सब सिखा दूँगी।

फिर हम एक-दूसरे को चिपटा कर लेट गए। हमें ये सब करते हुए रात के 4 बज गए थे.. हम दोनों सो गए।

सुबह मैंने पूछा- मम्मी-पापा कहाँ हैं और कोई सीखने वाली भी नहीं आईं..
तो वो बोली- गांव में किसी की मौत हो गई है.. तो तेरे मम्मी-पापा वहीं गए हैं.. उन्हें तीन-चार दिन लग जाएंगे।
मैंने कहा- ठीक है..

मैंने उसे अपनी बाँहों में ले लिया।
वो बोली- बड़ा प्यार आ रहा है..।
मैंने कहा- प्लीज़ आप मुझे अभी चोदना सिखा दो न..
वो बोली- दोपहर को सिखाऊँगी.. पहले सारा काम खत्म करने में मदद कर।

अब मैं और वो जल्दी-जल्दी काम खत्म करने लगे और काम खत्म करके हमने दोपहर का खाना खाया और फिर मैंने कहा- अब सिखा दो।

तो उसने अपने होंठ मेरे होंठों से लगाए और मुझे किस करने लगी.. साथ ही मेरे लंड को हाथ से पकड़ कर सहलाने लगी।
मैं भी चुम्बन में पूरा साथ दे रहा था.. और उनके मम्मों को पूरे दम से दबा रहा था।
मैंने उससे कहा- मैं तुम्हारे मम्मों को चूसना चाहता हूँ।

तो उसने अपनी कमीज उतार दी.. साथ में सलवार भी निकाल दी। उसने गुलाबी ब्रा और नीले रंग की फूलों वाली पैंटी पहनी हुई थी।
मैं पहली बार ऐसे किसी को देख रहा था.. वो बहुत ही अच्छी लग रही थी।
मैंने एकदम से उससे चिपक कर उसकी ब्रा ऊपर की और उसके भरे हुए मोटे-मोटे मम्मों को चूसने लगा।

वो ‘आह.. आह..’ कर रही थी.. उसके चूचे एकदम सख्त हो गए थे। मैंने एक हाथ उसकी पैंटी में डाला और उसकी मलाई सी मस्त फुद्दी को सहलाने लगा।
वो अब गर्म हो रही थी.. बोली- अबी चोद दे.. अब मुझे रहा नहीं जा रहा है।
मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया.. और उसकी फुद्दी को चाटने लगा.. वो बहुत मचल रही थी।
बोली- चोद दे.. प्लीज़ अबी..
यह कहते-कहते ही वो झड़ गई।

मैंने अब उसे किस करने लगा.. तो उसने मेरा लंड कैपरी से बाहर निकाला और अपनी फुद्दी के मुँह पर रख दिया।

अब उसने चुदासी होते हुए कहा- धक्का मार साले..
मैंने एक तगड़ा झटका मारा.. लेकिन लंड अन्दर नहीं जा रहा था।
तो रीना बोली- रुक एक मिनट..

वो उठ कर रसोई में गई और तेल लेकर आई। उसने मेरे लंड पर तेल लगा दिया फिर चित्त हो कर उसने चूत फैला ली और बोली- अबी.. अब मार..
मैंने धक्का लगाया तो लंड अन्दर जाने लगा.. लेकिन दर्द हो रहा था।
मैंने थोड़ा जोर से धक्का लगाया.. तो मेरा लंड आधा अन्दर चला गया और बहुत दर्द करने लगा।
रीना की भी चीख निकल गई और उसकी फुद्दी से खून निकलने लगा।

मैंने फिर जोर से धक्का मारा और मेरा लंड अबकी बार पूरा अन्दर था।
रीना चीख रही थी और रो रही थी.. मुझे भी बहुत दर्द हो रहा था। मैं रीना पर लेट गया और उसे चूमने लगा।
थोड़ी देर बद जब दर्द कम हुआ तो मैं लंड आगे-पीछे करने लगा।

मुझे अब भी हल्का-हल्का दर्द हो रहा था और रीना को भी दर्द हो रहा था। मैंने फिर लंड को आगे-पीछे करना थोड़ा तेज कर दिया.. रीना के मुँह से सिस्कारियाँ निकलने लगीं।
‘आहाहाह.. ओह.. आह..’
कमरे में ‘पुच.. पुच..’ की आवाज होने लगी।

मैं 5 मिनट बाद झड़ गया। मैंने अपना पानी रीना की फुद्दी के बाहर छोड़ दिया था.. क्योंकि उसने बताया था कि अगर पानी अन्दर छोड़ दोगे तो बच्चा हो जाएगा।

इस तरह रीना की चुदाई करते-करते शाम के सात बज गए थे। चूंकि आज हम दोनों अकेले थे.. तो सारी रात अपनी थी.. और अगले दो-तीन दिन भी उस की चूत बजाने का मौका था।

उस दिन मैंने रीना को दो बार और चोदा.. और उन दो दिनों में मैं एकदम पक्का चुदक्कड़ बन गया।

अब उसकी शादी हो गई है.. उसकी शादी के बाद मैंने उसकी गांड भी मारी.. सच में उसके साथ बहुत मजा किया।
मैं उसे थैंक्स करना चाहूँगा.. जो उसने मुझे चुदाई की कबड्डी खेलना सिखाई।

दोस्तो, कैसी लगी मेरी कहानी.. अगर कोई गलती हो गई हो.. तो माफ़ करना मुझे मेल करें।
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