जवान विधवा टीचर की मस्त चुदाई

हैलो.. मेरा नाम मनोज है, मैं जयपुर का रहने वाला हूँ, टीचर हूँ। मेरी उम्र 25 साल है.. मेरा लंड 7 इंच का है। मुझे हमेशा से ही शादीशुदा औरतें अच्छी लगती हैं।
मैं जयपुर से एक-दूसरे कस्बे में बाइक से रोज पढ़ाने जाता हूँ। रोज आते-जाते हुए मेरी मुलाकात एक लेडीज टीचर अनुराधा से हुई.. वो भी उसी कस्बे में रोज पढ़ाने जाती है।

एक दिन वो बस स्टैंड पर खड़ी होकर बस का इन्तजार कर रही थी.. मैंने उससे पूछा- क्या मैं आपको आपके स्कूल तक छोड़ सकता हूँ?
तो उसने तुरंत ‘हाँ’ भर दी- ठीक है..

इसके बाद हमारा रोजाना का साथ जाने का नियम बन गया, रास्ते में हम दोनों बातें करते-करते जाते थे।
उसने बताया कि उसकी शादी तो हो गई थी लेकिन एक महीने बाद ही उसके पति का देहांत हो गया।

सच कह रहा हूँ दोस्तो.. देखने में क्या माल लगती थी वो.. एकदम कमसिन लौंडिया.. चाहे 18 साल की लड़की को देख लो.. चाहे उसको देख लो..
एक दिन बातों ही बातों में वो मुझसे बोली- क्या आपकी शादी हो गई है? लेकिन मैंने उससे मना कर दिया- मैं अभी अनमेरिड हूँ।
इसी तरह रोज साथ जाते हुए हम काफ़ी अच्छे दोस्त बन गए।

एक दिन वो बोली- मैं आते टाइम भी आपके साथ चलूंगी।
तो मैंने कहा- ठीक है आप शाम को स्कूल वाले स्टैंड पर मेरा इन्तजार करना।

वो राज़ी हो गई। मैं शाम को उसको लेने पहुँचा.. तो मेरे मन में एक ख्याल आ रहा था कि आज कुछ भी हो जाए अनुराधा को चोदना है।
मैं उसे लेने स्टैंड पर पहुँचा तो शाम के 5 बज चुके थे और सर्दियों में तो 5 बजे ही अंधेरा हो जाता है।
मैंने उससे बोला- चलें?

तो वो मेरी बाइक पर दोनों तरफ पैर करके बैठ गई और उसने मुझे कस कर पकड़ लिया। मैं भी उसकी ये हरकत देख कर दंग रह गया।
मैंने उससे बोला- बाइक चलाते हुए मुझे सर्दी लग रही है।

तो उसने मुझे अपनी शाल उढ़ा दी और खुद ने भी ओढ़ ली और मुझे पीछे से एक प्यारी सी किस देते हुए बोली- मनोज आई लव यू वेरी मच..
मैंने अंधेरा देख कर रोड के नीचे बाइक उतार दी और दोनों उतर कर हम एक-दूसरे को जबरदस्त किस करने लगे।
आप यह कहानी अन्तर्वासना के माध्यम से पढ़ रहे हैं।
वाह.. मुझे तो उसके चूचों का रस पीने के बाद मज़ा ही आ गया।

फिर वो कामुक स्वर में बोली- यहाँ तो कोई देख लेगा.. घर पर चलकर करते हैं।

मैं भी राज़ी हो गया.. दस मिनट बाद हम घर पर पहुँच गए।
घर पर पहुँचते ही अनुराधा ने मेरे ऊपर चुम्बनों की बरसात कर दी।
मैं भी कहाँ पीछे रहने वाला था, मैंने भी उसके एक-एक कपड़े उतार कर उसको पूरी नंगी कर दिया, उसने भी मेरे सारे कपड़े उतार दिए।

फिर वो मुझे अपने बेडरूम में ले गई और मैंने वहाँ पर उसकी चूत को बहुत बुरी तरह से चूसा.. वो पागलों की तरह तड़पने लगी, दो मिनट बाद ही वो झड़ गई, उसकी चूत का पूरा पानी मैं पी गया।

फिर वो बोली- प्लीज़ मुझे अब मत तरसाओ.. आठ महीने हो गए मुझे बिना चुदवाए.. मुझे चोदो.. प्लीज़ फाड़ दो मेरी चूत को..
मैंने भी उसकी दोनों टाँगों को चौड़ा करके अपना खड़े लण्ड का सुपारा.. उसकी चूत पर रख दिया और एक ज़ोर का धक्का लगा कर पूरा लण्ड उसकी चूत में पेल दिया। वो दर्द के मारे बुरी तरह तड़पने लगी और उसकी आँखों में आँसू आ गए।

मैं थोड़ी देर रुका.. फिर वो मुझे चूमकर बोली- राजा अब रुकने का टाइम नहीं.. चलो फाड़ दो मेरी चूत को.. ये रानी सदा आपकी बनके रहेगी।
मैंने कम से कम 30 धक्के लगाए.. इसी बीच उसने मुझे कस कर पकड़ लिया और झड़ गई।
अब मैं भी झड़ने वाला था.. तो मैंने पूछा- वीर्य पूरा चूत में ही डाल दूँ क्या?
वो बोली- बिल्कुल.. पूरा ही डाल दो.. जिससे मेरी आग शांत हो जाए मेरे राजा..

मैंने पूरा वीर्य उसकी कोमल सी चूत में झाड़ दिया। कुछ देर बाद हम दोनों उठे और उसके बाद वो रसोई से कॉफ़ी बना कर लाई और हमने कॉफ़ी पी।

फिर रात को मैंने लगातार उसको चार बार और चोदा.. सुबह उसने मुझे खूब प्यार किया और बोली- आपका जब दिल करे.. तब आपकी जान आपके लिए हाजिर है.. मैं हमेशा आपके लण्ड से चुदने के लिए राजी हूँ।

आपको मेरी कहानी कैसी लगी.. मुझे ईमेल के द्वारा ज़रूर बताएं।
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