नौकरानी को बनाया बिस्तर की रानी- 1

गाँव की लड़की मेरी माँ ने मेरे पास भेजी घर के काम के लिए. मुझे उसका जिस्म इतना सेक्सी लगा कि मैं उसे सेट करके चुदाई करने की चाहत करने लगा.

नमस्कार दोस्तो, मैं कोमल मिश्रा अपनी एक नई सेक्स कहानी में आप सभी पाठको का स्वागत करती हूं.
मेरी अभी तक जितनी भी कहानियां अन्तर्वासना पर प्रकाशित हुई हैं, उन्हें आप सभी ने काफी पसंद किया, उसके लिए बहुत बहुत शुक्रिया.

मेरी पिछली कहानी थी: लॉकडाउन में ससुर बहू की चुदाई की मस्ती

मैं हमेशा ही कोशिश करती हूं कि आप लोगो तक सबसे अच्छी कहानियां पहुंचाऊं.
मुझे इस समय ढेरों कहानियां मिल रही हैं लेकिन ज्यादातर कहानियां पढ़ने से ही पता चल जाती हैं कि ये बनाई हुई हैं.
और बनाई हुई कहानियां मुझे बिल्कुल पसंद नहीं हैं.
कहानी में कुछ तो सत्य होना चाहिए और जिसे पढ़ने के बाद शरीर की कामोत्तेजना बढ़ जाए.

आइए आज की सेक्स कहानी की तरफ चलते हैं. इसे राजेश जी ने भेजा है. इनकी कहानी मुझे काफी उत्तेजना भरी लगी, इसलिए मैं इसे आपके लिए पेश कर रही हूँ.

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम राजेश कुमार है और मैं दिल्ली में काम करता हूँ.
मेरा असली घर उत्तर प्रदेश में है.

मेरी उम्र 47 साल है और मैं सेक्स का आदी हूँ.
सेक्स मुझे इतना पसंद है कि इसके लिए मैंने अब तक कई लड़कियों पर लाखों रुपये खर्च कर दिए.

आठ साल पहले मेरी बीबी एक बीमारी से ग़ुज़र गई थी. इसके बाद मेरे पास केवल कॉलगर्ल का ही सहारा था.
मैंने शादी करना सही नहीं समझा क्योंकि मेरे दो बेटे हैं, जो कि अब बड़े हो चुके हैं.

मेरे दोनों बेटे गांव में मेरी मां के साथ ही रहते हैं और वहीं खेती किसानी का काम करवाते हैं.
मेरी मां जो कि मुझसे काफी ज्यादा प्यार करती हैं, उन्होंने मेरे ऊपर दूसरी शादी का बहुत दबाव बनाया लेकिन मैंने उनकी बात कभी नहीं मानी.

मां को हमेशा मेरी चिंता लगी रहती है और वो मेरे लिए काफी परेशान रहती हैं.

आज मैं अपनी जो आत्मकथा आप लोगो को बताने जा रहा हूँ, इसकी शुरुआत आज से चार साल पहले हुई थी.
मैं दिल्ली में अपने पांच कमरों के फ्लैट में अकेला ही रहता था.

बीवी के गुजरने के बाद घर का सारा काम, खाना बनाना सब कुछ मुझे ही करना पड़ता था. इसके बाद मुझे अपने ऑफिस भी जाना होता था.
इससे मुझे काफी दिक्कत होती थी और मेरी इस दिक्कत को मेरी मां भली भांति जानती थीं.
उन्होंने मुझसे कई बार कहा कि किसी को काम पर रख ले, लेकिन मुझे यहां ऐसा कोई नहीं मिला, जिस पर मैं आंख बंद करके भरोसा कर सकूं.

फिर चार साल पहले मेरी मां कुछ दिनों के लिए यहां रहने आईं.
वो मेरी हालत देखकर काफी परेशान हो गई थीं.

गांव वापस जाने के बाद उन्होंने मुझे एक दिन फोन किया और कहा कि हमारे यहां जो काम वाली है गोमा, उसे पैसों की बहुत दिक्कत रहती है और वो अपनी बेटी को कहीं काम पर लगाना चाहती है. तू एक काम कर कि उसे अपने यहां बुला ले. वो तेरे घर का भी सारा काम कर दिया करेगी. इसके अलावा कुछ जगह और उसका काम लगवा देना, जिससे उसे कुछ और पैसे मिल जाएंगे.
मैंने कहा कि मां वो अभी काफी छोटी है, मैं उसे यहां कैसे रख सकता हूँ.

मेरे गांव के घर पर जो काम करती है, उसका नाम गोमा है और उसकी उम्र लगभग 45 साल है. गोमा की एक बेटी है, जिसका नाम लच्छो है.
मैंने उसे करीब दस साल पहले देखा था तब वो काफी छोटी थी. उसके बाद मैंने कभी उस गाँव की लड़की को नहीं देखा था.

मैंने अपनी मां को बहुत मना किया लेकिन वो नहीं मानीं और उन्होंने उसे अगले हफ्ते भेजने के लिए कह दिया.
मैं इस बात से बेहद परेशान हो गया कि अब मेरा चुदाई का सारा काम बेकार हो जाएगा क्योंकि जिन लड़कियों को मैं घर पर लाकर मजे लेता था, लच्छो के आने से वो सब बंद करना पड़ेगा क्योंकि उसके सामने तो मैं ये सब नहीं कर सकता था.

एक हफ्ते बाद मेरी मां ने फिर से फोन किया, कहा- कल लच्छो तेरे यहां आ रही है और उसे मैंने तेरा पता और फोन नम्बर दे दिया है.
मैंने फिर से अपनी मां को बहुत मना किया लेकिन वो बिल्कुल भी मानने को तैयार नहीं थीं.

खैर … अब मैंने सोचा कि अब जो होगा देखा जाएगा.
अगले दिन सुबह मैं ऑफिस नहीं गया क्योंकि लच्छो आने वाली थी और अगर मैं काम पर चला जाता तो उसे दिक्कत हो सकती थी क्योंकि वो गांव की लड़की थी और दिल्ली कभी नहीं आई थी.

उसकी ट्रेन दोपहर एक बजे की थी और मैं ठीक समय पर स्टेशन पहुंच गया.
कुछ समय बाद ही उसकी ट्रेन आ गई.

उसने मुझे फोन किया और मैंने उसे बताया कि मैं कहां पर हूँ.
मैं भी उसे नहीं पहचान पाता क्योंकि उसे देखे हुए मुझे दस साल हो चुके थे.

कुछ देर में एक लड़की आई और मेरे सामने खड़ी हो गई और बोली- चलिए साब जी, मैं आ गई.
मैं उसे देखता ही रह गया.

मेरी उम्मीद से बिल्कुल उलट थी वो.
जिस लच्छो को मैंने दस साल पहले देखा था, वो छोटी सी फ्राक पहनकर गलियों में खेला करती थी.
और आज जो लच्छो मेरे सामने खड़ी हुई थी, वो गाँव की लड़की पूरी तरह से जवान और गदराई हुई एकदम चुदासी माल थी.

वो अब 19 साल की मदमस्त जवान लड़की हो गई थी.
मैं उसे ऊपर से नीचे तक देखता ही रह गया.

गजब का बदन पाया था उसने!
भरे हुए 36 के साइज के उसके दूध देख कर ऐसा लगता था कि उसकी चोली फाड़कर ही बाहर आ जाएंगे.
पूरा भरा हुआ और गदराया जिस्म, किसी भी लंड को पागल बना सकता था.

मैं तो सोचने लगा कि मुझसे कितनी बड़ी गलती हो रही थी कि मैं इसे आने से मना कर रहा था.
मैं उस समय बस उसकी जवानी को ही देखे जा रहा था.

फिर मैंने कहा कि तुम ही लच्छो हो.
उसने कहा- हां मैं ही हूँ.

मैंने उसके सर पर हाथ रखा और बोला- कितनी बड़ी हो गई है तू, पहचान में ही नहीं आई.
वो खिलखिला पड़ी और मैं उसकी इस मासूम सी हंसी पर मर ही गया.

फिर हम लोग स्टेशन से बाहर निकले और अपनी कार से घर की तरफ चल दिए.
रास्ते में मैंने उससे सफर के बारे में पूछा और थोड़ी बहुत बात की.

घर पहुंचकर मैंने उसे उसका कमरा दिखाया और उसने अपना सामान रखा.
मैंने उससे कहा- जाओ नहा धोकर फ्रेश हो जाओ, फिर तुम्हें घर दिखा देता हूँ.

कुछ देर में वो नहा कर आ गई और हम दोनों ने चाय पी.
उसके बाद मैंने उसे घर दिखाया और सब काम समझा दिया.

कुछ समय बाद वो खाना बनाने लगी.

इस बीच मैं बाथरूम गया, जहां मैंने देखा कि उसकी चड्डी और ब्रा नीचे पड़ी हुई थी.

मैंने ब्रा उठाकर देखा जो कि 38 साइज की थी.
अब दोस्तो आप समझ गए होंगे कि उसके दूध कितने बड़े होंगे.
फिर मैंने चड्डी का भी जायजा लिया जो कि 95 नम्बर की थी.

सच में दोस्तो, मेरा तो दिल लच्छो पर आ गया था.
वैसे भी मैं एक नम्बर का चोदू आदमी हूँ.
वो भले उम्र में मुझसे छोटी थी लेकिन किसी भी आदमी को एक नजर में पसन्द आ जाती.

मुझे मेरी मां की बात याद आई कि इसको और भी जगह काम पर लगा देना लेकिन अब मैं ऐसा बिल्कुल भी नहीं करना चाहता था क्योंकि कोई भी आदमी इसे पटा लेता और इसे चोद सकता था.

मैंने सोच लिया था कि भले इसे ज्यादा पैसे दे दूँगा लेकिन किसी और के यहां पर काम नहीं करने दूँगा.

कुछ समय बाद हम दोनों ने खाना खाया और अपने अपने कमरे में आराम करने चले गए.
ऐसे ही धीरे धीरे लच्छो घर का सारा काम करने लगी और अच्छे से जम गई.

वो काफी चंचल मन की थी और बातें बहुत करती थी.
जल्द ही हम दोनों एक दूसरे से काफी घुल-मिल गए.
लेकिन मेरी गंदी निगाह उस पर किसी और वजह से ही थी.

जब मैं घर पर रहता था और वो काम करती रहती, तो मेरी नजर उसके बड़े बड़े उछलते दूध और मटकती हुई गांड पर ही टिकी रहती थी.
मैं हमेशा सोचा करता था कि अगर ये मुझसे पट गई तो घर पर ही चुदाई का अच्छा जुगाड़ हो जाएगा.

इस तरह से उसे आए एक महीना बीत गया लेकिन उसने कभी भी ऐसा कोई काम नहीं किया कि बात आगे बढ़ सके.

फिर एक रात खाना खाने के बाद हम दोनों सोने के लिए अपने अपने कमरे में चले गए.
रात करीब एक बजे मेरी नींद खुली और मैं उठकर बाथरूम गया.

वहां से वापस लौटते वक्त मैंने उसके कमरे का दरवाजा खुला हुआ देखा, तो मैंने अन्दर झांक कर देखा.
लच्छो बिस्तर पर सोई हुई थी और उस वक्त उसने गाउन पहना हुआ था.

उसका गाउन उसके घुटनों के ऊपर तक सरक गया था, जिससे उसकी जांघ दिख रही थी.
गजब की मोटी और गोरी जांघ थी.

उसके सीने की तरफ देखा तो तने हुए दूध की लाइन गाउन के बाहर से ही झलक रही थी.
मैं समझ गया कि गर्मी के कारण इसने ब्रा नहीं पहनी थी.

उसके निप्पल गाउन के ऊपर ही तने हुए थे.
मैंने उसके दोनों पैरों के बीच से अन्दर झांकते हुए उसकी चूत देखनी चाही लेकिन उसने चड्डी पहनी हुई थी.

काफी देर तक उसके पास खड़े होकर मैं उसे देखता रहा और अपनी आंखें सेंकता रहा.
उसे देखते हुए मेरे मन में काफी कामुक ख्याल आ रहे थे.

फिर मैं अपने कमरे में वापस आ गया और उस दिन मैंने मुठ मारी.
मुठ मारने के बाद मैं पसीने से भीग गया था और इसलिए केवल चड्डी पहने ही सो गया.

अगले दिन रविवार था और मेरी छुट्टी थी, इसलिए मैं काफी देर तक सोता रहा.
कमरे का दरवाजा खुला हुआ था और लच्छो ने झाड़ू पौंछा कर लिया था.

जब मैं उठा तो मैं देखा कि मेरा लंड तना हुआ था, जो कि कभी कभी सुबह हो ही जाता है.
मैंने सोचा कि लच्छो आई होगी, तब भी ये ऐसे ही तना रहा होगा. उसने देख कर क्या सोचा होगा.

बाद में जब मैं नहाने के लिए गया तो बाथरूम में लच्छो की चड्डी पड़ी हुई थी.

मैंने उसे उठाया और हाथ में लिया तो उस पर चिपचिपा पानी सा लगा हुआ था.
मैं तुरंत समझ गया कि लच्छो जरूर उंगली करती होगी, तभी उसकी चड्डी में ऐसा लगा है.
वो जवान हो गई है और जरूरत तो उसे भी महसूस होती होगी.

अब मैं उस पर ज्यादा ध्यान देने लगा और रात में उसके कमरे में ताक-झांक करने लगा.
कुछ दिन तो मुझे कुछ नहीं दिखाई दिया, पर एक रात मैंने उसे चुत में उंगली करते हुए देख ही लिया.

वो दरवाजा बंद करके जोर जोर से उंगली किए जा रही थी और मैं खिड़की से सब कुछ देख रहा था.
उसने कमर तक अपने गाउन को उठा लिया था और मस्ती से उंगली किये जा रही थी.

जिस तरफ से मेरी नजर उस पर पड़ रही थी, वहां से मुझे उसकी चूत तो नहीं दिख रही थी लेकिन उसकी गांड की गोलाई और उसके मोटी मोटी जांघें देख मेरा लंड खड़ा हो गया था.
मैं उसे देखता जा रहा था और अपने लंड को लोवर से बाहर निकाल कर हिलाये जा रहा था.

जब तक मैं झड़ा नहीं, मैं वहीं खड़ा होकर अपने लंड को हिलाता रहा.
उधर लच्छो भी झड़ चुकी थी और पलट कर सो गई थी.
मैं भी अपने कमरे में आ गया.

अब मैं सोच लिया था कि किसी भी तरह से इसको पटाना है और मुझे उम्मीद थी कि ये मुझसे पट जाएगी.

फिर एक दिन जब हम दोनों खाना खा रहे थे, तो मैंने उसकी सहेलियों के बारे में पूछना शुरू कर दिया.
मैंने उससे पूछा कि क्या तुम्हारा कोई दोस्त लड़का भी है?

उसने अपने बड़बोले स्वभाव के कारण ही मुझे सब बता दिया कि गांव में एक लड़के से उसकी दोस्ती थी लेकिन अब वो लड़का बाहर काम करने चला गया था.

इतना सुनने के बाद अब मैं उससे और खुलने लगा और पूछ लिया- तुम दोनों मिलते भी थे?
लेकिन उसने इसका गोलमोल जवाब दिया.

अब मैं रोज ही उससे ऐसी बाते करने लगा और वो भी मुझसे खुलती चली गई.
मैं उसे लुभाने के लिए उसके लिए नए कपड़े गाउन लाकर देता.
अक्सर होटल से उसके लिए खाने का सामान लाता और उसे अपनी तरफ आकर्षित करता.

उसे मेरे घर आये पांच महीने हो गए थे और इस बीच मैंने एक बार भी चुदाई नहीं की थी.
मैं किसी कॉल गर्ल से नहीं मिला था, मेरे अन्दर बस लच्छो ही छाई हुई थी.

वैसे तो मेरे घर पर ज्यादा कोई आता जाता नहीं था, बस एक दो दोस्त कभी कभी आते थे और हम लोग कभी कभी शराब पीते थे.
उन लोगों ने भी जब लच्छो को देखा तो मुझसे उसकी गदराई जवानी की तारीफ की.

उन्हें ऐसा लगता था कि अब मैं लच्छो को चोदता होऊंगा.
क्योंकि सभी मेरे बारे में जानते थे कि मैं किस प्रकार का आदमी हूँ.

उस वक्त ऐसा कुछ भी नहीं था लेकिन मैं गाँव की लड़की लच्छो को चोदना जरूर चाहता था.

दोस्तो, इसके आगे कहानी में क्या हुआ ये जानिए कहानी के अगले भाग में.
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