खेत वाले घर में भाभी की चूत गांड चोदी

फार्म हाउस विलेज़ सेक्स का मजा मैंने अपनी भाभी के साथ खेतों में बने ट्यूबवेल वाले घर में लिया. मेरी भाभी सेक्सी हैं और उनसे मैं खुली बात कर लेता था.

नमस्ते,
मैं एक अमीर घर से हूँ मेरे भाई का बड़ा कारोबार मुम्बई में है. मेरा पूरा परिवार मुम्बई में ही रहता है.

यह फार्म हाउस विलेज़ सेक्स वाली बात उस समय की है, जब मैं बीस साल का था.
मेरे मामा के लड़के की शादी तय हुई थी. उसकी शादी में मुझे और भाभी को गांव जाना पड़ा.

मेरी भाभी की उम्र 26 साल की थी. भाभी की जवानी ऐसी थी कि पानी में भी आग लगा दे.
भाभी का साईज 34-30-36 का था. उनके एकदम गोल मम्मे सामने तने हुए रहते थे, जरा भी नहीं ढलके थे. नशीली आंखें थीं.

मेरे और भाभी के साथ एकदम खुला मामला था. हम दोनों में से कोई भी बात छुपी नहीं थी.
एक तरह से हमारे बीच दोस्ताना था. बस चुदाई के सम्बन्ध नहीं थे.

मैं और भाभी जब गांव आए तो हम दोनों खेत घूमने निकल गए.
उधर मामा जी के पम्प हाउस वाले घर में चले गए.

बारिश के मौसम में खेत का अलग ही अनुभव होता है.
चारों तरफ हरियाली ही हरियाली का एक अलग ही सुख होता है.

भाभी ने कहा- देवर जी आज रात इधर ही रुकने का मन कर रहा है.
मैंने कहा- हां तो ठीक है, मैं मामा जी से कह दूँगा कि रात को हम दोनों यहीं रुकेंगे.

बाद में जब हम दोनों बाईक से खेतों में घूम रहे थे तो जोरदार बारिश हुई.
उसमें हम दोनों पूरे भीग गए.

मामा जी के घर आकर भाभी और मैंने कपड़े बदले.

शाम हुई तो मामी जी ने मुझसे कहा- बेटा तुम अपनी भाभी के साथ खेत वाले घर में रुक जाओ. इधर शादी का माहौल है तो हल्ला गुल्ला ज्यादा मचेगा. उधर अभी नया बना है तो तुझे उधर आराम रहेगा.
मैं बोला- हां मामी, ठीक है, वैसे भी भाभी उधर की खुली हवा में ही रुकने का कह रही थीं.

इस तरह से हम दोनों का खेत वाले घर में रुकना तय हो गया.
उधर दो कमरे बने थे.
एक में मैं सो जाता और दूसरे में भाभी सो जातीं.

हम दोनों अपने सामान सहित खेत वाले घर में आ गए.

मैं अपने रूम में आकर लेट गया, भाभी अन्दर वाले कमरे में सोने चली गईं.

दस मिनट बाद भाभी मेरे कमरे में आकर बोलीं- उधर कमरे में मैं अकेली हूँ. मुझे अकेले में डर लग रहा है. मैं इधर ही तुम्हारे साथ सो जाऊंगी.

मैंने कहा- ओके आ जाओ.
भाभी मेरे पास में आकर लेट गईं.

हम दोनों बात करने लगे.
मैं चुटकुले सुनाते हुए भाभी को हंसाने लगा.

कुछ देर बाद भाभी को नींद आने लगी तो उन्होंने सोने का कहा.
वो मेरे पास ही लेट गई थीं.

उनकी नाइटी से उनके दूध बड़े ही मस्त और उभरे हुए दिख रहे थे.

सुनसान जगह और सेक्सी भाभी मेरे पहलू में लेटी थीं, ऊपर से उनके उरोज मुझे कामुक कर रहे थे.

मुझसे रहा नहीं गया. मैंने अपना एक हाथ उनके स्तन पर रख दिया.
भाभी ने कुछ नहीं कहा.
मैं धीरे धीरे से भाभी का स्तन मसलता रहा.

पांच मिनट बाद भाभी जाग गईं और मेरी तरफ देखने लगीं.
मैंने अपना हाथ हटा लिया.

ये मैंने आज पहली बार किया था तो मेरी एकदम से गांड फट गई कि अब क्या होगा.
भाभी हंस कर बोलीं- क्या हुआ देवर जी, तुम्हारी कोई सैटिंग नहीं है क्या?

मैंने ना में सर हिला दिया.
‘आज तुम्हारे मन में ये क्या हुआ?’

मैंने कहा- आप जैसी परी पास में लेटी हो तो कोई भी मानव, दानव बन सकता है भाभी.
वो बोलीं- क्या मैं इतनी खूबसूरत हूँ?
मैंने कहा- गांव में किसी से भी पूछ लो?

भाभी हंस कर बोलीं- तो अब आगे का क्या विचार है मेरे देवर जी?
मैंने कहा- विचार तो बहुत ही नेक हैं … पर आपका डर लग रहा है.

भाभी बोलीं- जब छाती मसल रहे थे तब नहीं लगा डर?
मैं बोला- तब आप नींद में थीं.

भाभी- तुम्हें कैसे मालूम था कि मैं नींद में थी?
मैंने कहा- आपकी आंखें बंद थीं न.

भाभी ने आंख दबा दी.
उनकी आंख दबी तो मन बेकाबू हो गया और मैंने उसी पल भाभी को अपनी ओर खींच लिया.

मैं भाभी को किस करने लगा.
भाभी ने भी मेरा साथ देना चालू कर दिया.

फिर मैंने एक हाथ से भाभी के दूध दबाए और दूसरे थन में मुँह लगा दिया.
भाभी आहाह कहती हुई मुझे अपने मम्मों पर दबाने लगीं.

मैंने अपने एक हाथ से उनकी गांड दबाना चालू कर दिया.

अब भाभी शरीर अंगड़ाई लेने लगा था. भाभी से भी रहा नहीं जा रहा था.

मैंने उनके गाल पर किस करके उनके मम्मों को चूसना चालू कर दिया.
भाभी कराहने लगी थीं.

मैंने एक उंगली उनकी चूत में डाल दी और आगे पीछे करने लगा.
भाभी टांगें खोल कर चूत में मेरी उंगली का मजा लेने लगीं.

उनकी मादक आवाजें मेरे लंड में तनाव लाने का काम कर रही थीं- आह ऊह देवर जी, कबसे इस पल का इन्तजार कर रही थी.
मैंने कहा- कभी कहा ही नहीं भाभी आपने … मैं खुद कबसे आपके जिस्म को भोगना चाहता था.

भाभी विलेज़ सेक्स का मजा लेती हुई बोल रही थी- आह … आज जी भर कर मुझे प्यार कर लो मेरे देवर जी. मैं आज तुम्हारी हो गई हूँ.
इस तरह से हम दोनों के बीच खुल कर सेक्स का खेल होना शुरू हो गया.

फिर मैं नीचे आ गया और उनकी चूत चाटने लगा.
भाभी अपने दोनों हाथों से मेरा सिर अपनी चूत पर दबा रही थीं- आह मेरी जान … मुझे ये सुख अब तक तुम्हारे भैया ने कभी दिया ही नहीं. आह चूस लो मेरी मुनिया … आह बड़ा मस्त चाटते हो … आह अन्दर तक चूस लो.

मैं भी उनकी चूत का दाना अपने होंठों में दबा कर खींचने लगा.
इससे भाभी की उत्तेजना बढ़ गई और वो अपने बदन को अकड़ाने लगीं.

उनकी आह आह की तेज आवाजों से मेरी मदहोशी बढ़ती गई.
कुछ ही पलों में भाभी मेरे मुँह में ही झड़ गईं.
उनके पानी को मैंने चाट कर चूत को साफ कर दिया.

वो निढाल होकर मेरी तरफ मादक नजरों से देख रही थीं.
मैंने उन्हें चूमा और पूछा- कैसा लगा?

भाभी- जन्नत का मजा दे दिया मेरी जान.
मैंने कहा- मुझे भी वो मजा लेना है भाभी.

भाभी समझ गईं, उनका हाथ मेरे लंड पर आ गया.
मैंने उनकी तरफ देखा तो उन्होंने अपने होंठों पर जीभ फिराई और लंड चूसने का इशारा किया.

मैंने उठ कर अपना लंड उनके मुँह में डाल दिया.
भाभी ने मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह चाटना चूसना चालू कर दिया और मेरा पूरा लंड अपने गले तक लेने लगीं.

मैंने भी भाभी के मुँह को चोदना शुरू कर दिया था.
भाभी ने मेरे आंडों को भी चूसा.

मैंने कहा- भाभी, बड़ा मस्त लंड चूसती हो … भैया ने सिखाया है क्या?
भाभी- बोली- तुम्हारे भैया ने नहीं सिखाया है, ये तो मेरी मजबूरी हो गई थी कि मुझे लंड चूसना सीखना पड़ा.

मैंने कहा- ऐसा क्या हुआ भाभी जो आपने लंड चूसना मजबूरी में सीखा है?

भाभी बोलीं- तुम्हारे भैया के लंड का पानी जल्दी ही निकल जाता है और उनके लंड को दुबारा खड़ा करने के चक्कर में मुझे उनका लंड चूस चूस कर खड़ा करना पड़ता है. कई बार तो चाहे जितना चूस लो, उनका लंड खड़ा ही नहीं होता है.

मैंने कहा- फिर क्या करती हो आप?
भाभी- कुछ नहीं बस मन मसोस कर और अपनी चूत में उंगली करके सो जाती हूँ.
तब मैंने कहा- अब आपको लंड की कमी नहीं रहने दूंगा भाभी.

मैंने तेज तेज गति से भाभी के मुँह में लंड देना शुरू किया और कुछ ही मिनट बाद मैं उनके उन्ह में ही झड़ गया.
भाभी ने मेरे लंड से निकला पानी बड़ी मस्ती से पी लिया और मेरे थके हुए लंड को चूसती रहीं.
इससे मेरा लंड फिर से गर्म हो गया.

अब मैंने वापस से भाभी को किस करना चालू कर दिया.
भाभी एकदम से हॉट हो गई थीं और उनकी चूत चुदासी हो गई थी.

भाभी- अब नहीं रहा जाता देवर जी … प्लीज़ मेरी चूत की आग बुझा दो.

मैं भाभी के ऊपर चढ़ गया और मैंने अपना लंड भाभी की चूत की फांकों में सैट कर दिया.

भाभी लंड खाने को उतावली हुई जा रही थीं.
मैंने धीरे से धक्का दे दिया. मेरा लंड चार इंच अन्दर चला गया.

भाभी चिल्लाने लगीं- उई मार डाला … आह फट गई मेरी!
उन्हें दर्द होने लगा.

मैं दो मिनट रूक कर किस करने लगा.
वो कुछ शांत हुईं तो मैंने उनके होंठ दबाए हुए ही एक और झटका मार दिया.

मेरा पूरा लंड चूत के अन्दर घुस गया.

भाभी मेरे होंठों से अपने होंठों को छुड़ा कर चिल्लाने लगीं- आंह दर्द हो रहा है … मैं मर जाऊंगी. प्लीज निकाल लो … आह तुम्हारा बहुत मोटा है.

मैं रुक गया और भाभी को किस करने लगा.
जब वो कुछ शांत हुईं तो मैं धीरे धीरे धक्का मारने लगा.

अब उनको मजा आ रहा था.

वो अपने एक हाथ से चूत सहलाने लगीं और कामुक आवाज कर रही थीं- आह मजा आ रहा है … और जोर से पेलो … और जोर से!

मैंने अपनी गति तेज कर दी.
भाभी बोल रही थीं- आज सच में चुदी हूँ … बड़ा मजा आ रहा है.

वो मादक आवाजों में चिल्लाती रहीं और मैं उन्हें ताबड़तोड़ चोदता रहा.
फिर कुछ देर बाद हम दोनों साथ में ही झड़ गए.

भाभी मेरे ऊपर आकर लेट गईं और एक लम्बी किस करने के बाद कहने लगीं कि जिन्दगी में आज पहली बार मेरी चूत ठंडी हुई है.
मैंने भाभी से पूछा- आपको दर्द हुआ हो तो माफ करना भाभी.

वो बोलीं- अरे मेरे सनम … दर्द की क्या बात करते ही … आज तो बहुत ही ज्यादा मजा आया.
मैंने कहा- आप तो ऐसे चिल्ला रही थीं जैसे भैया ने आपको चोदा ही नहीं हो कभी.

वो बोलीं- तेरे भैया मुझे चोदने की कोशिश तो रोज करते हैं, पर उनका लंड जरा सा ही है और काफी पतला भी है. उनका लंड अन्दर जाने के बाद दस बारह धक्कों में ही उलटी कर देता है. जबकि तुम्हारा लंड मोटा और लम्बा है. इसलिए मुझे दर्द हुआ था.

कुछ देर बाद मेरा लंड फिर से तन गया.
इस बार मैंने भाभी से घोड़ी बनने को कहा.

वो बोलीं- अभी पहले मुझे गर्म करो, फिर घोड़ी कुतिया जो भी बनाना चाहो, बना कर चोद लेना.

मैं फिर से भाभी की चूत चाटने लगा.

कुछ मिनट चूत चाटने में वो गर्म हो गईं और बोलीं- मुझे पेशाब आ रही है … मैं मूत कर आती हूँ.

मैंने कहा- इधर ही मेरे मुँह में निकाल दो.
भाभी हंस दीं और मुझे चूम कर मेरे मुँह के ऊपर भैंस की तरह खड़ी हो गईं और पेशाब करने लगीं.

मैं प्यासे कुत्ते की तरह उनकी चूत चाट रहा था.
अब मेरा लंड वापिस चूत चूत करने लगा था. भाभी भी चुदासी हो गई थीं.

मैंने भाभी की चुनरी से उनके हाथ पीछे की तरफ करके बांध दिए.
भाभी बोलीं- ये क्या कर रहे हो?

मैंने कहा- मेरा ऐसे ही करने का मन है.
भाभी कुछ नहीं बोलीं.

अब उनका सिर तकिये पर था और गांड पीछे की तरफ थी.
मैंने लंड पर थूक लगाया और भाभी की गांड के छेद पर लंड सैट करके जोरदार धक्का दे दिया.

वो बिन पानी की मछली की तरह तड़प रही थीं और जोर जोर से चिल्लाने लगीं- मादरचोद गांड में पेल दिया कमीने आह निकाल ले भड़वे … आह फट गई मेरी गांड!

मुझे डर नहीं लग रहा था क्योंकि हम खेत वाले घर में थे.
कुछ देर बाद मेरे लंड ने गांड में अपनी जगह बना ली थी और सटासट चलने लगा था.

अब मैं मस्ती से भाभी की गांड में धक्के मार रहा था.
वो बोलीं- पूरे मादरचोद हो … बहन चोद हो … कसाई हो … कोई अपनी भाभी को ऐसे चोदता है क्या?

मैंने कहा- भाभी, मैं आपको हर तरह से खुश करना चाहता हूँ. दर्द का क्या है, वो तो पहली बार चूत में भी होता है. बाद में चूत चुदाई में मजा आता है कि नहीं … इसी तरह से अब आपको हमेशा अपनी गांड मरवाने में भी मजा आएगा.

भाभी कुछ नहीं बोलीं और गांड मरवाती रहीं.
कुछ देर बाद मैं उनकी गांड में में झड़ गया और उनके बाजू में लेट गया.

उस रात को हम दोनों ने तीन बार सेक्स किया.

सुबह भाभी से उठा नहीं जा रहा था.

मैं उठ कर गांव वाले घर में गया और उधर से चाय नाश्ता ले आया.
मैंने वो सब लाकर भाभी को दिया.

वो उठीं और लंगड़ा कर चलने लगीं.

फिर नाश्ता करके भाभी तैयार हो गईं.
मैं भी तैयार हो गया.

वो मुझ पर गुस्सा कर रही थीं कि इतनी बेरहमी से चोद दिया.

कुछ देर बाद उनको लेने उनके पापा आ गए, उन्हें भी शादी में आना था.
वो अपने पापा के साथ चली गईं.

इसके बाद शादी हुई और मामा के बेटे की शादी में हम दोनों ने खूब मस्ती की.

शादी के बाद हम दोनों वापस मुंबई आ गए.
अब मैं अपनी भाभी की चुदाई का मजा लेता रहता हूँ.

आपको मेरी फार्म हाउस विलेज़ सेक्स कहानी कैसी लगी, प्लीज़ मेल जरूर करें.
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