देसी गर्ल पोर्न स्टोरी में पढ़ें कि मैं दिखने में सुन्दर और गोरी हूँ. मैं कई बार एक यार से चुद चुकी थी. कोचिंग सर के एक दोस्त ने कैसे मुझे पटा कर मेरी चूत मारी?
यह कहानी सुनें.
मेरा नाम सौम्या है. मैं समस्तीपुर (बिहार) से हूँ.
अपनी चुदाई की कहानी एवं उसके साथ की गई मस्ती की बात शुरू करने से पहले मैं इस देसी गर्ल पोर्न स्टोरी के किरदारों के बारे में बता देती हूँ.
इस कहानी में पांच लोग हैं-
1. यशवंत भैया (विवाहित), उम्र- 27 वर्ष
2. हीरा बाबू, उम्र- 19 वर्ष
3. संजीव भैया (विवाहित), उम्र- 26 वर्ष.
4. सुजय सर (विवाहित), उम्र- 29 वर्ष.
5. भोलू, उम्र- 20 वर्ष.
अब मैं अपने बारे में बता देती हूँ.
मैं एक दुबली पतली सी लड़की हूँ, मेरी उम्र 20 वर्ष की है.
मेरा फिगर 28-28-32 का है और मैं दिखने में सुन्दर और गोरी हूँ.
कुछ समय पहले मैं एक ठोकू से कुछ बार की चुदी हुई हूँ.
मैं समस्तीपुर की एक कोचिंग में रिसेप्शनिस्ट का काम करती हूँ.
इसी कोचिंग में यशवंत भैया जो कि सुजय सर (कोचिंग के संचालक) के दोस्त हैं, उनका आना जाना लगा रहता था.
हीरा बाबू इसी कोचिंग का एक पूर्व छात्र था जो अक्सर यशवंत भैया के यहां आता जाता रहता था.
संजीव भैया इस कोचिंग में अकाउंटेंट का काम करते हैं. भोलू कोचिंग का चपरासी है, जो दिखने में एक अच्छे घर का ही लगता है.
कहानी कुछ इस तरह से शुरू होती है कि शुरू शुरू में यशवंत भैया से मेरी बात नहीं होती थी पर धीरे-धीरे हमारी बात होने लगी थी.
हम दोनों ने एक दूसरे को अपने बारे में हर बात बतानी शुरू कर दी.
देखते ही देखते हम दोनों काफी अच्छे दोस्त बन गए थे.
वो मेरा बहुत ख्याल रखते थे, हमेशा कोचिंग आते तो मेरे लिए कुछ न कुछ ले आते थे.
एक दिन अचानक से मेरे WhatsApp पर भैया ने एक हॉट सा वीडियो भेजा.
उसको देखकर मैंने उनसे पूछा- ये क्या है भैया?
तो उन्होंने बताया- ऐसे ही तुम्हारी याद आ रही थी तो सोचा कि हॉट सी लड़की को कुछ हॉट सा भेजा जाए, तो भेज दिया. क्यों … तुमको अच्छा नहीं लगा क्या?
मैं बोली- नहीं भैया, ऐसी कोई बात नहीं है.
तब वो बोले- तुम बहुत प्यारी हो, मन करता है, तुमको बहुत सारा प्यार करूं.
तो मैं बोली- वो तो आप मुझे करते ही हो.
मेरी बात पर वो बोले- मेरा तो उससे भी ज्यादा प्यार करने का मन करता है.
मैं चुप रही.
मैं समझ रही थी कि भैया मुझे चुदाई वाले प्यार के लिए कह रहे हैं.
मेरा ठोकू भी अब समस्तीपुर से बाहर चला गया था तो मुझे भी अपनी चुत की खुजली मिटाने के लिए एक मोटे लंड की जरूरत थी.
फिर वो बोले- मेरा वीडियो कॉल पर बात करने का मन है … क्या मैं कर सकता हूँ?
मैं बोली- अरे भैया, इसमें कौन सी बड़ी बात है, खूब कीजिए.
तब उन्होंने मुझे वीडियो कॉल किया और हमारी बात होने लगी.
इसी तरह समय बीतता गया.
और एक दिन, रात में जब सब सो रहे थे, तो उन्होंने मुझे वीडियो कॉल किया.
मैंने कहा- भैया इतनी रात को? क्या बात है … सब ठीक है न?
वो बोले- हां सब ठीक है, बस तुमको देखने का मन कर रहा था.
मैं बोली- अच्छा ऐसी बात है, मेरी इतनी याद आ रही थी?
उन्होंने हां में उत्तर दिया.
फिर हमारी बात होना शुरू हुई.
बात ही बात में ही उन्होंने मुझसे कहा कि सौम्या, बाबू से किस्सी मिलेगी क्या?
मैंने उन्हें चुम्मी दे दी.
चुम्मी पाकर भैया बहुत खुश हो गए.
फिर उन्होंने मुझसे पूछा- ये कौन सी ड्रेस पहनी हुई हो?
मैं बोली- ये नाईट ड्रेस है भैया.
वो बोले- अच्छा तो ये होती है नाईट ड्रेस … और क्या पहना है मेरे बाबू ने?
मैंने बोला- क्या मतलब भैया?
उन्होंने कहा- अरे लड़कियां अन्दर और भी कुछ पहनती हैं ना?
मैं बोली- हां भैया मैं भी पहनती हूँ, पर रात में अन्दर कुछ नहीं पहनती हूँ.
उन्होंने कहा- ऐसा हो ही नहीं सकता कि तुम अन्दर कुछ नहीं पहनी हो. मुझे उल्लू मत बनाओ बाबू.
मैंने कहा- अरे सच में भैया, रात में मैं बस ऐसे ही रहती हूँ, अन्दर बिना ब्रा और पैंटी के!
मेरे बोलने पर भी वो मेरी बात मानने को तैयार नहीं थे कि मैंने अन्दर कुछ नहीं पहना है.
तब अंत में मैंने कहा- आपको कैसे विश्वास होगा कि मैं सच बोल रही हूँ?
इस पर उन्होंने कहा- विश्वास तब होगा, जब तुम मुझे दिखाओगी.
तब मैंने कहा- अच्छा बताओ आपको मैं क्या दिखाऊं?
उन्होंने कहा कि अन्दर जो है.
इस पर पहले तो मैं थोड़ी सी सकपका गयी, पर फिर खुद को संभालती हुई बोली- ऐसा कैसे हो सकता है भैया?
उन्होंने कहा- क्यों नहीं हो सकता है? तुमको मुझ पर विश्वास नहीं है क्या? मैं क्या मोबाइल में घुस कर तुम्हें खा जाऊंगा?
इस तरह से भैया और भी बहुत कुछ बोलने लगे.
तब आखिरकार मुझे हार माननी पड़ी और मैंने शर्माते हुए अपनी नाईट ड्रेस के टॉप को ऊपर कर दिया जिससे मेरे छोटे से, सुडौल और मक्खन से मुलायम बूब्स को भैया ने देख लिया.
फिर मैंने अपना पजामा नीचे कर दिया, पर इस बार मैं पजामा नीचे करती हुई पीछे की ओर घूम गयी, जिससे भैया को मेरा बुर दिखने की बजाए मेरी गांड दिख सकी.
मेरे बूब्स और गांड को देखकर भैया बहुत ज़्यादा खुश दिखे.
फिर उनके ज़िद करने पर मुझे अपनी चिकनी गुलाबी बुर का भी दर्शन उन्हें कराना पड़ा.
अब वो बोले- क्या मैं तुम्हारे नंगे बदन को छू सकता हूँ?
मैंने कहा- अभी कैसे छू सकेंगे भैया?
वो बोले- अभी नहीं, कभी और तो छू सकता हूँ ना?
इस पर मैंने बोल दिया- ठीक है आप छू लेना, मैं आपकी ही तो बहन हूँ. आपको जो अच्छा लगे, कर लेना.
उसके बाद हमारी उस दिन की बात खत्म हुई.
फिर एक दिन मैं जब कोचिंग जा रही थी तो रास्ते में अचानक से बहुत तेज़ बारिश होने लगी.
सुनसान रास्ता होने की वजह से मैं कहीं छुप भी नहीं सकती थी जिस वजह से मैं पूरी तरह से गीली हो गयी थी.
उसी समय उस रास्ते से यशवंत भैया ने मुझे जाते हुए देखा तो देखते ही उन्होंने मुझे आवाज लगा कर टोका.
तब मेरी नज़र उन पर पड़ी.
उन्होंने मुझे बोला- सौम्या तुम तो पूरी तरह से भीग चुकी हो, ऐसे में कोचिंग कैसे जाओगी? चलो मेरे रूम पर, वहां तेरी भाभी की कुछ ड्रेस हैं, भाभी तो अभी यहां हैं नहीं, तो तुम वो पहनकर कोचिंग चली जाना.
मैं उनकी बात मान गयी और उनके साथ उनके रूम पर आ गयी.
रूम पर आने के बाद उन्होंने मुझे कुछ ड्रेस दिखाए, जिसमें से मैंने एक ले लिया और बाथरूम में कपड़े बदलने जाने लगी.
तभी यशवंत भैया ने कहा- सौम्या बाथरूम का लॉक ख़राब है, वो बंद नहीं होगा. तुम दरवाज़ा सटा कर कपड़े बदल लो.
मैंने कहा- ठीक है भैया.
मैं कपड़े लेकर बदलने बाथरूम में आ गयी और सबसे पहले अपने बदन से गीले कपड़ों को उतारने लगी.
पहले मैंने अपनी कुर्ती खोली, फिर अपनी लैग्गिंग्स (सलवार) को खोला.
मेरी ब्रा पैंटी भी भीग गई थीं तो मैंने अपनी ब्रा का हुक खोला और सामने लगे आईने में अपने मदमस्त मम्मों को हिला कर देखने लगी.
कुछ पल बाद मैंने अपनी पैंटी को नीचे सरका दिया.
अब मैं पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी.
मुझे अपनी चुत में चुदास सी जागने लगी थी.
तभी अचानक से मैंने रूम में किसी की आवाज़ को सुना.
मुझे लगा कि कहीं भाभी तो नहीं आ गईं.
मैंने दरवाजे को हल्के से खोलकर उसमें से झांककर देखा तो हीरा बाबू वहां आया हुआ था.
मैं अभी ये सब देख ही रही थी कि ना जाने कहां से एक चूहा वहां आ गया और वो बाथरूम के अन्दर मेरे पैरों के पास आ गया, जिससे मैं बहुत डर गयी और जोर से चिल्लाती हुई नंगी ही बाथरूम से रूम की तरफ भागी.
उधर यशवंत भैया और हीरा बाबू पहले से ही थे.
अब मैं पूरी नंगी दो लड़कों के सामने खड़ी थी.
जब तक मैं कुछ समझ पाती, तब तक यशवंत भैया ने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और मुझे बिस्तर पर लेटाकर मेरे बूब्स को बुरी तरह से मसलने लगे- क्या क्या हुआ मेरी गुड़िया को … किधर कीड़े ने काटा है बताओ मुझे?
मैं एकदम से घबराई हुई थी तो कुछ बोल ही नहीं पा रही थी.
उधर भैया मेरी एक चूची को मुँह में लेकर चूसने लगे.
इतने में ही हीरा बाबू मेरी नंगी बुर पर अपनी उंगली फिराने लगा और देखते-देखते उसने मेरी बुर के अन्दर अपनी उंगली को डाल दिया.
वो धीरे-धीरे उसे अन्दर बाहर करने लगा.
मैं पहले से ही बाथरूम में अपनी नंगी जवानी को देख कर मदमस्त हो रही थी और अब एक साथ दो लड़कों की इन हरकतों से मैं और भी गर्म होने लगी थी.
मुझे मज़ा आने लगा था.
इतने में ही हीरा बाबू ने अपने कपड़े निकाल दिए और अपने मोटे लंड को एक धक्के में ही मेरी बुर में घुसा दिया.
मैं कुछ चीख ही नहीं पाई क्योंकि भैया ने मेरे होंठों को अपने होंठों में दबा लिया था.
नीचे से हीरा बाबू बहुत तेज़ तेज़ धक्के देने लगा, जिससे मेरे मुँह से दबी हुई कामुक सिसकारियां निकलने लगीं.
कुछ देर बाद मेरा दर्द जाता रहा और लंड का मजा आने लगा.
मैं साथ देने लगी तो भैया ने मेरे होंठों को छोड़ दिया और मेरे दूध चूसने मसलने लगे.
अब मैं आह आह करती हुई चुदाई का मजा लेने लगी थी.
हीरा बाबू ने मुझे करीब 10 मिनट तक चोदा, जिससे मेरी बुर से पानी निकल गया और मैं झड़ गई.
मुझे झड़ता देख हीरा बाबू से भी नहीं रहा गया और उसने भी अपने लंड का सारा पानी मेरी बुर में निकाल दिया.
फिर वह अलग हट गया और अब यशवंत भैया मेरे ऊपर चढ़ गए, उन्होंने मुझे चूम चाट कर फिर से गर्म कर दिया.
अब उन्होंने मुझसे घोड़ी बनने को कहा तो मैं उनके लिए घोड़ी बन गयी.
फिर भैया ने पीछे से अपना लंड मेरी बुर में डाल दिया और मुझे ज़ोर-ज़ोर से धक्का देकर चोदने लगे.
यशवंत भैया ने भी करीब 10 मिनट तक मुझे चोदा और फिर उन्होंने भी अपने लंड का पानी मेरी बुर में ही निकाल दिया.
इसके बाद हम तीनों झड़ कर संतुष्ट हो चुके थे.
उस दिन की चुदाई के बाद मेरी चुदाई का सिलसिला लगातार चलने लगा.
कभी मैं यशवंत भैया से चुद जाती तो कभी हीरा बाबू मुझे चोद देता, तो कभी दोनों मिलकर मुझे चोदा करते थे.
अपनी चुदाई करवाने में मुझे भी अब काफी मज़ा आने लगा था, इसलिए अब मैं हमेशा चुदवाने के लिए तैयार रहती थी.
ऐसा ही कुछ दिनों तक चला, फिर अचानक से समय ने करवट बदली और यशवंत भैया को किसी कारण से समस्तीपुर छोड़कर अपने गांव जाना पड़ा.
उनके साथ ही कुछ दिन बाद हीरा बाबू भी आगे की पढ़ाई के लिए पटना चला गया, जिस वजह से अब मैं अकेली हो गयी.
अब मैं चाहते हुए भी चुद नहीं सकती थी.
मेरे पास कोई लंड ही नहीं था.
नए लंड को सैट करने में मैं हिचक रही थी.
ऐसे ही समय बीतता रहा, फिर मेरे जन्मदिन का समय आ गया.
उस दिन जब मैं कोचिंग पर पहुंची, तो उस समय वहां सुजय सर नहीं थे और ना ही संजीव भैया थे.
कुछ देर बाद ही संजीव भैया आ गए और उन्होंने मुझे मेरे जन्मदिन की बधाई देते हुए बताया- सुजय सर किसी काम से बाहर गए हुए हैं, तो वो आज कोचिंग पर नहीं आएंगे.
मैंने कहा कि मैं क्या करूं … क्या मुझे कोचिंग के बाद घर चली जाना चाहिए?
इस पर उन्होंने कहा- हम दोनों आज तुम्हारा जन्मदिन कोचिंग पर ही मनाते हैं.
उन्होंने मुझे कोचिंग खत्म होने के बाद रुकने को कहा, तो मैं उन्हें धन्यवाद देकर रुकने के लिए मान गयी.
उसके बाद शाम के 4 बजे तक कोचिंग से सभी छात्र, शिक्षक एवं अन्य लोग वापस चले गए.
अब वहां बस मैं और संजीव भैया ही थे.
कुछ देर बाद संजीव भैया मेरे लिए केक, चॉकलेट्स, नाश्ते के लिए भी बहुत कुछ लेकर आ गए.
आज मैं बहुत खुश थी कि मेरा बर्थडे संजीव भैया मना रहे हैं.
बर्थडे पार्टी में मेरे साथ संजीव भैया ने क्या क्या किया, वो सब बड़ा ही हॉट था. मैं उसे भी लिखूँगी.
दोस्तो, मैं अपनी नंगी जवानी की चुदाई की कहानी का आगे का हाल आपको अगले भाग में लिखूंगी.
तब तक आप मुझे मेल करें मेरी देसी गर्ल पोर्न स्टोरी पर कमेंट्स करें.
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देसी गर्ल पोर्न स्टोरी का अगला भाग: मेरी नंगी जवानी की चुदाई की कहानी- 2