चूत तो राजी थी पर चोद न सका

मैं आप सबसे क्या बोलूँ.. मेरा नाम अमित है। मैं गाज़ियाबाद से हूँ.. 27 साल की उम्र है। ये बात आज से 2 साल पुरानी है। आप को सच लगे या झूठ.. पर ये आप सब जानो.. मैं सिर्फ सत्य ही लिख रहा हूँ।
एक बार मैं अपनी मौसी के घर गया था। मेरी मौसी सग़ी नहीं हैं.. दिल्ली में रहती हैं। उनकी 3 बेटी हैं और एक बेटा है। जो बड़ी बेटी है.. मैं उसका नाम नहीं लिख सकता हूँ.. इसलिए नाम बदल कर लिख रहा हूँ।
रिया.. उसकी आयु 19 की है.. वो 12वीं क्लास में है।

मैं वहाँ कुछ दिन का लिए गया था। उनका एक बड़ा सा हॉल टाइप का कमरा था। सभी उसी में सोते थे। मुझे भी वहीं सोना था।

मौसी खाना बना रही थीं.. मौसा जी रात की ड्यूटी पर चले गए थे। मैं एक बड़ा सा कम्बल लेकर लेट गया और टीवी देख रहा था। रिया भी मेरे बराबर में थी। बाकी और सब दूसरी तरफ़ एक ही कम्बल में थे। सर्दी के दिन थे। रिया के पैर से मेरा पैर छू गया। उससे मेरे शरीर में उत्तेजना होने लगी। मेरा बदन ऐसे तपने लगा.. जैसे मुझे बुखार हो गया हो।

इसी के चलते रिया का हाथ मेरे हाथ से छू गया। उसे लगा मुझे बुखार हो गया है। उसना बोला- भाई आपको बुखार है क्या?
मैंने बोला- नहीं तो..
उसकी जांघ और मेरी जांघें अभी भी आपस में मिली हुई थीं। तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और मेरी तरफ़ देखा।

मैं उसे ही देख रहा था। मेरा लंड लोवर में ऊपर को उठा हुआ था। इसी बीच मैंने रिया से बोला- मुझे तुम बहुत अच्छी लगती हो।
तो वो कुछ नहीं बोली और मैंने थोड़ी हिम्मत करके उसकी चूचियों पर हाथ रख कर दबा दीं। उसके मुँह से हल्की सी सिसकारी की आवाज़ निकली।
मैंने उसके गले के पास से अन्दर हाथ डाल कर उसकी दूसरी चूची भी दबा दी। उसक मजा आने लगा तो मैं कम्बल में अन्दर अपना मुँह डाल कर चूचियों को उसके टॉप से बाहर निकाल कर चूसने लगा।

उसने कुछ नहीं बोला.. मेरी और हिम्मत बढ़ गई। मैंने उसके होंठों पर अपने होंठों को रख कर काफ़ी देर तक चूमाचाटी की, साथ में मुझे डर भी था कि कोई हमें देख ना ले।

मैंने अपना चेहरा कम्बल से बाहर निकाला और देखा कि सब टीवी देख रहे हैं। फिर मैंने रिया की सलवार में अपने हाथ अन्दर कर दिए.. उसकी चूत पर बाल थे.. उसने कभी साफ ही नहीं किए थे।
मैंने उससे इशारे से पूछा तो उसने मुंडी ना में हिला कर बताया कि नहीं काटे।

उसकी चूत गीली हो चुकी थी.. उसके रस से भर चुकी थी। रस बाहर निकल रहा था। मेरी उंगली गीली हो गई थी। वो कुंवारी थी। मैंने उसकी चूत में एक उंगली डाल दी। चूत किसी भट्टी की तरह तप रही थी। मैंने अपना हाथ बाहर निकाल लिया और अपनी उंगली.. जो उसकी चूत के रस से भीगी हुई थी.. उसे मुँह में अन्दर डाल लिया।

वाह.. इतना अच्छा स्वाद लगा कि मैं बता नहीं सकता।

अब मेरा तो बुरा हाल हो रहा था। लंड लोवर फाड़ कर आने को तैयार था। पर मैं कर क्या सकता था। मुझे उसकी चूत चाटने का मन था.. मगर कमरे में सब थे.. इसलिए कुछ नहीं कर सका। मैंने अपना लंड उसके हाथ में दिया.. उसने अपना हाथ वापस खींच लिया।

मैंने दुबारा से उसका हाथ पकड़ कर लंड उसके हाथ में दिया। अबकी बार उसे उसने पकड़ लिया। उसका हाथ बहुत ही कोमल था। हम दोनों काफ़ी देर तक इसी तरह करते रहे। मैंने अपनी उंगली से उसका पानी निकाल दिया.. पर मेरा पानी नहीं निकला था। वो उठी और टॉयलेट चली गई। फ्रेश हो कर वापस अपनी जगह पर आ गई।

तभी मौसी जी ने सब का खाना लगा दिया था। हम सबने ख़ाना खाया और सबके बिस्तर अलग-अलग लगा दिए। अब मैं अलग था.. तीनों लड़कियाँ एक साथ थीं, उनका छोटा भाई मौसी के साथ ही सोता है।
मैं अलग लेटा हुआ था, रात तो झन्ड हो गई सुबह हुई.. तो सोचा आज कुछ बात बन जाए।

बस किसी तरह कोई मौका तो मिले, पर कुछ नहीं हुआ।
मैं फिर रात का इंतजार करने लगा।
कहते हैं न जिसको पाने का इंतजार करो.. वो ज्यादा देर में मिलता है।
वही हुआ.. दिन बहुत बड़ा लगने लगा था.. जैसे-तैसे रात हुई।

सब कल की तरह चल रहा था। मौसी खाना बनाने में लगी हुई थीं.. बाक़ी सब टीवी देख रहे थे। मैं भी टीवी देख रहा था और रिया कुछ देर बाद आकर मेरे पास ही लेट कर टीवी देखने लगी। सर्दी होने के कारण कंबल सब ने ढक लिया था।

रिया ने मेरा हाथ अपने हाथ में ले लिया और धीरे से उसने बोला- आज आपका हाथ गर्म नहीं है।
मैंने भी उसका हाथ दबाते हुआ कहा- यहाँ गर्मी तो तुम्हारी है।

उसने मुस्कुरा का अपना चेहरा दूसरी तरफ़ कर लिया। मैंने आराम से उसकी चूचियों पर हाथ रखा और दबा दिया, जिससे उसके मुँह से ‘उउउइईई..’ की आवाज़ निकली। मेरा लंड तो सब कुछ फाड़ कर बाहर आने को तैयार था।

मैंने प्यार से उसकी दोनों चूचियाँ दबानी शुरू की.. वो आख बंद करके मम्मे दबवाने का मज़ा ले रही थी। मेरे लंड का बुरा हाल हो रहा था। मेरा मन कर रहा था कि बस इसे यही अन्दर चोद दूँ, पर सबके होने के कारण मुनासिब नहीं था।

मुझे अपनी नहीं.. रिया की ज्यादा फिक्र थी.. क्योंकि उस पर सब उंगली उठाते और मैं ये कभी नहीं चाहूँगा कि मेरे कारण किसी के दामन पर दाग लगे। मैं उसकी चूची दबाता रहा और दबाता हुआ मैं भी उससे साथ में लेट गया। मैंने कल की तरह कंबल में अपना सर अन्दर कर लिया, उसकी एक चूची उसके कमीज से बाहर निकाल कर चूसने लगा।

एक कुँवारी लड़की के चूचुक बहुत ही छोटे होते हैं। मैं उन्हें बड़े मजे से चूस रहा था। कुछ देर चूसने के बाद मैंने अपने एक हाथ को उसकी चूत पर लगा दिया.. जो पहले से ही बहुत गीली हो चुकी थी और बत्ती की तरह गरम हो रही थी। रिया बस अपनी आँखें बंद किए हुए थी। मैंने एक उंगली उसकी चूत में डाली और बाहर निकाल कर उसके रस से सनी उंगली पहले अपने मुँह में डाली और फिर दोबारा से उसकी चूत में अन्दर कर दी।

अबकी बार मैंने चूत से उंगली निकाल कर रिया के मुँह में अन्दर कर दी और उसने बड़े मजे से मेरी उंगली चूसी। हम दोनों काफ़ी देर तक इसी को करते रहे।
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मैं वहाँ 4 दिन तक रहा। हम दोनों इसी तरह एक-दूसरे के अंगों से खेलते रहे। चोदने का मौका ही नहीं मिला।

एक बार उसकी चाची की लड़की की शादी थी। मैं भी वहाँ गया हुआ था.. मैंने सोचा क्यों ना इसको कहीं बाहर ले जाकर चुदाई करूँ.. पर उसका छोटे भाई ने साथ चलने भी ज़िद करके मेरी बाइक पर चढ़ कर साथ में ही लद गया।

खैर.. मैं एक बार उसको अन्दर भी ले गया। वहाँ भी कुछ नहीं हो सका। कोई फायदा नहीं हुआ।
हम दोनों आज भी अधूरे हैं।

मुझे पता नहीं कि यहाँ पर आप सब को मेरी ये बात कैसी लगी होगी.. पर जो सच था वो मैंने लिखा है।
मुझे आप सब की सलाह की ज़रूरत है और जिसको मुझसे कुछ पूछना हो.. वो पूछ सकता है। आप मुझे ईमेल कर सकते हैं।
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