सबसे पहले सभी खड़े लण्ड और पानी छोड़ती चूतों को मेरा सलाम.. मेरा नाम राहुल है.. मैं अहमदाबाद का रहने वाला हूँ.. उम्र 20 साल है। मैं 5’ 10” का करीब 7″ लम्बे और 2″ मोटे लण्ड का मालिक हूँ।
आज मैं आपको मेरे जीवन की.. और अन्तर्वासना पर भी मेरी पहली कहानी सुनाने जा रहा हूँ, आशा करता हूँ कि आपको मेरी कहानी पसंद आएगी..
यह कहानी मेरी और मेरी पड़ोसन भाभी की है.. भाभी का नाम श्रेया है और वो करीब 5’5″ लम्बाई की हैं। उनका जिस्म लगभग 34-30-36 के कटाव वाला है… और वो बहुत ही तीखे और मदभरे नैन-नक्श वाली हैं।
मैं जब भी उसको पीछे से चलते हुए देखता हूँ तो उसकी हिलती और मटकती हुई गाण्ड देख कर मेरा हथियार तन कर पैन्ट से बाहर आने के लिए बेताब होकर अक्सर उत्तेजित हो जाता है.. शायद मोहल्ले के सारे मर्दों ने कम से कम एक बार तो उनका नाम लेकर मुठ मारी ही होगी।
उनके बारे में यदि कम शब्दों में लिखा जाए तो एक बार शॉट मारने लायक फटका हैं.. जिसे भगवन ने फुरसत से बनाया है।
बात आज से एक महीने पहले की है.. श्रेया भाभी के पति राजीव भैया.. जिनका टेक्सटाइल का बहुत बड़ा बिजनेस है.. वो किसी काम से दो हफ्तों के लिए दिल्ली गए हुए थे।
हमारे भाभी के परिवार से सम्बन्ध अच्छे थे.. तो मेरा उनके घर आना-जाना लगा रहता था।
अब घर पर भैया नहीं थे.. तो भाभी को अकेले घर पर मन नहीं लगता था.. इसलिए मैं रात को उनके पास चला जाता था और हम लोग काफी देर तक बातें करते रहते थे।
इसी बीच हम लोग एक-दूसरे में काफी घुल-मिल गए थे। भाभी को भी मेरा साथ और मेरी दोस्ती पसंद आने लगी थी। अब दोपहर में भी जब मैं कॉलेज जाता तब हम लोग WHATSAPP पर चैटिंग करने लगे थे।
आप लोगों को तो मालूम ही है कि आजकल व्हाट्सएप पर सभी तरह के जोक्स और फोटो शेयर की जाती हैं। इसी तरह बात आगे बढ़ी और अब हम खुल कर बात करने लगे।
मैंने एक दिन कहा- भाभी.. यार आज आप बड़ी सुन्दर लग रही हो।
वो बोलीं- तो रोज़ क्या बदसूरत दिखती हूँ?
मैं- नहीं.. ऐसा नहीं है.. यह गुलाबी साड़ी आप पर गजब ढा रही है।
भाभी- अच्छा.. तू भी बड़ा स्मार्ट लगता है.. तेरी गर्लफ्रेंड के तो नसीब ही खुल गए।
मैं- इसमें नसीब खुलने वाली क्या बात है?
भाभी- ले.. तू उसे बहुत प्यार करता होगा.. घुमाने ले जाता होगा… तो उसे अच्छा लगता होगा न।
मैं- भाभी.. करने को तो मैं बहुत कुछ करूँ.. मगर क्या करूँ कोई गर्लफ्रेंड भी तो होनी चाहिए।
भाभी- चल झुट्टा.. मैं नहीं मानती कि तेरे जैसे स्मार्ट लड़के की कोई गर्लफ्रेंड नहीं है।
मैं- अरे सच में… नहीं है भाभी… कोई आप जैसी मिलती ही नहीं।
भाभी- ओह.. तो नवाब साहब को मेरे जैसी गर्लफ्रेंड चाहिए।
मैं- ह्म्म्मम्म्म्म…
भाभी- अच्छा चल.. तो बस आज से मैं तेरी गर्लफ्रेंड।
मैं- क्या मजाक करती हो भाभी… आप तो पहले से ही भैया से रिजर्व हो..
भाभी- तो क्या हुआ.. आज से मेरा तेरे साथ सीक्रेट अफेयर..
मैं- अच्छा.. तो मेरा मन मेरी गर्लफ्रेंड के साथ डेट पर जाने का हो रहा है।
भाभी- हम्म्म्म डार्लिंग.. बाहर तो नहीं जा सकते.. पर चलो यहीं आपको बाहर से भी ज्यादा रोमांटिक केंडल-लाइट डिनर करवाती हूँ।
मेरे लिए यह सब मजाक जैसा था।
करीब 7 बजे मैं भाभी के घर पहुँचा.. भाभी ने आज एक बहुत ही भड़कीली सेक्सी सी लाल रंग की साड़ी पहनी हुई थी.. और स्लीवलेस ब्लाउज…
मेरा तो देख कर ही खड़ा हो गया… और मन में विचार आया कि आज या तो दोनों की सहमति से चुदाई होगी या भाभी संग जोर आजमाइश होगी।
हम दोनों ने बड़े प्यार से खाना खाया फिर मैंने भाभी को बड़े ही रोमांटिक तरीके से प्रपोज किया।
मैंने घुटनों पर बैठ कर उनके हाथ पर चुम्बन किया…
भाभी ने मुझे खड़ा किया… और मेरे होंठों पर एक फ्रेंच-किस दी..
इस होंठों वाले चुम्बन से तो मैं सातवें आसमान पर पहुँच गया। करीब 15 मिनट तक हम लोग इस तरह ही एक-दूसरे में डूब कर चुम्बन करते रहे।
भाभी को भी बहुत मज़ा आ रहा था.. तब मुझे पता चला कि मुझसे ज्यादा आग तो भाभी की चूत में लगी हुई है।
अब मैं भाभी के सभी अंगों को धीरे-धीरे सहलाने में जुट गया था.. मैंने हमेशा जिसके सपने देखे.. जिसके नाम से मुठ मारी.. आज वो मेरी बाँहों में थी..
मैं कभी भाभी की गाण्ड दबाता.. तो कभी बोबे… वो भी मेरी पीठ पर.. मेरे चूतड़ों पर.. मेरे लण्ड पर.. लगातार हाथ फिरा रही थीं।
अब धीरे-धीरे भाभी जंगली हुई जा रही थीं…
यह मेरा पहला अनुभव था… तो मुझे घबराहट सी हो रही थी कि क्या करूँ.. पर भाभी ने मेरी सभी घबराहट दूर कर दी.. मुझे कुछ करने की जरूरत ही नहीं पड़ी.. सब कुछ भाभी ही कर रही थीं..
मैं उनके बोबों का बहुत बड़ा दीवाना था.. इस लिए पागलों के जैसे दबाए जा रहा था। भाभी ‘आह्ह..आह्ह्ह… आह्ह्ह..’ की आवाजें निकाले जा रही थीं.. जो मेरा जोश और बढ़ा रही थीं।
अब दस बज चुके थे.. मैंने सोचा घर नहीं गया… तो प्रॉब्लम हो जाएगी। इसलिए मैंने भाभी से कहा- डार्लिंग अभी मैं घर चला जाता हूँ.. कोई यहाँ मुझे ढूँढ़ता चला आया और हम दोनों को इस हालत में देख लिया.. तो प्रॉब्लम हो जाएगी।
भाभी ने इस बात पर सर हिलाया.. और एक सेक्सी सी चुम्मी की.. फिर मुझे घर भेज दिया।
मैंने जाते वक्त भाभी से कहा- ऊपर का दरवाजा खुला रखना.. पिक्चर अभी बाकी है… 12 बजे आ कर पूरी करूँगा..
भाभी मुस्कुरा दीं।
फिर मैं घर आ गया। मेरे पास कुछ पोर्न मूवीज पड़ी थीं.. उनमें से एक मूवी को लिया और करीब 12 बजे जब सब सो गए.. तब मैं चुपके से छत पर से भाभी की छत पर आ गया.. क्योंकि हमारे घरों की छतें एक-दूसरे से जुड़ी हुई थीं।
उधर भाभी मेरा बेसब्री से इंतजार कर ही रही थीं, मेरे आते ही अपनी बाँहें फैलाते हुए बोलीं- आओ देश के बांके जवान.. और लूट लो मेरी ये जवानी…
वो बेड़ पर लेटी थीं.. मैं जाते ही सीधे उन पर कूद गया।
उनकी साड़ी एक झटके में हटा कर ब्लाउज के ऊपर से ही मैंने उनके रसीले बोबे दबाने और चूसने लगा। वो मेरा सर अपने मस्त बोबों में दबाए जा रही थीं।
अब मैंने उनके ब्लाउज के बटन तोड़ दिए… उन्होंने ब्रा नहीं पहनी थी।
ब्लाउज का झंझट खत्म होते ही दूध की दो बड़ी-बड़ी टंकियां मेरे सामने थीं.. मैं लपक कर दोनों मम्मों पर टूट पड़ा और बारी-बारी से दोनों मम्मों को चूसने लगा।
फिर भाभी ने मेरे सारे कपड़े उतार दिए और मैंने भी उनके पेटीकोट का नाड़ा अपने दांतों से खोला.. फिर मुँह से ही उनकी पैन्टी खींच कर उन्हें नंगा कर दिया।
अब हम दोनों एक-दूसरे का पूरा जिस्म चाट रहे थे। भाभी मेरे लण्ड से खेलने लगीं.. और मुझे 69 की अवस्था में आने को कहा।
मैं तुरंत 69 की अवस्था में आ गया।
मैं पहली बार किसी की चूत देख रहा था… एकदम गुलाबी.. वो भी क्लीन शेव.. सफाचट.. झांट रहित.. आह्ह.. लौड़े ने एकदम से फुन्कारी मारी, मेरा हथियार पहले कभी ना हुआ उतना मोटा हो गया था.. मानो फटने ही वाला हो..
भाभी ने अपने गुलाबी होंठ जैसे ही मेरे लण्ड पर लगाए.. मैं एक अलग ही दुनिया में पहुँच गया। अब मैं चूत में अन्दर तक जीभ डाल कर चाट रहा था।
भाभी चूत चाटने से गरम हो गई थीं और चिल्ला रही थीं- हाँ.. चूस मेरी जान.. तेरे लिए ही एकदम साफ करके रखी है.. आह्ह.. जोरदार हथियार है तेरा… आज बहुत मज़ा आने वाला है मुझे.. चूस मेरे लाल.. कर दे मेरी चूत भी लाल.. ओह..
भाभी उत्तेजना में मेरी गाण्ड में उंगली डाल रही थीं तो मैंने भी वैसा ही करना आरम्भ कर दिया। कुछ पलों तक भाभी ने मेरा हथियार चचोरा तो मेरा लण्ड पानी छोड़ गया.. जिसे भाभी मजे से पूरा पी गईं।
फिर उनका नमकीन पानी निकल पड़ा जिसे मैंने भी एक-एक बूंद पी लिया। कुछ देर और चूम-चाटी करने के बाद हम दोनों फिर से तैयार हो गए।
अब भाभी पीठ के बल चित्त लेट गईं और उन्होंने अपनी गाण्ड के नीचे एक तकिया लगा लिया फिर मुझसे बोलीं- राहुल.. अपनी चुदासी भाभी पर सवार होने के लिए तैयार हो जा..
मैं अपना हथियार हिलाते हुए किसी अनुभवी चोदू की तरह उनकी चूत के मुहाने पर निशाना लगा कर बैठ गया.. मुझे लगा मैं सब कर लूँगा.. मैंने दो-तीन बार लण्ड घुसेड़ने की कोशिश की.. पर सफल नहीं हुआ…
इस पर भाभी ने मेरी तरफ देखा.. और हँस कर मेरे लण्ड को अपने हाथ में ले कर चूत के छेद पर रख दिया.. और बोलीं- अब डालो महारथी…
मैंने एक हल्का सा शॉट मारा तो लौड़े का क्राउन चूत के अन्दर चला गया… वास्तव में भाभी की चूत अब भी बहुत कसी हुई थी.. सो उन्हें थोड़ा दर्द हुआ।
इधर मेरा भी पहली बार था.. तो मुझे भी टांका टूटने का दर्द हुआ.. पर जो मज़ा मिल रहा था.. वो इस दर्द से कई गुना ज्यादा था…
इसलिए हम दोनों खूब मजे लेकर चुदाई कर रहे थे। अब लौड़ा चूत में फंसा था तो दर्द को भूलने के लिए हम दोनों थोड़ा रुक कर चुम्मा-चाटी करने लगे.. मैंने बोबे चूसे..
तो भाभी ने फिर मुझे और धक्के लगाने को कहा। पाँच-सात धक्कों में मेरा पूरा लण्ड उनकी चूत में दाखिल हो चुका था।
मित्रो.. आज भी मैं भाभी की चूत की वो गर्मी महसूस कर सकता हूँ…
अब दोनों को ही मज़ा आने लगा था, मैं जोर-जोर से शॉट मारने लगा.. भाभी भी कमर उठा कर साथ दे रही थीं, हम दोनों ‘आह्ह्ह… आह्ह्ह्ह… आह्ह्हह्ह..’ कर रहे थे।
भाभी की चूत ने एक बार पानी छोड़ दिया था जिससे लौड़े की चोटों से “फच..फच..” की आवाज़ हमारा जोश बढ़ा रही थी। बीस मिनट बाद मेरी रफ़्तार बढ़ गई … भाभी भी जोर से आवाज़ निकालने लगीं और चूतड़ों को उछाल-उछाल कर चुदाने लगीं।
करीब 5 मिनट बाद हम दोनों साथ ही झड़ गए… भाभी की चूत मेरे गरम-गरम माल से भर गई।
दस मिनट आराम करने के बाद हमने फिर से चुदाई चालू कर दी इस बार छेद बदल चुका था अब मैंने उनकी गाण्ड मारनी चालू कर दी थी।
भाभी भी गाण्ड मरवाने की अनुभवी थीं यह चुदाई का सिलसिला सुबह 5 बजे तक चलता रहा।इसी बीच भाभी ने बताया कि वो मुझसे बहुत पहले से ही चुदना चाहती थीं.. वो इसी दिन की तलाश में थीं.. राजीव भैया को बिजनेस के आगे कुछ नहीं दिखता.. और भाभी रोज़ ही प्यासी रह जाती थीं रोज़ उन्हें उंगली से या गाजर.. मूली.. आदि सब्जियों से काम चलाना पड़ता था।
सुबह फिर से मैं अपने घर आ गया।
दूसरे दिन जब मैं कॉलेज में था.. तब भाभी का मैसेज आया कि मैं जो मूवी ले गया था.. भाभी उसी को देख रही हैं और मुझे याद कर के अपनी चूत में उंगलियां डाल रही हैं.. मैं हँसने लगा।
बाकी के दस दिनों की कहानी फिर कभी लिखूंगा… जो इससे कई गुना ज्यादा मज़ेदार है…
जिसमें हमने उस मूवी में दिखाई गई हर स्टाइल में चुदाई की।
आपके ईमेल का मुझे इंतजार रहेगा.. जरुर बताइएगा कि आपको कहानी कैसी लगी।
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