अर्चना भाभी की चुदास और चूत चुदाई -3

आपने इस कहानी के पिछले भाग
अर्चना भाभी की चुदास और चूत चुदाई-2
में पढ़ा कि कैसे अर्चना भाभी की चूत की मस्त चुदाई हुई।
आप सबके बहुत मेल आये, इतना प्यार के लिए शुक्रिया।

अब आगे की कहानी में बताऊंगा कि कैसे भाभी से रिश्ता आगे बढ़ा, कैसे भाभी ने अपनी एक सहेली से भी दोस्ती करवाई और कैसे मुझे भाभी ने एक प्ले बॉय बनने के लिए प्रेरित किया।

तो दोस्तो, जब सुबह हुई तो आँख बहुत देर से खुली पर भाभी जग चुकी थी। मैं 10 बजे जगा, ऑफिस के लिए भी लेट हो चुका था। तो मैंने casual छुट्टी ले ली।

जब पेपर लेने बाहर निकला तो भाभी नहा धो कर बाहर ही बैठी थी, शायद मेरा इंतज़ार कर रही थी।
मैंने गुड मॉर्निंग बोला तो सिर्फ एक कातिलाना मुस्कान मेरी तरफ उछाल दी अर्चना भाभी ने, बोली- फ्रेश हो लो, तो फिर बात करते हैं।
मैंने कहा- जैसी आपकी इच्छा!

मैं अपने रूम में आ गया, फ्रेश होने और नाश्ता करने में 12 बज गए थे। तभी उनका मेसेज आया ‘क्या कर रहे हो?’
मैंने फ़ोन किया- कुछ नहीं, बस रात की यादों में खोया हुआ हूँ।
भाभी- मैं भी कल रात को कभी भूल नहीं सकती हूँ।

मैंने पूछा- कैसा लगा?
भाभी- पूछो मत अजय, आअह्ह… क्या मज़ा दिया तुमने! मैं तो पूरी तरह से मदहोश हो गई थी तुम्हारे आगोश में।
मैंने कहा- आपने भी तो मुझे पागल कर दिया था। क्या मस्त चूचे हैं आपके, चिकनी चूत है और मस्त गांड… आःह्ह्ह ह्ह्ह!
मैंने कहा- भाभी आप पूरी तरह से एक फिट माल हो जो किसी के भी होश उड़ा दे।

तो हँसने लगी, कहा- तुम भी कहाँ कम हो अजय, तुम भी तो पागल कर देते हो अपनी अदाओं से जो उस समय करते हो।
जब मैंने पूछा कि ‘सबसे अच्छा क्या लगा आपको?’ तो बोली- तुम बहुत अच्छा फोरे प्ले करते हो। और उस टाइम खुद पर कंट्रोल रखते हो।

मैंने कहा- तो आज का प्लान बताओ?
बोली- दोपहर के खाने के बाद आती हूँ।
मैंने कहा- अभी आओ न, थोड़ा मन कर रहा है।

तो थोड़ा न नुकुर के बाद मान गई और 5 मिनट में ही आ गई। गुलाबी रंग की साड़ी और स्लीव लेस ब्लाउज गोरे बदन पर जैसे ग़ज़ब ढा रही थी।
पल्लू पेट से थोड़ा हटा हुआ था, नाभि की गहराई मुझे अपने में डूबा देने के लिए जैसे मुझे बुला रही थी।

आते ही भाभी को एक कसा आलिंगन किया मैंने और भाभी के गले पर चुम्बन किया।
हम लोग ऐसे ही खड़े रह के बात कर रहे थे, मेरे हाथ भाभी के कमर को सहलाते हुए उनके पहाड़ जैसे चूतड़ों पर चले गए, मैं अपने दोनों हाथों से उनके मस्त मांसल कूल्हों को हल्का हल्का दबा रहा था, उनके एवरेस्ट जैसे चूचे मेरे सीने में दबे हुए थे।
‘आह्हह्ह…’ क्या महसूस हो रहा था, पूछो मत!

भाभी अब हल्का हल्का गर्म होने लगी थी। अब मैंने भाभी के कूल्हों को दबाते हुए अपने होंठ उनके कान के लोब पर रखे तो उनकी सिसकारी निकल गई- आआह्ह्ह्ह!
मैं उनके कान को चूस रहा था, भाभी ने मेरी कमर में हाथ डाल कर मुझे अपने से और चिपका लिया, मेरा मजबूत लंड उनकी साड़ी के ऊपर से ही बुर पर रगड़ खा रहा था।

अब मैं अपने हाथों से उनकी सेक्सी गांड को मसल रहा था, साथ ही साथ अपने सीने से उनकी पहाड़ जैसे चूचे दबा रहा था, बहुत मज़ा आ रहा था हम दोनों को।

मैंने उनके पल्लू को सीने से नीचे गिरा दिया- आअह्ह आअह्ह्ह आःह्ह्ह… क्या मस्त नज़ारा था अब… ऐसा लग रहा था कि ब्लाउज़ फाड़ के चूची बाहर आ जायेगी।
दोनों चूची दबने से उनका क्लीवेज बहुत सेक्सी दिख रहा था। मैं अपना एक हाथ गांड से हटा के उनके सीने पर रख कर सहलाने लगा।
उनकी सांसें बहुत तेज़ होने लगी थी जिससे चूची ऊपर नीचे हो रही थी, मस्त दिख रही थी ऊपर नीचे होते उनकी चूची।

भाभी जो अब पूरी मस्ती में आ गई थी, मेरे कूल्हे मसल रही थी और अपनी बुर को मेरे लंड से रगड़ रही थी।
अब मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए, क्या मखमली अहसास था, उसके निचले होंठ को अपने होंटों के बीच में लेकर चूसने लगा।
मस्त रसीले होंठ…

तभी भाभी ने अपनी जीभ मेरे मुख में डाल दी और मेरी जीभ से अपनी जीभ को रगड़ने लगी।

पूरी तरह से एक दूसरे की बाँहों में हम लोग मदहोश हो चुके थे, बस एक दूसरे के होंठों को चूसे जा रहे थे।
अब मैं अपनी जीभ उनके मुँह में डाल चुका था, भाभी मस्ती से मेरी जीभ को चूस रही थी। मैं उनकी चूची को अपने हाथ में लेकर मसल रहा था।

अब तक मैं ब्लाउज के बटन खोल कर चूची दबा रहा था, 15 मिनट के चुम्बन के बाद भाभी ने मेरे आँखों में देखा, मैंने पीछे हाथ करके भाभी के ब्रा का हुक खोल दिया।
अब उनकी बड़े चूचे मेरे हाथ में थे, मैं एक चूची के निप्पल को हल्का हल्का मसल रहा था जिससे उनके मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी, मस्त मादक सिसकारी।

तभी मैं झुक कर एक निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगा। भाभी ने मचल कर मेरे सर को अपनी चूची में दबा लिया।

मैं भी मस्त होकर उनका दुधु पी रहा था, नीचे वो मेरे लंड से खेल रही थी जो बेहद कड़क हो चुका था, मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर मुठ मार रही थी।

अब मैं भाभी के आगे बैठ गया जिससे मेरा मुँह भाभी की बुर के आगे हो गया, भाभी ने मेरा सर साड़ी के ऊपर से ही बुर के पास दबा लिया।
यह उनका इशारा था कि ‘बुर को चूस लो।’
पर मेरा इरादा तो आज दूसरा ही था, मेरी नज़र भाभी के गदराई हुई गांड पर थी जिसे मैंने नीचे बैठ के पीछे से पकड़ा हुआ था।

धीरे धीरे मैंने उनकी साड़ी को ऊपर उठाना शुरू किया।
आःह्ह्ह क्या गोरी टांगें हैं बिल्कुल चिकनी! कल रात कम रोशनी में अच्छे से दिखी नहीं थी।

मैंने अब भाभी को पीछे घुमा दिया, पीछे से उनकी साड़ी ऊपर करने लगा तो पूछने लगी- पीछे क्यूँ हो अजय?
मैंने कहा- आपकी गांड देखनी है भाभी।
वो बोली- पहले बुर चूस कर शांत करो, फिर गांड देखना।
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भाभी ने खुद ही मुड़ कर अपनी बुर मेरे मुँह पर लगा दी, मैंने उनका एक पैर अपने बेड पर रख दिया, एक नीचे ही था जिससे उनकी बुर खुल गई और मैंने अपने होंठ भाभी के चूत के होटों पर रख दिए।

भाभी बोली- अजय, तुम्हें बहुत तरीका आता है औरतों को खुश करने का? खा जाओ मेरो चूत को आज!
भाभी बोले जा रही थी और मेरा सर अपने बुर में दबाये जा रही थी।

मैं भी अपनी जीभ से उनकी बुर चाट रहा था।
तभी मैंने उनकी बुर को अपने दोनों हाथों से फैला के जीभ से पिंक वाला अंदर का हिस्सा चाटा तो भाभी ने मेरा सर अचानक से अपनी बुर पर दबा लिया और काफी पानी आया उनकी बुर से, मैंने सब चाट कर साफ़ कर दिया।

अब मैंने भाभी को फिर से पीछे घुमा दिया, अपना गाल उनके कूल्हे से रगड़ रहा था, आगे हाथ करके उनकी बुर को फिर से सहलाने लगा था जिससे वो फिर से गर्म हो जाये, अपने होटों से गांड को किस कर रहा था, भाभी को थोड़ा आगे झुका कर अच्छे से गांड को मसलने लगा।

अब भाभी को भी मज़ा आ रहा था, आह्ह आह्ह्ह आह्ह्ह किये जा रही थी।
मैंने उनके गांड को हल्का फैला के गुलाबी छेद पर ऊँगली रखी तो भाभी ने अपनी गांड थोड़ी सिकोड़ ली जिससे छेद बहुत टाइट हो गया।

मैंने भाभी से कहा- आपकी गांड बहुत सेक्सी है।
तो बोली- कितनी?
मैंने कहा- सबसे अच्छी भाभी, जब गांड हिला कर चलती हो तो जान ले लेती हो। मुझे आज आपकी गांड पेलनी है, जम के गांड मारनी है।
भाभी बोली- मैंने कभी नहीं गांड मरवाई है।
तो मैंने कहा- कैसे भैया ने इतनी सेक्सी गांड छोड़ दी बिना चोदे?

तो भाभी हँसी और कहने लगी- शायद तुम्हारे लिए छोड़ दी हो।
तो मुझे लगा कि हो न हो भाभी के मन में भी गांड मरवाने का विचार है, तभी मैंने कहा- आज आपकी गांड मारता हूँ, चूत बाद में मारूँगा!
भाभी बोली- मुझे भी बहुत दिनों से मन था गांड मरवाने का क्यूँकि मेरी एक सहेली अक्सर गांड मरवाती है, कहती है कि बहुत मज़ा आता है, बिल्कुल शुरू के दिनों की याद आ जाती है।

मैं अपनी एक ऊँगली उनकी गांड के छेद पर रख के अंदर दबाने लगा, छेद बहुत टाइट था।
मैंने कहा- उंगली चूस के गीली करो!
तो भाभी मेरी बीच वाली ऊँगली मुँह में लेकर चूसने लगी, ढेर सारा थूक लगा कर गीली की, मैंने अब छेद पर रख के बढ़ाया अंदर तो थोड़ी अंदर चली गई।

भाभी कसमसाई तो अंदर आधी ऊँगली डाल कर ऊँगली से ही चोदने लगा और हल्का हल्का कर के पूरा ऊँगली डाल दी। अब मैं अच्छे से घुमा रहा था ऊँगली को अंदर ताकि लंड के लिए जगह बन जाये।
‘आह्ह्ह्ह्ह् आह्ह्ह आह्ह्ह…’ भाभी किये जा रही थी।
मैंने पूछा- कैसी फीलिंग है?

बोली- पूछो मत जान, बहुत अच्छा लग रहा है, सच में तुम बहुत अच्छे हो। तुम्हारे जैसा कोई मज़ा नहीं देता होगा किसी को। आजह्ह आह्ह्ह पेल दो अजय मेरी जान, आज अपनी भाभी की गांड फाड़ दो… मार दो देरी प्यासी गांड को… आआह्हह आह्हह्ह लव यू अजय… आह आअह्ह आह्ह्ह्ह!
भाभी पूरी तैयार थी गांड मरवाने का लिए।
कहानी जारी रहेगी।
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कहानी का अगला भाग : अर्चना भाभी की चुदास और चूत चुदाई-4