टयूशन टीचर की चुदाई की रियल सेक्स स्टोरी

दोस्तो, मेरा नाम राहुल है और मैं इलाहाबाद का रहने वाला हूँ. मैं इस अन्तर्वासना वेबसाइट का रेग्युलर रीडर हूँ. मैं आज अपना भी रियल सेक्स अनुभव शेयर करने जा रहा हूँ.

बात उस समय की है जब मैं 12 वीं क्लास में था. मैं टयूशन पढ़ने एक टीचर के पास जाता था, उनका घर मेरे घर से थोड़ी दूरी पर था. मैं रोज साइकल से उनके घर जाता था.

जो दीदी मुझे टयूशन पढ़ाती थीं उनका नाम रेणु था. उनकी हाइट 5.2 इंच होगी व रंग सांवला था. दीदी के चूचे काफ़ी बड़े थे, हमेशा वो पटियाला सलवार सूट पहनती थीं. इस तरह के सूट में उनके मम्मे एकदम बाहर से दिखते रहते थे. मैं उनकी उभरी हुई गांड का दीवाना था.

वो ग्रॅजुयेशन कंप्लीट कर चुकी थीं और शादी के लिए उनके घर वाले लड़का ढूँढ रहे थे.

वो मुझको अकेले अपने बेडरूम में टयूशन पढ़ाती थीं. इधर वो बेड पर बैठती थीं और मुझको चेयर पर बैठने को कहती थीं. मैं मन लगा कर पढ़ता था, पर जब वो टॉयलेट करने जाती थीं तो उनकी मटकती गांड देख कर मेरा लंड खड़ा हो जाता था.

वो मुझको ‘बाबू..’ कहती थीं. मेरी क्लास मज़े से चल रही थी. अक्सर हम मूवीज की बात करते थे, फैशन की बात करते थे. इसी दौरान उनको अक्सर फोन कॉल्स भी आते रहते थे. उनका एक ब्वॉयफ्रेंड भी था जो कि शादीशुदा था और उसके बच्चे भी थे. वो अक्सर फोन पर उसी से बातें करती थीं.

रोज़ की तरह जब मैं उनके साथ पढ़ रहा था कि उनका फोन कॉल आया और वो मुझे कुछ सवाल देकर चली गईं.

जब मैंने सारे सवाल हल कर लिए तो मैंने उनको आवाज़ दी, पर कोई रिप्लाई नहीं आया.

मैं थोड़ी देर बैठा रहा और फिर मैंने अन्दर जाकर देखा तो वहां कोई नहीं था. वापस आते वक़्त मैंने देखा तो टॉयलेट का दरवाजा खुला था और ‘इस्स..’ की आवाजों के साथ रेणु दीदी की फोन पर बात सुनाई दे रही थी.

मैंने अन्दर झाँक कर देखा तो दंग रह गया. मैंने देखा कि रेणु दीदी अपनी सलवार में एक हाथ डाल कर उंगली कर रही थीं और अज़ीब सा फेस बना रही थीं.

मुझे देख कर वो डर गईं और अपना हाथ बाहर निकाल कर गुस्से से बोलीं- तुमको सवाल दिए थे.. हुए या नहीं?
मैंने बोला- हाँ हो गए.
तो वो बोलीं- चलो वहीं बैठो.. मैं आती हूँ.

कुछ देर के बाद वो आ गईं.

फिर बार-बार पूछने लगीं- तुमने क्या देखा?
मैं मना कर रहा था, पर उन्होंने मुँह खुलवा ही लिया.
मैंने बोला- आप सलवार में खुजली कर रही थीं.
वो हंसने लगीं. वो जोश में थीं.

तभी दीदी मेरे हल किए हुए सवाल चैक करने लगीं. उन्हें कुछ सवालों के हल गलत मिले तो उन्होंने बोला- ये सब गलत किया है, मैं तुम्हारे डैड को बता दूँगी. तुम्हारा पढ़ाई में मन नहीं लगता है और तुम इधर-उधर की बातों में ही दिमाग लगाए रहते हो.

उनकी इस धमकी से मैं उनसे माफी माँगने लगा और मैंने बोला- प्लीज़ आप पापा से कुछ मत कहना, अब से आप जो बोलोगी, वो मैं करूँगा. प्लीज़ इस बार छोड़ दो.
उन्होंने मुझसे प्रोमिस करवाया कि ये सब जो तूने देखा है वो किसी को नहीं बताएगा.
मैंने प्रोमिस कर दिया.
फिर उन्होंने बोला- अगर अपने पापा की मार से बचना है, तो जैसा मैं बोलती हूँ तुम वैसा ही करो.

मेरे ओके बोलते ही वो अपने बेड पर घोड़ी बन गई और सलवार खोल कर उन्होंने अपनी गांड मेरी तरफ कर दी.

उनकी इस हरकत को देख कर मैं एकदम से सन्न रह गया.

उनकी चिकनी गांड देख कर मेरा लंड एकदम से टाइट हो गया था.

दीदी धमकाते हुए बोलीं- मेरी पेंटी को नीचे करो.
मैंने उनकी पेंटी नीचे की.. और देखा कि उनकी फटी हुई काली चुत से रस टपक रहा था और उनकी चुत के चारों तरफ झांटें उगी हुई थीं.
‘चूस..!’
मैंने बिना देर किए उनकी चुत में अपना मुँह लगा दिया और चुत चूसने लगा.

वो घोड़ी बनी हुई थीं. मेरा मुँह उनकी चुत में लगते ही उन्होंने अपना सर तकिया में दबा लिया. उनकी बड़ी गांड बहुत ही मस्त थी, मैं लगातार दीदी की चुत को चाटे जा रहा था.

वो कामुक हो गई थीं और मादकता से बोल रही थीं- आह.. चाट ले बाबू.. तेरी दीदी की जवानी बड़ी आग है मेरे बाबू.. आह.. और जोर से मेरी चुत चाट.. अह..
मैं दीदी की चुत चाटते जा रहा था और वो चुदास के चलते अजीब-अजीब सा मुँह बना रही थीं.

फिर अचानक उनकी टांगें एकदम से अकड़ उठीं और वो अपनी चुत से रस छोड़ने लगीं.. मेरा मुँह उनकी चुत पर ढक्कन की तरह फिट था सो मैं धीरे-धीरे करके दीदी की चुत का माल पीता गया.
वो झड़ने के बाद थक चुकी थीं.. बोलीं- बस हो गया.. अब नहीं करो..
पर मुझे तो जोश चढ़ा हुआ था. मैं उनके साइड में लेट गया और मैंने अपनी बीच की उंगली उनकी गांड में डाल दी. वो अपनी गांड में उंगली का अहसास पाते ही ‘आह ऑउच..’ की आवाजें करने लगीं.

मेरी एक उंगली दीदी की गांड की गहराइयों में घुस चुकी थी और मैं उनको स्मूच करे जा रहा था. मैं कभी दीदी की जीभ को चूसता तो कभी उनके मुँह में अपनी लार डाल कर उन्हें गर्म कर रहा था.

तभी दीदी ने मेरी पैन्ट के ऊपर से ही मेरे फूले हुए लंड पर हाथ फिराया तो मैं उनका इशारा समझ गया और मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया.
मेरा लंड 7 इंच का और 2.5 इंच मोटा है, मैंने जैसे ही लंड निकाला, वो पागलों की तरह मेरे लंड को हिला-हिला कर चूसने लगीं.
उनके बाल खुल चुके थे और वो एकदम नंगी हो गई थीं.

फिर मुझे शावर के नीचे खड़ा करके दीदी को चोदने का आइडिया आया. मैंने दीदी से कहा- चलो बाथरूम में मजा लेते हैं.

हम दोनों बाथरूम में आ गए. मैंने उनको अपनी एक टांग वाशबेसिन पर रखने के लिए बोला. दीदी ने जल्दी से अपनी एक टांग वाशबेसिन पर रखी और मैं उनके नीचे से आकर एक बार फिर से दीदी की चुत चाटने लगा.

वो काफी गर्म हो चुकी थीं. तभी अचानक से दीदी की चुत चाटते वक़्त उनकी सुसु निकल गई.
मैंने गुस्से में उन्हें नीचे पटक कर टांगें फैला दीं और एकदम जोर से चुत को पीने लगा, उनकी आह निकल गई. फिर मैं अपना लंबा और मोटा लंड उनकी चुत पर रगड़ने लगा, वो जोश से सिसकियां भर रही थीं और अपने होंठ चबा रही थीं.

तभी मैंने एक तगड़े झटके से एक बार में ही अपना पूरा अन्दर लंड दीदी की चुत में पेल दिया.
दीदी चिल्ला उठीं- आह.. बाबूऊउ.. उम्म्म.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… उउउह.. कितना मोटा लंड है.. बससस्स उम्म्म्म.. मर गई.. अह..
मेरा पूरा लंड दीदी की चुत के अन्दर था और उनकी आँख से आंसू आ रहे थे.

तभी मैंने दूसरा झटका मारा और मेरा लंड उनकी बच्चेदानी से जाकर टकरा गया. वो पागल हो गईं और चिल्लाने लगीं.
अब मैंने झटके मारने स्टार्ट कर दिए. मेरा लंड दीदी की चुत को चीरते हुए उनके पेट तक जा रहा था.

मैंने उसके दोनों हाथों को कसके पकड़ रखा था. धीरे-धीरे दीदी को भी चुत चुदाई में मजा आने लगा और वो फुल मस्ती में अपनी चुत में मेरा मोटा लंड में ठुकवाने लगीं.

अब मैंने उनके दोनों हाथ छोड़ दिए थे. मेरा लंड दीदी की चुत को दनादन चोद रहा था. वो अपनी चुत मेरे लंड पर रगड़ रही थीं. मेरा लंड अन्दर-बाहर होता हुआ दीदी की चुत की गहराइयों तक जा-आ रहा था.
चुत और लंड के लिसलिसे हो जाने से चुदाई का मधुर संगीत ‘सटासट सटासट..’ की आवाजों से गूँज रहा था.

‘उउईइमाँआ.. मर गई.. कितना मस्त चोदता है तू बाबू.. आह.. जान निकाल दी तूने.. आह चुत का भोसड़ा बना दिया.. आह.. मजा आ गया.’

मुझे उनके बदन की खुशबू मदहोश कर रही थी. दीदी को चोदते-चोदते मैं उनके मम्मों को पीने लगा. वो पागल हो गईं और मदमस्त आवाज में बोलीं- आह.. और ठोको.. बाबू.. आह.. मैं झड़ने वाली हूँ उह.. अह.. बाबूऊउ.. उम्म्म्म..

फिर जब वो झड़ने वाली थीं, तो मैंने एक आखिरी ज़ोर का झटका लगा दिया और वो झड़ गईं.. और उस वक्त हल्की सी ब्लीडिंग भी हुई.. जिसे देखा कर मैं मुस्कुरा दिया.

चुदाई हुई और दीदी की चुत रो पड़ी थी, लेकिन मैं ठहरा पैदाइशी कमीना. मैं इतनी जल्दी ना तो झड़ने वाला था ना ही मेरा लंड मानने वाला था. मैंने अब अपना लंड चुत से बाहर खींचा और दीदी की गांड में डाल कर 8-10 झटकों के साथ गांड को भी चोद दिया.

कुछ मिनट दीदी की गांड मारने के बाद मैंने उनकी गांड में ही अपने लंड का सारा पानी छोड़ दिया.
फिर हम लोग कुछ देर तक लेटे रहे, दीदी मुझे चूमते हुए प्यार करती रहीं. हम दोनों कुछ मिनट के लिए सो भी गए.
थोड़ी देर बाद मैं उठा कर कपड़े पहन कर अपने घर चला गया.

अगले दिन मुझे दीदी के उनके सामने आने में और उनसे आँख मिलाने में शर्म आ रही थी, पर जैसे तैसे मैं गया. मैंने देखा कि दीदी भी शर्म से पानी-पानी हो रही थीं.

लेकिन दोनों को एक-दूसरे का लंड चुत मन में बस गया था तो अगले दिन से पढ़ाई की बात कम और चुदाई की बात ज्यादा होने लगीं. बात करते-करते जब जोश चढ़ता तो मैं रोज़ अलग-अलग स्टाइल से दीदी की चुत चुदाई कर देता. दीदी की चुदाई करने के लिए मैं इंटरनेट पर कुछ नए ट्रिक्स और नई स्टाइल भी खोजता रहता था.

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