धोबी घाट पर माँ और मैं -1

बात बहुत पुरानी है पर आज आप लोगों के साथ बांटने का मन किया, इसलिये बता रहा हूँ। हमारा पारिवारिक काम धोबी का था, हम लोग एक छोटे से गाँव में रहते थे और वहाँ

Continue reading

धोबी घाट पर माँ और मैं -2

घर पर मैं जब भी इस्तरी करने बैठता, तो मुझे बोलती- देख, ध्यान से इस्तरी करियो। पिछली बार श्यामा बोल रही थी कि उसके ब्लाउज़ ठीक से इस्तरी नहीं थे। मैं भी बोल पड़ता- ठीक

Continue reading

धोबी घाट पर माँ और मैं-4

माँ ने मेरे हाथ को अपने हाथों में ले लिया और कहा- इसका मतलब तू मुझे नंगी नहीं देख सकता, है ना? मेरे मुंह से निकल गया- हाय माँ, छोड़ो ना! मैं हकलाते हुए बोला-

Continue reading

धोबी घाट पर माँ और मैं-5

मेरे मुख से तो आवाज ही नहीं निकल रही थी। फिर उसने हल्के-से अपना एक हाथ मेरी जांघों पर रखा और सहलाते हुए बोली- हाय, कैसे खड़ा कर रखा है, मुए ने? फिर सीधा पजामे

Continue reading