अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा प्रणाम..
यह मेरे जीवन की पहली प्यारी और सच्ची दास्तान है। इस कहानी को लिखने में मुझे बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ा.. फ़िर भी मैंने ठान लिया था कि कुछ भी हो जाए.. यह दास्तान आप सब मित्रों को सुनानी ही है।
मेरा वास्तविक नाम आशु है.. मेरे परिवार में हम चार लोग हैं.. मम्मी-पापा.. मैं और मेरी बड़ी बहन!
यह घटना 3 साल पहले की है.. जब मैं बारहवीं कक्षा में था और मेरी उम्र अठारह वर्ष थी।
हम सब पहले एक साथ भरतपुर में रहते थे.. पापा का ट्रांसफ़र कोटा शहर में हो गया था.. पढ़ाई के कारण हम सब भी पापा के साथ आ गए।
इसी शहर में पापा के रिश्ते में भाई या यूँ कहूँ कि हमारे दूर के चाचा-चाची और उनकी एक लड़की के साथ रहते थे। उसका नाम अनु (बदला हुआ) था, वो भी बारहवीं कक्षा में थी, उसकी उम्र भी अठारह वर्ष थी, वे लोग हमारे घर से कुछ ही दूरी पर रहते थे।
कुछ ही दिनों में हमारी अच्छी जान-पहचान हो गई.. क्योंकि हम दोनों एक ही कक्षा में थे और दोनों साथ-साथ पढ़ते थे.. जिससे हम दोनों में अच्छी दोस्ती हो गई।
इसी दोस्ती के चलते धीरे-धीरे मैं भी उसे और वो मुझे ना जाने कब पसन्द करने लगी।
लेकिन हम दोनों ने कभी एक-दूसरे को इसके बारे में कोई इजहार नहीं किया।
दोस्तो, मैं सेक्स के बारे मैं कम ही जानता था और ना ही कभी इच्छा हुई कुछ सेक्स आदि करूँ।
मैं यहाँ बता दूँ कि लड़की की अठारह और तीस और लड़के की अठारह और पच्चीस की उम्र में तगड़ी चुदाई की इच्छा होती है और वो लण्ड एवं चूत के लिए इधर-उधर भटकते हैं।
हम दोनों की भी यही उम्र थी।
सर्दी का समय था और उस समय हम दोनों के बारहवीं के पेपर चल रहे थे। उसी समय हमारे परिवार में किसी की शादी थी.. तो मम्मी, पापा, मेरी बड़ी बहन और चाचा-चाची तीन दिन के लिए शहर से बाहर आगरा चले गए और अनु को हमारे घर मेरे साथ छोड़ कर चले गए।
अनु ने हम दोनों के लिए खाना बनाया, खाना खाकर हम दोनों पढ़ने के लिए बैठ गए। मैं और अनु घर पर अकेले पढ़ाई कर रहे थे। पढ़ाई करते-करते रात के ग्यारह बज चुके थे तो मैंने अनु को बोला- अनु बहुत पढ़ लिए.. अब सो जाते हैं, सुबह जल्दी उठ कर पढ़ाई कर लेंगे।
उसने भी हामी भरी और हम दोनों ने अलग-अलग रजाइयाँ लीं और सो गए।
हमें पढ़ते-पढ़ते जल्दी नींद ना आ जाए इसलिए हम जमीन पर बिस्तर बिछा कर सोते थे। हम दोनों ने अपना-अपना बिस्तर थोड़ी दूरी पर लगाया हुआ था जिससे दोनों के सोने में कोई परेशानी ना हो।
रात के एक बज रहे थे कि तभी मुझे अपनी रजाई में कुछ हलचल महसूस हुई.. मैंने उठकर देखा कि अनु मेरी रजाई में घुसी हुई है।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
उसने बोला कि वो रजाई छोटी है और उसमें मुझे सर्दी लग रही है।
तो मैंने उसे अपनी रजाई में आने दिया।
दोस्तों क्या बताऊँ.. उसके आ जाने से रजाई में मुझे कुछ ज्यादा ही गरमाहट सी महसूस होने लगी। मुझे उस गरमाहट से ना जाने कब नींद आ ही गई थी.. तभी मुझे कुछ महसूस हुआ कि अनु की एक टांग मेरी जांघों और एक हाथ मेरी छाती पर था.. जिससे मुझे काफ़ी गरमाहट मिल रही थी।
मैंने उससे कुछ ना कहा और मैं सोता रहा.. उसकी गरमाहट से ना जाने कब मेरा लण्ड कड़क हो गया.. मालूम ही नहीं चला।
उसके बाद उसकी हरकतें बढ़ने लगीं, कभी उसका हाथ मेरी जांघों पर तो कभी गर्दन तो कभी सिर पर अपना नरम हाथ रखती।
मैं भी उसकी इन हरकतों का जबाव देने लगा।
उसने अचानक से उसने अपनी टांग को मेरे लण्ड के ऊपर रख दिया जिससे मेरे शरीर में बिजली की लहर सी दौड़ गई।
अब तो मेरा लण्ड अण्ङरवियर को फ़ाड़ कर आजाद होना चाहता था। मेरे अन्दर का शैतान जाग चुका था, जो कभी नहीं किया, उसे करने के लिए मेरा लण्ड बेताब हो उठा था।
अब मैं भी उसकी हरकतों पर जवाबी हमला बोलने लगा।
मैं भी कभी उसकी छाती.. जांघ तो कभी उसकी चूत पर हाथ घुमाता.. ऐसे करने से मुझको परम आनन्द की अनुभूति हो रही थी।
तभी उसने मुझे चुम्बन किया और मेरे लण्ड को पकड़ के दबा दिया।
मैंने भी उसके मम्मों को जोर से दबा दिया.. उसके मुँह से हल्की और मीठी सी सिसकारी निकल गई।
अब मैं अपने आपे से बाहर हो गया और मैंने रजाई को हम दोनों से अलग कर दिया।
मैं उसके गुलाब जैसे होंठों का रसपान करने लगा तथा ऊपर से ही उसके उरोजों को मसलने लगा और वो भी मेरा पूरा साथ देने लगी।
हम दोनों ही वासना की आग में सुलग रहे थे.. मैंने उसकी टी-शर्ट को अलग कर दिया। वो सिर्फ़ पीले रंग की ब्रा में पड़ी थी। उसने भी मेरी टी-शर्ट उतार दी और दोनों करीबन 5 मिनट तक एक-दूसरे के होंठों का रसपान करते रहे।
कुछ ही पलों के बाद वो मेरे लण्ड को ऊपर से सहला रही थी और मैं उसकी चूत और गाण्ड को सहला रहा था।
मैंने उसके लोवर को उसकी मरमरी टाँगों से अलग कर दिया.. अब वो मेरे सामने सिर्फ़ पीली ब्रा और पैन्टी में थी।
काले.. घने एवम् लम्बे बाल.. नशीली नीली आँखें.. मेरे लण्ड के सुपारे जैसे रसीले भरे हुए होंठ.. इस बेजोड़ नगीने के जैसी वो एक परी लग रही थी।
अब मैंने अपना पजामा और बनियान उतार दी और उसकी ब्रा से उसके टेनिस की बॉल के आकार के उरोजों को आजादी दे दी।
उसके हल्के गुलाबी चूचों को मसल-मसलकर मैंने एकदम से लाल कर दिया था।
वो धीरे धीरे ‘आह्ह्ह.. ह्ह्ह.. होहोहो..’ की सिसकारियाँ लेने लगी।
मैंने उसके शरीर को ऊपर से नीचे तक चूमा.. और उसकी पैन्टी को उसके तन से अलग कर दिया।
मैंने पहली बार किसी जवान लौंडिया की चूत के दीदार किए थे। मेरे सामने छोटे-छोटे रोएंदार.. गुलाब के पंखुड़ी जैसी गुलाबी.. एकदम कोरी चूत.. मेरे सामने थी।
मैंने उस पर हल्का सा चुम्बन लिया और उस जरा से छेद में उंगली की.. तो उसने पानी छोड़ दिया।
मैंने उस नमकीन पानी का स्वाद चखा तो.. मुझे वो नमकीन पानी कुछ अलग सा लगा.. पर अच्छा लगा।
अब उसने मेरे अण्डरवियर को उतार दिया और वो मेरे 7″ लम्बे और 3″ मोटे हथियार से खेलने लग गई.. एवं उसे लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी।
दोस्तो.. मैं आप सभी से उसके फ़िगर के बारे में तो बताना ही भूल गया। उसका फ़िगर किसी हॉलीवुड की हीरोइन की तरह.. 34-28-34 का था।
मैं उसकी चूत के दाने को उंगली से मसलने लगा.. जिससे वो और गर्म हो गई, अब वो मेरे लण्ड को चूत में लेने के लिए तैयार थी। मैं उसकी चूत की दरार पर अपने सुपारे को रगड़ने लगा और मैंने एक हल्का सा धक्का लगाया।
लेकिन लण्ड अन्दर जाने की बजाय बाहर को फिसल गया।
फिर मैंने उसकी चूत पर और अपने लण्ड पर थूक लगाया और दरार में फंसा कर लौड़े में एक जोरदार धक्का मारा.. जिससे मेरे सुपारे का आगे का भाग चूत में अन्दर चला गया।
इसी के साथ हम दोनों के मुँह से हल्की दर्द भरी ‘आह’ निकल पड़ी।
मैं कुछ पल रुका और फिर मैंने दूसरा झटका लगाया और इस बार मेरा लण्ड तकरीबन 5″ अन्दर चला गया और उसके मुँह से दर्द भरी ‘आह्ह्ह्ह्ह..’ निकलने लगी।
मैं कुछ पल के लिए ठहर सा गया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
फिर मैंने तीसरा और आखिरी धक्का मारा और मेरा लण्ड उसकी चूत को चीरते हुए उसके गर्भाशय तक पहुँच गया और उसके मुँह से एक चीख और आँखों से आँसू की धारा बहने लगी।
वो रोते हुए कहने लगी- अपने पेनिस (लण्ड) को बाहर निकालो.. नहीं तो मैं मर जाऊँगी।
मैं उसे सांत्वना देने लगा.. उसे चूमने लगा और समझाने लगा- पहली बार में तो थोड़ा दर्द होता ही है।
हम दोनों 5 मिनट तक इसी अवस्था में पड़े रहे.. जब हम दोनों को थोड़ी राहत मिल गई तो मैंने हल्के-हल्के धक्के लगाने शुरू किए.. दो मिनट बाद ही मैंने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी.. जिससे उसे भी मजे आने लगे और वो भी गाण्ड उठा-उठाकर मेरा साथ देने लगी।
मैंने 2 मिनट बाद उसे डॉगी स्टाइल में चोदना शुरू किया और 18-20 धक्के लगाने के बाद वो बोली- आशु.. आह्ह.. मेरी चूत में कुछ कुछ हो रहा है.. और तेज करो आह्ह..
बस 5-6 धक्कों के बाद मैं और वो दोनों एक साथ झड़ गए और मैंने अपना सारा का सारा वीर्य उसकी चूत में ही डाल दिया और हम दोनों निढाल होकर गिर गए.. हम दोनों बुरी तरह थक गए थे।
मैंने घड़ी की तरफ़ देखा तो 3.30 बज चुके थे और थकान के कारण हम दोनों एक-दूसरे की बाँहों में ही सो गए। मेरी सुबह 9 बजे आँख खुली तो देखा कि चादर पर खून फ़ैला हुआ था और मेरी आँखों के सामने अनु कॉफ़ी लेकर बैठी थी और मन्द मन्द मुस्कुरा रही थी।
हम दोनों ने साथ-साथ कॉफ़ी पी और फ़्रेश होकर के दोनों साथ-साथ नहाने गए.. इस बार मैंने उसकी गाण्ड मारी।
तो दोस्तो, इस तरह मैंने उन 3 दिनों में अपनी जिंदगी के सबसे हसीन पल बिताए और 13 बार हमने अलग-अलग आसनों में चुदाई का आनन्द लिया।
तो दोस्तो, यह थी.. मेरे मेरे जीवन की पहली.. प्यारी.. और सच्ची दास्तान। मैंने कोई अश्लील शब्दों का प्रयोग किया हो या कोई त्रुटि रह गई हो तो माफ़ी चाहता हूँ।
हमारे पेपर खतम होने के बाद गर्मी की छुट्टियों में अनु के घर उसके मामा की लड़की 2 महीने के लिए रहने आई थी तो अनु ने उसे मुझसे कैसे चुदवाया वो अगली कहानी में फ़िर कभी लिखूंगा।
साथियों मुझे अपनी राय या कोई सुझाव हो तो मेल के जरिए जरूर भेजें।
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