पंजाबी चूत की कहानी में पढ़ें कि मैं अपने गाँव की एक कुंवारी लड़की को चोद चुका था. मैं उसे दोबारा चोदना चाहता था पर मौक़ा नहीं मिल रहा था.
दोस्तो, कैसे हो आप सब!
मैं आपका अपना गुरु राय.
मेरी पहली कहानियों को आपने बहुत प्यार दिया.
काफी लंबे समय से आपके रूबरू नहीं हो पाया, इसके लिए माफी चाहता हूं.
असल में इन दिनों काफी बिजी था. इस दौरान कुछ नयी कहानियां भी बनी.
लेकिन आज मैं आपको सरनी की दूसरी बार की चुदाई के बारे में बताऊँगा.
मेरी पिछली कहानी
चंडीगढ़ में देसी अनचुदी फुद्दी चोदी
से आगे की यह पंजाबी चूत की कहानी है.
सरनी के बारे में मैं आपको पहले ही बता चुका हूं. वह छोटे से कद की बहुत ही सेक्सी पंजाबन लड़की है मेरे गाँव की.
जब चंडीगढ़ में मैंने उसकी फुद्दी का स्वाद चखा तो बहुत दिल कर रहा था कि एक बार फिर उसकी फुद्दी में अपना लन डालूँ.
लेकिन मौका नहीं मिल रहा था.
मुझे कई बार सरनी मिली लेकिन हर बार वो मुझे मना कर देती थी.
एक दिन मैं किसी काम से सरनी के घर गया.
पूरा परिवार घर पर ही था मगर सरनी दिखाई नहीं दी.
मैंने सब को नमस्ते बोला और बैठ गया.
सरनी के पापा से अपने काम की बात करके मैं वहाँ से जाने लगा तो सरनी की माँ ने मुझे आवाज दी.
मैं रुक गया.
उन्होंने मुझे वापिस बुलाया और पूछा- शाम को कितने बजे फ्री होते हो?
मैं कुछ समझा नहीं तो उन्होंने बोला- सरनी का कुछ काम है स्टडी का. उसको बहुत मुश्किल हो रही है. अगर तुम्हारे पास समय हो तो उसकी सहायता कर दो.
मैं बोला- अगले दिन के लिए मैं फ्री हूं. सरनी को मेरे घर भेज देना.
उन्होंने मुझे थैंक्स बोला और मैं वापिस घर आ गया.
अभी तक तो मेरे दिल में कोई ख्याल नहीं आया.
इतने में मेरे चाचा जी जो गाँव में ही थोड़ी दूरी पर रहते हैं, वो आ गए.
चाचा जी ने बोला कि कल उनको कहीं जाना है तो मुझे उनके घर पर रहने को बोला.
मैंने बोला- ठीक है.
तभी मेरे दिमाग में सरनी की फुद्दी लेने का आइडिया आया.
मैंने सरनी को फोन किया के कल चाचा के घर आ जाना, मैं वही मिलूंगा.
अगले दिन मैं सुबह ही नहा लिया और अपने लन पर से सारे बालों को अच्छे से साफ़ कर लिया.
मैंने सुबह अपने घर बोल दिया कि मैं चाचा जी के घर स्टडी करने जा रहा हूं. कोई मुझे आ कर डिस्टर्ब ना करे.
फिर मैं अपने चाचा के घर चला गया.
बड़ी बेसब्री से मैं सरनी का इंतजार करने लगा.
लेकिन सरनी थी कि आ ही नहीं रही थी.
मैंने खाना भी नहीं खाया था.
करीब 2 बजे किसी ने गेट खटखटाया.
मैंने जाकर दरवाजा खोला तो सामने सरनी थी.
उसने लाल रंग का सलवार सूट पहना था और सफेद रंग का दुपट्टा ले रखा था.
दिल तो किया कि वहीं पर उसकी टांगें उठा दूँ.
फिर मैंने खुद को कंट्रोल किया.
सरनी के अंदर आने के बाद मैंने फिर से गेट बंद कर दिया.
अन्दर जा कर सरनी सोफे पर बैठ गई और अपनी किताबें टेबल पर रख दी.
मैं भी उसके साथ ही सटकर बैठ गया.
मैंने उसको अच्छे से देखा … क़यामत लग रही थी वो!
तब मैंने उसकी पीठ पर हाथ फेरा.
वो इधर उधर देख कर बोली- कोई आ जाएगा.
मैंने उसे बताया- घर में कोई नहीं है हम दोनों के अलावा!
वो बोली- फिर मैं जाती हूं.
मैंने कहा- ऐसे तो नहीं जाने दूँगा.
तभी मैंने उसे उठा कर बेड पर पटक दिया और खुद उसके उपर आ गया.
उसने थोड़ी नाराजगी दिखाई और उठने लगी.
मैंने भी झूठ मूठ रूठने का नाटक किया और उठ कर सोफ़े पर आ गया.
मैंने उसकी किताब उठाई और पूछा- बोलो क्या काम है?
वो मेरे बगल में आ कर बैठ गई. वो मेरी तरफ देखे जा रही थी लेकिन मैं उसे इग्नोर कर रहा था.
फिर उसने मेरे हाथ से किताब छीन ली.
मेरा हाथ अपने हाथों में ले कर बोली- एक तो तुम्हें गुस्सा बड़ी जल्दी आता है. मैं खुद कितने दिनों से इस दिन का इंतजार कर रही थी. ये तो मैं ऐसे ही तंग कर रही थी.
मैंने भी कहा- अगर तुम सच में भी जाना चाहो तो ऐसे नहीं जाने दूँगा. तेरी फुद्दी के दर्शन किए बगैर नहीं जाने देता तुझे!
तब मैंने एक हाथ उसकी कमर पर रखा और उसे अपनी तरफ खींचा. दूसरा हाथ उसके सर पर रखा और उसके चेहरे को अपने चेहरे के पास ले आया.
वो उठ कर मेरे उपर बैठ गई और अपनी दोनों टांगों को मेरी कमर पर लपेट लिया.
अब उसकी फुद्दी मेरे लन के ऊपर आ गई थी और उसके मम्में मेरे मुंह के सामने.
मैंने दोनों हाथ उसकी कमर में डाल दिए और अपने करीब ले आया.
वो मेरे बालों में हाथ फिराने लगी.
मैंने उसकी कमीज को ऊपर करके निकाल दिया.
उसने भी अपनी बांहों को उपर कर दिया ताकि कमीज आसानी से निकल सके.
सरनी ने ब्रा नहीं पहनी थी.
उसके 32 के मम्मे मेरे सामने थे.
मैंने एक चूची अपने मुँह में ली और दूसरी को हाथ से मसलने लगा.
सरनी ने मेरी टीशर्ट उतार दी.
अब उसका पेट मेरी छाती के साथ छू रहा था.
गोरी गोरी नंगी सरनी मुझसे चिपकी हुई थी.
मैं उसकी कूल्हों को दबा रहा था.
सरनी ने मुझे लिप किस करना शुरू कर दिया.
मैं भी उसके लिप्स को शिद्दत से चूस रहा था.
सरनी के होंठ वैसे तो पहले ही पिंक थे. मेरे चूसने के बाद वो लाल हो रहे थे.
उसके मम्मे की निप्पल टाइट हो रही थीं. वो मेरे लन की तरह तनी हुई थीं.
मैंने वैसे ही उठ कर सरनी को सोफा पर पीठ के बल लिटा दिया.
उसकी टांगें अब भी मेरी कमर पर थीं.
मैंने उसको चूमना चालू किया.
मैं उसके होंठों से होता हुआ मम्मों से होता हुआ पेट और नाभि को चूमने लगा.
जैसे जैसे मैं नीचे जा रहा था, वैसे वैसे मेरे दिल में सरनी की गुलाबी फुद्दी को देखने की लालसा बढ़ती जा रही थी.
धीरे-धीरे नीचे जाकर मैंने सरनी की सलवार का नाड़ा अपने दांतों से खोल दिया.
फिर मैंने उसकी सलवार को निकाल दिया.
जब मैंने उसकी टांगों को खोला … वाह क्या दृश्य था.
सरनी की फुद्दी पर छोटे छोटे बाल थे और फुद्दी के दोनों होंठ थोड़े से गीले थे और दोनों जुड़े हुए थे.
मैंने उंगली से थोड़ा छुआ तो सरनी तड़प उठी.
फिर मैंने धीरे से फुद्दी के फांको को अपनी जीभ से छुआ तो सरनी ने मेरे सर को दबाना शुरू कर दिया.
मेरे दोनों हाथों में सरनी के मम्मे थे और मुँह में सरनी की फुद्दी.
सरनी तो इतने में ही कामुक आवाज़ें निकालने लगी थी.
मैंने करीब 10 मिनट तक फुद्दी को जी भरकर चूसा और मम्मे मसले.
10 मिनट के बाद सरनी झड़ गई.
उसने मेरे मुँह को अपनी फुद्दी पर ज़ोर से दबा लिया.
फिर मैं उठा और अपना मुँह धोया साथ में सरनी की फुद्दी को भी कपड़े से साफ़ किया.
उसके बाद मैंने अपनी पेंट और अंडरवियर निकाल दिया.
सरनी ने मेरे लन को बड़े प्यार से अपने कोमल हाथों में लिया.
वो मेरे लन से खेलने लगी, मेरे लन को हाथ से हिलाते हुए बोली- उस रात तो शर्म के मारे लन देख ही नहीं पायी अच्छे से!
मैंने पूछा- आज मुँह में लोगी क्या?
वो मेरी तरफ देख कर मुस्कराई और लन को अपने मुँह में डाल लिया.
लेकिन पहली बार उसने मुँह में लिया था तो पूरा तजुर्बा नहीं था.
जैसे जैसे मैंने बोला, वो वैसे वैसे करने लगी.
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.
फिर मैंने उसे सोफ़े पर ही लिटा दिया और खुद उसके ऊपर आ गया.
जब मैं उसकी दोनों टांगों के बीच में आया तो उसने मेरा लन पकड़ कर अपनी फुद्दी पर सेट कर लिया.
मैं बैठा हुआ था और वो लेटी हुई थी.
मैंने अपने लन पर थूक लगाया और उसकी गोरी फुद्दी में डालने लगा.
2-3 धक्के के बाद मेरा पूरा लन अंदर चला गया क्योंकि मैंने सरनी की फुद्दी पर बहुत सारा थूक लगा दिया था.
अब मेरे दोनों हाथ सरनी के स्तनों पर थे और मैं बैठे बैठे उसको घस्से मार रहा था.
जैसे जैसे मेरा लन अंदर बाहर हो रहा था वैसे वैसे मुझे आनंद आ रहा था और सरनी नीचे पड़ी बहुत कामुक आवाजें निकाल रही थी.
करीब 10 मिनट तक ज़बरदस्त चुदाई के बाद मैंने सरनी को घोड़ी बनाया और फिर से शुरू हो गया.
15 मिनट के मस्त सेशन के बाद मेरा छूटने को हुआ.
मैंने सरनी को पूछा तो अभी उसका समय नहीं हुआ.
फिर मैंने 5 मिनट का और समय लिया. फिर घस्से मारते मारते मैंने उसकी फुद्दी का दाना भी सहलाना जारी रखा.
तब सरनी की बॉडी अकड़ने लगी. उसका पानी निकलते ही मैंने भी कुछ तेज शॉट मारे और सारा पानी सरनी की फुद्दी में छोड़ दिया.
सरनी वैसे ही उल्टी लेट गई और मैं उसके ऊपर ही लेट गया.
थोड़ी ही देर में मेरा लन अपने आप धीरे-धीरे बाहर आ गया.
कुछ देर ऐसे ही पड़े रहने के बाद हम दोनों ने कपड़े पहने.
मैंने सरनी को अपनी गोद में बिठा कर अच्छे से चूसा.
वो मेरी गोद में आगे की तरफ मुँह कर के बैठी हुई थी. पीछे से मैं उसकी गर्दन और पीठ पर किस कर रहा था.
मेरे दोनों हाथ सामने से उसके मुम्मो को मसल रहे थे.
अब मेरा लन जब उसकी फुद्दी और बुन्ड पर लग रहा था तो वो कैसे शांत रहता.
लंन ने अपना फन उठाना शुरू किया जिसे सरनी भी महसूस कर रही थी.
मैंने सरनी से उसकी मर्ज़ी पूछी तो वो बोली- 2 महीने में मेरी शादी होने वाली है. फिर पता नहीं क्या होगा. इस लिए आज का दिन जो तुम्हें ठीक लगे वही कर लो.
इतना कहते ही वो रोने लगी.
मैंने उसको अपनी तरफ घुमाया और गले लगा लिया.
उसे मैंने हौंसला दिया, बड़े प्यार से समझाया. उसके आंसू पौंछे, बहुत सारा प्यार दिया.
मैंने उसको बोला- शादी के बाद भी अगर तुझे किसी भी तरह की मेरी जरूरत हो तो मैं उसके लिए हमेशा तैयार हूं.
वो रोती हुई बोली- मैं तुम्हें कभी भूल नहीं पाऊँगी.
मैंने भी सेम टू यू बोला.
वो चुप हुई.
उसने बोला- मुझसे प्रॉमिस करो कि मेरा पहला बच्चा तुम्हीं से होगा.
मैंने कहा- मैं प्रॉमिस तो नहीं कर सकता लेकिन अपनी तरफ से हर सम्भव कोशिश करूंगा.
मुझे गले लगा कर उसने मुझे बहुत सारी किस की. वो मेरे गले में बाहे डाल कर किस करती जा रही थी.
मेरे चेहरे को अपने हाथों में लेकर सरनी बोली- आज तुम्हें जो चाहिए, जैसे चाहिए, मैं वैसे करने को तैयार हूं. आज मैं तुम्हें खुश देखना चाहती हूं.
मैंने भी उसे बोला- तुम सच बताओ कि तुम्हारा दिल कर रहा है सेक्स करने को या नहीं?
वो बोली- मेरा दिल नहीं कर रहा अभी … लेकिन अगर तुम चाहो तो तुम्हारा हर तरह से साथ दूंगी.
मैंने उसे कहा- अब हम तभी सेक्स करेंगे जब तुम्हें बच्चा चाहिए होगा.
सरनी को आज तक मैंने सिर्फ एक सेक्स डॉल की तरह देखा था.
आज पहली बार लग रहा था कि उसके अंदर भी इतना प्यार है.
शायद पहली बार मैं आज उसकी फीलिंग्स को समझ पा रहा था.
आज सरनी मुझे बहुत प्यारी लग रही थी. दिल कर रहा था कि उससे शादी कर लूं.
लेकिन इतनी हिम्मत न तो मुझमें थी और ना ही सरनी में!
फिर सरनी जाने को तैयार हुई. फिर जल्दी मिलने का वायदा कर के सरनी जाने लगी.
वो उठ कर खड़ी हो गई. मैंने फिर से उसे गले लगाया. उसने भी मुझे कस के जफ्फी डाल ली.
मुझे चूमती हुई उसने एक एक कागज़ दिया और बोली- मेरे जाने के बाद इसे पढ़ लेना.
फिर से हम दोनों ने एक दूसरे को किस किया और वो चली गई.
कागज में क्या लिखा था, वो मैं आपको अगली कहानी में बताऊँगा.
दोस्तो, कैसी लगी मेरी ये कहानी?
सच में ये कहानी सच्ची घटना है. बस कुछ मसाला लगाया है ताकि लड़कों का लन खड़ा हो जाए और लड़कियों फुद्दी गीली हो जाए.
इस पंजाबी चूत की कहानी पर अपने कमेंट्स जरूर देना.
अगली बार मैं एक नयी कहानी के साथ आऊंगा. मैंने अपनी मौसी की लड़की को कैसे पटाया और कैसे उसे चोदा. आप अपने कमेंट्स मेरी मेल पर भी दे सकते हैं.
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धन्यवाद.