पड़ोसन को स्कूटी सिखा कर चोदा-1

दोस्तो! मेरा नाम राज शर्मा है. मेरा कद 5’8″ है. मेरे लंड का साइज़ 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा है.
यह रियल सेक्स स्टोरी कुछ समय पहले की है. उस वक्त मेरी उम्र 30 साल थी. उन दिनों, मैं चंडीगढ़ की एक सोसाइटी में रहता था तथा एक एमएनसी में एग्जीक्यूटिव की पोस्ट पर था.

एक रोज मैं अपनी कार से घर जा रहा था तो सड़क के किनारे एक महिला को ऑटो वाले से बातें करता देखा, वह ऑटो में बैठी नहीं और ऑटो चला गया. मैंने ध्यान से देखा तो लगा कि यह लेडी तो मेरी सोसाईटी की ही रहने वाली है.

मैंने उसके पास जाकर गाड़ी रोकी और कहा- आप गाड़ी में आ जाईये.
वह भी शायद मुझे पहचान गई थी, पहले तो वह थोड़ा झिझकी परन्तु जब मैंने साथ वाला दरवाजा खोला तो वह बैठ गई.

उसे मैं अक्सर सोसाईटी में बड़े टाइट कपड़ों में सुबह सैर करते हुए देखता था. वह गजब की सुन्दर, छोटे कद की, बड़ी और खड़ी चूचियों वाली लेडी थी. सैर करते वक्त उसकी बड़ी गांड और मस्त चूचियाँ सबका ध्यान अपनी और आकर्षित करती थी.

वह लगभग 37-38 साल की गोरी चिट्टी, सुन्दर और सेक्सी औरत थी. परंतु उसकी उम्र 27-28 से अधिक नहीं लगती थी. उसका फिगर 38-34-36 होगा. जब भी सैर करते वक्त मैं उसके पीछे चलता था तो अक्सर मेरा लंड खड़ा हो जाता था और मैं सोचता था कि उससे किसी तरह बात शुरू करूँ और उसकी चूत मारने को मिल जाए तो जिंदगी सफल हो जाए.

आज जब वो मेरी कार में बैठी तो मैंने पूछा- आप तो हमारी सोसाईटी में ही रहती हैं.
उसने कहा- मैं आपको जानती हूँ, आप सैर करते हुए दिखते हैं.
मैंने पूछा- आप कहाँ से आ रही थीं?
तो उसने बताया कि आज डोसा खाने का मन था, परंतु आज वह शॉप बंद थी, अतः घर जा रही थी.

मैंने कहा- बुरा न मानो तो हम किसी अच्छे रेस्टोरेंट में डोसा खा लेते हैं.
उसने झिझकते हुए कहा- कोई बात नहीं, मैं घर जाकर खाना बना लूँगी.
जब मैंने पूछा कि क्या वो घर पर अकेली रहती हैं तो उसने बताया कि उसकी एक बेटी है जो 12 वीं क्लास में पढ़ती है. आज वह एक सहेली के घर गई है, और वहीं खाकर आएगी. उसके पति नॉर्वे में सर्विस करते हैं और साल में 8-10 दिन के लिए आते हैं. वे 3 साल के लिए गए हैं, और अभी एक साल हुआ है.

मैंने गाड़ी एक बड़े साउथ इंडियन रेस्टोरेन्ट के आगे रोक दी और उसको उतरने को कहा. वह चुपचाप उतर कर मेरे पीछे अंदर आ गई. मैं समझ गया था कि बात बन सकती है. हम एक कार्नर में बैठ गए और मैंने दो डोसे आर्डर किये और उससे पहले कुछ स्टार्टर का आर्डर किया. मेरे पूछने पर उसने बताया कि उसके पास गाड़ी है और स्कूटी है, परंतु चलाना नहीं आता.

मैंने कहा- मैं आपको गाड़ी चलाना सीखा दूंगा.
तो वह बोली- गाड़ी से मुझे डर लगता है, आपके पास टाइम हो तो मुझे स्कूटी सीखा दें.
मैंने कहा- ठीक है, कल से शुरू करते हैं.

उसने अपना नाम सुमन बताया और हम दोनों ने अपने मोबाइल नंबर एक दूसरे को दे दिए थे.
हमने डोसा खाया, वह पैसे देने लगी तो मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और खुद पेमेंट कर दी.

हम दोनों कार से वापिस सोसाईटी के पास आये तो उसने थोड़ी दूरी पर ही कहा, मुझे थोड़ा पीछे ही उतार दें.
मैं समझ गया, मैंने गाड़ी रोक दी, उसने उतरते हुए कहा, मुझे आपका साथ अच्छा लगा, थैंक्स.

स्कूटी सिखाने का प्रोग्राम हमने अगले दिन सांय पांच बजे का, सोसाईटी से दूर एक खाली पड़ी जगह का बना लिया था. वहाँ किसी बिल्डर ने बहुत सारे प्लाट काट कर सड़कें बना रखी थी. प्रोग्राम के मुताबिक वह मुझे अपनी स्कूटी की चाबी दे देगी और मैं उसकी स्कूटी ले कर सोसाईटी से बाहर आ जाऊंगा और उसको बैठा कर खाली प्लॉट्स में ले जाऊंगा.

मैं रात भर उसके बारे में सोचता रहा. मुझे पूरा भरोसा था कि कल मेरा लंड उसकी चूत के अंदर होगा. यह सोच कर मैंने हाथ से अपना पानी निकाल लिया.

सुबह सैर पर वह मिली, हमारी आँखों ने एक दूसरे को सहमति दी. उसने स्कूटी की चाबी मुझे पकड़ा दी और स्कूटी का कलर और नंबर बता दिया. वह मेरे ब्लाक से दो ब्लाक छोड़ कर पीछे रहती थी. मैंने उससे कहा कि वह लूज़ कपड़े नहीं पहन कर आये.

मैं ऑफिस से चार बजे ही आ गया था, सांय के 5 बजे मैं स्कूटी की चाबी लेकर उसके ब्लाक के नीचे, स्कूटी के पास पहुंचा ही था कि वह लिफ्ट से बाहर आती हुई दिखाई दी.
उसने इशारा किया और निकल गई. मैं भी स्कूटी लेकर सोसाइटी से बाहर आ गया. दो तीन मिनट बाद वह भी आ गई और स्कूटी पर बैठ गई.

उसने गजब के सुन्दर टाइट कपड़े पहन रखे थे. नीचे काले रंग की इलास्टिक वाली कैपरी और ऊपर लाल रंग का चिपका हुआ स्लीवलेस टॉप पहन रखा था. बहुत ही खुबूदार परफ्यूम लगा रखा था.

उसके शरीर का हर उभार कपड़ों में से साफ़ दिखाई दे रहा था. वह आकर स्कूटी पर मेरे पीछे बैठ गई और बोली- चलो.
मैं उसे उसी ख़ाली पड़ी कॉलोनी के प्लॉट्स में ले गया. रास्ते में वह मुझसे लगभग चिपक कर बैठी थी, परंतु मुझे कमर से पकड़ नहीं रखा था. उसके बदन की खुशबू ने मेरा लंड खड़ा कर दिया था.

मैंने स्कूटी को रोका और उसे आगे बैठने को कहा. वह आगे आ गई, मैं उसके पीछे बैठ गया. उसे साईकल चलना भी नहीं आता था.
मैंने कहा- सुमन, अब मुझे आपके हाथों के साथ साथ स्कूटर का हैंडल भी अपने हाथों से पकड़ना होगा, तो थोड़ा शरीर से शरीर टच होगा, आप बुरा तो नहीं मानोगी?
उसने कहा- आप आराम से बेझिझक हो कर बैठो, अब जब बैठने की जगह ही इतनी है तो क्या करें.

उसका उत्तर सुनते ही मेरा लंड मेरी पैंट को फाड़ने को हो गया. मैंने उसके पीछे से अपने हाथ आगे ले जा कर जैसे ही हैंडल पकड़ा, मेरी छाती उसकी कमर से लग गई. उसकी कमर गजब की नर्म और गर्म थी.
मैंने धीरे धीरे स्कूटी की रेस दी तो स्कूटी थोड़ा आगे बढ़ी. वह घबराने लगी और थोड़ा पीछे खिसक कर मेरी छाती से अच्छी तरह से चिपक गई.

मेरे हाथ उसके नर्म हाथों को पकड़े हुए थे. कुछ झटके लग रहे थे. ब्रेक और रेस के बारे में मैंने उसे समझा दिया था. वह कभी रेस तेज कर देती तो कभी अचानक ब्रेक लगा देती. इन झटकों से मैं बिल्कुल उसकी कमर से चिपक गया और मेरा लंड उसके चूतड़ों में चुभने लग गया था.
वह भी मजा लेने लगी.

लगभग 15-20 मिनट में हम दोनों एक दूसरे की गर्म सांसों को महसूस करने लगे. मैंने पेशाब करने के बहाने स्कूटी को रोक दिया और उसको बताया कि तुम स्कूटी पकड़ कर रखो.

मैंने पास के एक झाड़ के पास खड़ा हो कर पैन्ट में से अपना आठ इंच लंबा और तीन इंच मोटा तना हुआ लौड़ा निकाला और पेशाब करने लगा. लंड खड़ा होने की वजह से पेशाब जल्दी नहीं आ रहा था. वह तिरछी नजर से मेरे हथियार को देख रही थी. जब पेशाब आया तो उसकी धार बहुत दूर जा कर गिरी, जिससे वह मन ही मन मुस्कराई.
जैसे तैसे पेशाब करके और लगभग उसके सामने ही लौड़े को पैंट के अंदर डाल कर मैं फिर उसके पीछे बैठ गया.

मैंने उसे बताया- अब मैं केवल अपना एक हाथ ही हैंडल पर रखूँगा.
उसने कहा- मैं गिर जाऊँगी, दूसरे हाथ से मुझे पकड़ कर रखना.

मैंने एक हाथ से स्कूटी चलाना शुरू किया और दूसरे हाथ से उसका पेट पकड़ लिया. वह एकदम सिहर उठी, परंतु कुछ नहीं बोली.

थोड़ी देर बाद मैंने हाथ को ऊपर नीचे चलाना शुरू किया और हाथ उसके चूचों तक ले गया. कुछ कुछ अँधेरा होने लगा था. उसने एकदम ब्रेक लगाईं और खड़ी हो गई.
मैं घबरा गया, मैंने समझा वह बुरा मान गई.
मेरे पूछने पर बोली- पहले एक काम अच्छे से कर लो, बाद में दूसरा करना.

ये सुनते ही मैंने स्कूटी पे उसके पीछे बैठे बैठे उसे अपनी जफ्फी में ले लिया और उसके गालों और कान पर किस करने लगा, साथ ही उसके टॉप के अंदर हाथ डाल कर उसके मम्मों को मसलने लगा.
उसने ब्रा नहीं पहनी थी, वह बहुत देर से गर्म हुई हुई थी, अतः मेरा साथ देने लगी.

मैंने उसकी कैप्री में आगे से हाथ डाला, उसने इलास्टिक वाली कैप्री पहन रखी थी, उसने नीचे पैन्टी भी नहीं पहनी थी, वह पूरे चुदाई के मूड में आई थी.
मैंने उसकी चूत को अपनी मुट्ठी में भींच लिया. मेरे छूने से वह बेहाल हो गई थी, उसकी चूत पानी छोड़ चुकी थी, उसकी कैप्री आगे से बिल्कुल गीली हो गई थी. मैं उसकी जांघों पर हाथ फिराने लगा.

मैंने उसके पीछे बैठे बैठे उसकी कैप्री को उसके चूतड़ों से नीचे किया. वह थोड़ा ऊपर उठी तो मैंने उसे पीछे से नंगी करके उसकी कैप्री नीचे खिसका दी. उसके सुन्दर गोल गोल चूतड़ नंगे हो गए थे. मैंने अपना लंड निकाल कर सीट पर रख दिया और उसे उसके ऊपर बैठा दिया. वह मेरे लंड को चूतड़ों में दबा कर सीट पर बैठ गई. मैं उसकी जांघों को पकड़ कर उसे आगे पीछे करने लगा. सामने से कोई आता हुआ देख कर हमने अपने कपड़े ठीक कर लिये.

मैंने स्कूटर को खड़ा किया और पास ही एक अधूरे बने मकान के अंदर उसे ले गया.

अंदर जाते ही वह मुझ से लिपट गई. हम एक दूसरे के होंठ चूसने लगे और शरीर के अंगों को नोचने लग गए. मैंने उसकी चूची, चूतड़ और चूत को मसल मसल कर बेहाल कर दिया. कुछ देर बाद उसका हाथ मेरी पैंट की ज़िप पर पहुंचा और ज़िप खोल कर बड़ी मुश्किल से उसने मेरे लोहे की छड़ की तरह तने लंड को दोनों हाथों से खींच कर बाहर निकाला और बोली- हाय राम, इतना बड़ा लौड़ा!

मेरे लौड़े को वह दोनों हाथों से सहलाने मसलने लगी. उसने कहा कि उसके पति का लंड तो इससे आधा भी नहीं है, उसका तो बच्चों जैसा है और वह भी मौके पर खड़ा नहीं होता. अक्सर उसका पति उसकी चूत की आग को अपनी उंगली से ही शांत करता है.
वह लौड़े को आगे पीछे करने लगी.

मैंने भी उसका टॉप उसकी चूचियों से ऊपर उठा दिया और कैप्री को नीचे घुटनों तक खींच दिया. वह कभी मेरे लौड़े को अपनी चूची पर लगाती तो कभी गाल पर मसलने लगती.

अब उसकी चूची और चूत नंगी थी, उसने अपनी टांगों को थोड़ा खोलने की कोशिश की और मेरे फनफनाते लंड को अपनी चूत पर खड़े खड़े अड़ा लिया. मैंने उसकी चूत के छेद को हाथ से टटोल कर देखा तो पाया कि वह बहुत ही तंग और छोटा था. वह बेहताशा मेरे लंड को अपने हाथ से पकड़ कर चूत पर मसल रही थी. मैंने उसके मम्मे चूसने शुरू कर दिए और एक हाथ से उसकी गांड सहलानी शुरू कर दी. वह पूर्ण रूप से उत्तेजित हो गई.

मैं उसकी चूत में अपनी उंगली डालने लगा तो वह एकदम बिगड़ कर बोली- ये क्या कर रहे हो? यही तो मेरा हस्बैंड करता है, चूत में लौड़ा डालो.
मैंने कहा- हम घर चलते हैं.
परंतु वह कहने लगी- घर तक तो मेरी जान ही निकल जायेगी और फिर वहां मेरी बेटी भी आ गई होगी. घर पर कल करेंगें, आज…. यहीं और अभी चोदो.

चूंकि हम खड़े थे, अतः मैंने थोड़ा नीचे हो कर पोजीशन बनाई, परंतु कैप्री टांगों में होने के कारण टांगें चौड़ी नहीं हो सकती थी इसलिए लंड चूत के अंदर नहीं घुस सका. मैंने उसे लंड को मुंह में लेने को कहा तो कहने लगी- राज, मैं तुम्हें हर तरह का मजा दूँगी, परंतु प्लीज आज सबसे पहले तुम मेरी इस सुलगती चूत को ठण्डा करो. इसमें अपना लौड़ा डाल कर मुझे चोदो.

उसकी बात सुनकर मैं समझ गया कि ये आज तक अच्छे तरीके से चुदी ही नहीं है. मैं उसका हाथ पकड़ कर उस निर्माणधीन मकान की तीसरी मंजिल पर ले गया. वहां देखा तो जमींन पर एक कमरे के फर्श पर एक गद्दा बिछा था, जिस पर शायद दिन में मकान मालिक आराम करता था.
हमारे मन की मुराद पूरी हो गई.
मैंने उसके दोनों कपड़े निकाल कर उसे बिल्कुल नंगी कर दिया और खुद भी पैंट और अंडरवियर निकाल दिया. उस वक्त हमें किसी के आने की परवाह नहीं थी.
अँधेरा हो चुका था.

वह गद्दे पर टाँगें फैला कर लेट गई और मुझे बोली- मुझे जोर से चोदो, मैं आज तक ढंग से नहीं चुदी हूँ.
मैं उसकी चूत अँधेरा होने के कारण ठीक से देख नहीं पा रहा था, मैंने कहा- ठीक है, परंतु मेरे लंड को एक बार मुँह में ले कर चिकना तो करो ताकि आराम से अंदर जा सके.
उसने झट से मेरे लंड को मुँह में लिया, उसको अपने थूक से लबेड़ा और बोली- डालो.

मैं उसकी टांगों के बीच आ गया और लंड को उसकी चूत पर रगड़ कर देखा, चूत का छेद काफी टाइट था, मैंने लंड डालने की कोशिश की, लंड और चूत पर और थूक लगाया और लंड को उसकी चूत की पत्तियों के बीच लगाकर जोर डाला तो लंड चूत को फाड़ता हुआ अंदर जाने लगा. उसने दर्द से अपने दोनों हाथ मेरी छाती पर अड़ा दिए.

मैंने जोर लगा कर आधा लंड उसकी चूत में फंसा दिया, वह दर्द से कराह उठी, उसने कहा- बहुत मोटा है, धीरे करो. मेरे पति का तो पता ही नहीं लगता कब अंदर गया और कब बाहर आया.
मैंने थोड़ा लंड को पीछे किया और एक झटका जोर से मार कर पूरा लंड अंदर घुसेड़ दिया.
वह चिल्ला पड़ी.
मैंने उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए और ज़ोर से चूसना शुरू कर दिया.

उसने थोड़ी लम्बी साँस ली और बोली- बिल्कुल जान ही निकाल दी थी, मैंने तो कभी सोचा नहीं था कि कभी इतना बड़ा और मोटा लंड अंदर लूँगी.

मैंने धीरे धीरे चोदने की स्पीड बढ़ाई. उसने अपने दोनों घुटने अपनी छाती की और चौड़े करके मोड़ लिए ताकि मेरा लंड अधिक से अधिक अंदर जा सके. मैंने उसकी चूत में झटके मारने शुरू किये, हर झटके पर वह आह.. उह…. उम्म्ह… अहह… हय… याह… हाँ… चोदो… जरा तेज… जोर से… आई… मार दिया…राजा… पहले कहाँ थे, आदि बोलती रही.

चूँकि मैं उसकी चूत अँधेरे की वजह से देख नहीं पा रहा था, परंतु चूत इतनी चिकनी और टाइट थी कि ऐसा लग रहा था जैसे लंड किसी भट्ठी में डाल रखा हो.

कुछ ही झटकों के बाद वह झड़ गई. उसने अपना शरीर ढीला छोड़ दिया और पांव सीधे कर लिए, चूत पानी छोड़ चुकी थी. मैंने हैंकी से चूत और लंड को पौंछा और उसकी टांगों को दोबारा अपने कन्धों पर रख कर घमासान चुदाई करने लगा. बिल्डिंग में फचा फच की आवाजें आने लगी. मैं पूरा जोर लगा कर उसे चोद रहा था.

उसकी चूत तीन बार पानी छोड़ चुकी थी, उसने कहा- अब तुम अपना कर लो, बाकी कल दिन में कर लेना.
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और 20-25 जोर दार धक्के लगाने के बाद उसकी चूत में मेरा लंड पिचकारियाँ मारने लगा. लगभग 10-12 पिचकारियों के बाद मैंने जैसे ही लंड बाहर निकाला वैसे ही नीचे किसी के आने की आवाज सुनाई दी.

हमने फटाफट अपने कपड़े पहने और नीचे आ गए. वहाँ एक मजदूर था, जिसे हम जाते देख रहे थे.

जल्दी में उसने चूत को साफ़ नहीं किया और मेरे लंड का माल उसकी चूत से नीचे बहने लगा. मेरे वीर्य ने उसकी कैप्री को जांघों के पास से गीला करते हुए उसकी टांगों तक को गीला कर दिया.
उसके चेहरे पर संतुष्टि के भाव थे. उसने मुझे फिर बाँहों में भर लिया.

फिर मैंने उसे पीछे बैठाया और सोसाईटी में आ गए. उसे बाहर ही उतार दिया और मैंने स्कूटी को नीचे खड़ा कर दिया.

हमने अगले दिन शनिवार को सुबह 11.30 पर उसके घर पर दुबारा मिलने का प्रोग्राम बनाया और मैं अपने कमरे पर आ गया.
रियल सेक्स स्टोरी जारी रहेगी.