जीजू ने आधी रात में छत पर चोदा

नमस्कार दोस्तो, कैसे हैं आप सब? काफी दिन के बाद मैं अपनी नई चुदाई की कहानी लेकर आई हूँ, मजा लें!

आप सबने मेरी पिछली कहानी
पड़ोस वाला जीजा साली सेक्स के लिए बेचैन
पढ़ी होगी. आज की मेरी यह कहानी उसी कहानी के आगे की है.

तो नीलेश जीजू से चुदने के बाद जब मैं घर आई तो बार बार आज की चुदाई के नजारे मेरी आँखों के सामने आ रहे थे, जीजू द्वारा की गई चुदाई को मैं भूल नहीं पा रही थी उस चुदाई के बाद एक दो बार ओर जीजू ने मेरी चुदाई की पर अब बार बार जीजू ऑफिस से छुट्टी नहीं ले सकते थे इस लिए अब मेरी चूत की पूरी चुदाई नहीं हो पा रही थी. मुझे अपनी चूत चुदवाने की तलब सी लगी रहती थी लेकिन कोई लंड मेरी चूत को मिल नहीं रहा था.

फिर एक दिन रात के करीब 12:30 बजे जीजू का मुझे फ़ोन आया, मुझे थोड़ा अजीब लगा कि जीजू इतनी रात में मुझे फ़ोन क्यों कर रहे हैं. जब मैंने फ़ोन उठाया तो जीजू ने कहा- रोमा, क्या कर रही हो? क्या तुम अपने घर की छत पर आ सकती हो?
मैंने उनसे पूछा- क्यों जीजू, क्या हुआ? आप मुझे इतनी रात में छत पर बुला रहे हो, सब ठीक तो है ना?
उन्होंने कहा- रोमा, सब ठीक है, तुम छत पर आओ तुम्हारी बहुत याद आ रही है. पायल की आज नाईट शिफ्ट है तो वो हॉस्पिटल चली गई है मुझे तुम्हें देखना है, तुम छत पर आओ.

मैंने कहा- ठीक है जीजू, मैं बस अभी आती हूँ.
मैं चुदाई के लिए बेचैन थी लेकिन छत पर चुदाई की कोई संभावना ही नहीं थी फिर भी मैं चली गई ऊपर छत पर… मैं जैसे ही छत पर गई और छत का दरवाजा खोला तो जीजू मेरे सामने मेरी घर की छत पर ही खड़े थे और हल्की हल्की बारिश के छीटे पड़ रहे थे.
मैंने उन्हें देख कर कहा- जीजू, आप यहाँ मेरे घर की छत पर कैसे आये?
तो उन्होंने बताया कि उन्होंने मेरे घर की बिल्डिंग ओर उनके घर की बिल्डिंग के बीच में लकड़ी के दो फट्टों को लगा दिया है जिससे एक ब्रिज बन गया.

क्योंकि इन दोनों बिल्डिंग के बीच में मुश्किल से 3′ की ही जगह थी जिस पर लकड़ी के ये फट्टे लगाने से एक ब्रिज बन गया था.
फिर जीजू ने कहा- देखो न रोमा, मौसम कितना सुहाना हो रहा है, बारिश के भी हल्के हल्के छींटे आ रहे हैं क्या इस मौसम में तुम्हारा चुदाई करने का मन नहीं कर रहा?
मैंने कहा- जीजू, कर तो बहुत रहा है पर करेंगे कहाँ?
तो जीजू ने कहा- यहीं छत पर मैं तेरी चूत चोदूंगा… रोमा आ जाओ न मेरी बाँहों में!
कह कर जीजू ने मुझे अपनी बाँहों में ले लिया और मुझे चूमने लगे.

मैंने अपने आप को उनकी बाहों से छुटवा कर कहा- क्या पागल हो गए हो जीजू आप? इस तरह खुले में चुदाई करोगे मेरी? कोई देख लेगा तो? मुझे डर लग रहा है.
उन्होंने कहा- रोमा, रात का 1 बज रहा है और बारिश भी आ रही है, इस टाइम कौन अपने घर के बाहर छत पर आयेगा. यहाँ तो बस तुम और मैं ही हैं और आस पास भी तुम देख लो, दूर दूर तक कोई नहीं दिखेगा.

मैंने अपनी नजरें घुमा कर देखा तो सब तरफ शांति थी, कोई भी दिख नहीं रहा था.
जीजू ने फिर से मुझे अपनी बाँहों में ले लिया और फिर चूमने लगे. मैंने फिर से उन्हें अपने से अलग किया तो उन्होंने कहा- क्या हुआ मेरी साली जी? चुदवाने का मन नहीं है क्या?
मैंने कहा- जीजू, चुदवाने का तो मन बहुत है पर मुझे डर लग रहा है इस तरह छत पर खुले में और नीचे घर में भी सब हैं, कोई आ गया तो?
जीजू ने कहा- इतनी रात को कौन आयेगा, मेरी डार्लिंग आ जाओ न मेरी बाहों में!
मैंने कहा- रुको जीजू, मैं पहले नीचे घर में देख कर आती हूँ कि सब सो गए या नहीं.

मैं नीचे आई तो देखा कि सब सो रहे थे, मम्मी पापा का रूम ग्राउंड फ्लोर पर था, मेरा रूम फर्स्ट फ्लोर पर और मेरी चुदाई होनी थी ऊपर छत पर तो मैं सब कुछ देख कर फिर छत पर गई और छत के दरवाजे को बंद कर दिया.

मैंने मुड़ कर जीजू की तरफ देखा तो जीजू सिर्फ अंडरवीयर में थे, वे अपने कपड़े उतार चुके थे, जीजू मेरी तरफ आये और उन्होंने मुझे खींच कर अपनी बांहों में ले लिया.
जीजू को अपने जिस्म से खेलते हुए पाकर मेरी साँस तेज हो गयी, जीजू ने अपने होंठ मेरे होंठ से चिपका दिए, हम एक दूसरे की जीभ को टटोल रहे थे।

फिर उन्होंने मेरे हाथ ऊपर करके मेरी टीशर्ट निकाल दी. जीजू ने मेरे चूचे मेरी ब्रा के ऊपर से ही दबाने शुरू कर दिए. मेरी पेंटी के अंदर उनका हाथ अब मेरी चूत तक पहुँच चुका था जो गीली हो चुकी थी।
मैं मेरे एक हाथ की उंगलियाँ उनके बालों में घुमा रही थी। मैं तो किसी और ही दुनिया में थी। मुझे इतना भी होश नहीं था कि कोई छत पर आ भी सकता है।

जीजा ने मेरी ब्रा उतार दी और मेरी गोरी सुडौल चूची उनके सामने थी, उनकी आँखें तो बस मेरी चूची को देखती ही रही. जीजू ने एक हाथ मेरी एक चूची पर रखा और दूसरी चूची पर अपने गर्म होंठ रख दिए. मेरे मुख से आनन्द भरी सिसकारी निकल गई.
मैं अपने होश पूरी तरह खो चुकी थी।

वो सिर्फ़ अंडरवीयर में थे और उनके लंड का सख़्त होना मुझे महसूस हो रहा था. मैं सिर्फ़ पेंटी में उनके सामने खड़ी थी। उनकी आँखों की चमक बता रही थी कि उन्होंने इससे अच्छा बदन कहीं नहीं देखा था।
अब वो मेरी पेंटी को उतारने लगे, मैं उनका साथ दे रही थी. उन्होंने मेरी पेंटी निकाल दी. एक जवान मर्द के सामने नंगी होने के ख्याल से ही मैं सिहर गई थी। अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था
वो मेरे पूरे बदन से खेल रहे थे जिस भी हिस्से में उनका मन करता अपने होंठों से चूमने चाटने लगते, कभी मेरा चेहरा, गाल, कभी चूचियाँ, कभी पेट, जांघें, चूतड़, कमर गर्दन, बगलें!

मैं पागल हुई जा रही थी… उफ क्या एहसास था. मैं बस उन की छाती में समा जाना चाह रही थी।

वो धीरे धीरे नीचे जाने लगे। अभी बारिश भी थोड़ी तेज होने लगी थी, मैंने जीजू से कहा- जीजू, बारिश तेज हो गई है, अब क्या करें?
तो उन्होंने कहा- मेरी जान, बारिश में ही तो चुदाई का असली मजा है, तुम तो बस अपनी चूत की चुदाई के मजे लो और मुझे चोदने दो.

मुझे भी खूब मजा आ रहा था, बारिश में चूत चुदवाने का ये एक अलग ही मजा था.

अब जीजू ने मुझे वहीं लिटा दिया. जैसे जैसे वो मुझे चूमते हुए पेट और नाभि और चूत तक आये, मेरी हल्की सी चीख निकल गयी। मैं अपने होश में नहीं थी, बस अब मुझे उनका गर्म और टाइट लंड अपनी चूत में चाहिए था। अरे उस वक्त तो उनका लंड क्या, किसी का भी लंड होता तो मैं चुद लेती.

अब जीजू मेरी चूत को चाट रहे थे, मैं बस पागल हो रही थी। थोड़ी देर चूत चाटने के बाद वो उठे और अपनी अंडरवीयर उतार दी और मेरे होंठों पर अपने लंड को टिका दिया, जीजू का लंड था तो इसके लिए मेरा मुँह अपने आप ही खुल गया। मैं जीजू का लंड चूस रही थी और जीजू की सिसकारी निकल रही थी। मैं पागलों की तरह जीजू के लंड को चूसने लगी इतना बड़ा और मोटा लंड चूसने में बहुत मजा आ रहा था, आज मुझे पता नहीं क्या हो रहा था।

मैं उनके टट्टों को चाटने लगी, वो भी पागल से हो रहे थे. अब वो उठे और मुझे नीचे लेटा कर मेरे ऊपर आ गये और मेरी चूत पर अपना लंड टिकाकर रगड़ना शुरू कर दिया।
मैं भी कामुकता के आवेश में हो रही थी, मैंने उनके चूतड़ पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिए तो उनका लंड मेरी गीली चूत में समा गया और जीजू झटके मारने लगे. मैं उनके चूतड़ अपनी तरफ खींचे जा रही थी, वो ज़ोर ज़ोर से मुझे चोद रहे थे, मैं तो सातवें आसमान में थी।
आज तक उन्होंने मुझ जैसा माल नहीं चोदा होगा इसलिए वो ज़ोर से झटके मार रहे थे, मेरी चूत की गर्मी से उनसे रहा नहीं गया, वो अपने चूतड़ हिला हिला कर मुझे चोदे जा रहे थे और फिर उनके लंड से पिचकारी निकली और मेरी चूत की दीवारों को अपने लंड की निशानी से भिगोने लगे में भी झड़ चुकी थी। वो मुझ पर निढाल हो कर गिर पड़े; फिर वो साइड में आँख बंद कर लेट गए
हम दोनों छत पर बारिश में ऐसे ही लेटे हुए थे, दोनों बुरी तरह थक चुके थे; कुछ देर हम दोनों ऐसे लेटे रहे, फिर मैं उठी और अपने कपड़े उठा कर नीचे जाने लगी तो जीजू ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोले- इतनी भी क्या जल्दी है जाने की मेरी जान? अभी यो चुदाई शुरू हुई है, आज तो पूरी रात चुदाई चलेगी!
मैंने कहा- जीजू अब मुझे जाने दो, मैं थक चुकी हूं और ठंड भी लग रही है.
तो उन्होंने कहा- तुम्हारी ठंड का इलाज तो में अभी कर देता हूं.

इतना कह कर उन्होंने मुझे फिर से अपनी बाहों में लेकर यहाँ वहाँ चूमने लगे और कहा- क्यों मेरी जान, कुछ ठंड कम हुई?
मैंने अपना सिर हाँ में हिला दिया.

अब मैंने और जीजू ने 69 पोजीशन बनाई, वो मेरी चूत को चाट रहे थे और मैं उनके लंड को चूस रही थी. बाप रे वो लंड इतना मोटा था कि मुश्किल से मेरे मुख में फिट हो रहा था. मेरे दोनों गाल फूल जाते थे जब मैं उस लंड को मुँह में लेती थी.

और फिर जीजू ने मेरी चाट चाट के सच में खा ली. वो अपने दांतों से भी मेरी चूत को खुजा रहे थे और चूत के दाने को उनके बीच में दबा रहे थे. मैं तो जैसे पागल हो रही थी इस मस्त सेक्सी अदाओं की वजह से और मेरे मुख से जोर जोर की सिसकारियाँ निकल रही थी.

जीजू ने अब मेरी चूत में अपनी एक उंगली डाली और उसे आगे पीछे करने लगे, फिर वो बोले- अब तो मैं रुक नहीं सकता हूँ मेरी जान!
इतना कह कर वो मेरे ऊपर आ गए और एक हाथ से पकड़ के अपने लंड को मेरी चूत में घुसा दिया. उन्होंने मुझे किस किया क्यूंकि उन्हें भी पता था कि मैं उनके बड़े लौड़े को बिना दर्द के नहीं ले सकती हूँ.
उन्होंने मुझे किस करते हुए पहले तो लंड को ऊपर ऊपर से ही घिसा, जब चूत एकदम गीली हो गई तो उन्होंने धक्का दे दिया और मेरी गीली चूत के अन्दर उनका लंड आराम से फिसल गया.

मैं कराह उठी लेकिन अब लंड अन्दर हो गया था इसलिए मुझे भी सुकून सा हुआ था. जीजू के लंड के धक्के अब मेरी चूत में लगने लगे थे और मैं अपनी कमर को हिला हिला के उनका लेने लगी थी.
और फिर तो बाकी सब वही था जो हर चुदाई में होता है, कभी सीधे सीधे तो कभी उलट पुलट के मुझे भी चोदा गया.
चुदाई के बाद हम इतने थक चुके थे कि वहीं सो गए.

सुबह करीब 5 बजे मेरी नींद खुली तो मैंने जीजू को भी जगाया और उन्हें जाने के लिए बोली.
वो चले गए और मैं नीचे अपने रूम में आ गई.
तो दोस्तो, मेरी आज की कहानी यहाँ पूरी होती है, उम्मीद करती हूँ कि आपको पसंद आई होगी. आप अपनी राय मुझे बताइएगा जरूर!

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