बस स्टॉप पर एक भाभी से दोस्ती और प्यार- 5

हॉट भाभी रोमांस सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि दोस्ती के बाद रोमांस और उसके बाद चुदाई एक सेक्सी भाभी की. मैंने उसकी चूत को पूरा मजा लेकर चोदा.

हैलो फ्रेंड्स, आप मेरी सेक्स कहानी में स्वीटी की चुदाई का मजा ले रहे थे.
हॉट भाभी रोमांस सेक्स स्टोरी के पिछले भाग
सेक्सी भाभी के साथ चूत चुदाई की शुरुआत
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैं स्वीटी की चुत में लंड पेलने लगा था.

अब आगे हॉट भाभी रोमांस सेक्स स्टोरी:

शायद उसने काफी समय बाद लंड अन्दर लिया था इसलिए इतना गीला होने के बाद भी उसकी चूत कुंवारी चूत की तरह एकदम टाइट थी.

अभी मेरे लंड का टोपा ही अन्दर गया होगा कि मैं उसके चेहरे पर दर्द को देख कर कुछ रुकने लगा था.

मैं बैठ गया और वो भी मेरी गोद में बैठ गई थी. मेरा लंड एक इंच उसकी चूत में था, जिसे वो धीमे धीमे अपनी कमर हिला कर और अन्दर लेने की कोशिश कर रही थी.

लंड जितना अन्दर जाता, उसके चेहरे पर दर्द बढ़ता दिखने लगता.

मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए.
मेरा एक हाथ उसके बालों में और एक हाथ उसकी कमर पर ऐसे लिपटा था, जैसे कोई सांप चन्दन से लिपटा हो.

मैंने उसकी कमर को कसके पकड़ अपनी कमर को आगे धकेला, मेरा लंड उसकी चूत की दीवारों में सरकता हुआ आगे बढ़ गया.

हमारे होंठों से होंठ मिले थे, तो वो चाह कर भी कुछ कह ना सकी.

इस वक्त हम दोनों बैठ हुए थे.
मैं उसे अपनी गोद में लिए हुए था और हम दोनों धीरे धीरे अपनी कमर को हिलाते चुदाई का आनन्द ले रहे थे.

मेरा आधा लंड उसकी चूत में जा चुका था.
मैं मुँह से उसके कान की लौ को चूस रहा था और एक हाथ से उसके चूचे को मसल कर उसकी उत्तेजना को बढ़ाने में लगा था.

उसके चेहरे पर दर्द की रेखाएं मुझे साफ़ बता रही थीं कि इससे लंड झेलना मुश्किल हो रहा है.

मैंने उसके कान के पास मुँह से अपनी सरसराती हुई आवाज में कहा- जान, क्या तुम तैयार हो?

यह मेरा पहला शब्द था, जो हमने चुदाई के दौरान कहा या सुना था.

उसने बिना कुछ कहे खुद को पलंग पर लिटाने का इशारा किया.
मैंने उसे अपनी गोद से उसे बिस्तर पर लेट जाने दिया.

उसने लंड न निकलने देने की कोशिश में मुझे अपने ऊपर ले लिया.

हम दोनों मिशनरी पोजीशन में दोनों के बदन एक दूसरे को रगड़ने लगे थे.

उसकी दोनों टांगें मेरे कंधों पर थीं और मैं धीरे धीरे अपना लंड अन्दर ठेल रहा था.
जितना लंड अन्दर जा चुका था, फिलहाल मैं उसी को आगे पीछे करके उसके चेहरे पर आते जाते भावों को समझ रहा था.

कुछ देर बाद वो खुश सी दिखने लगी थी.
अब उसकी सांसें गर्म सिसकारियों में बदल चुकी थीं.

मैं लंड लगाए हुए रुका था और वो अपनी चूत उठा उठा कर मेरे लंड को और अन्दर लेने की कोशिश कर रही थी.

उसने मेरे चूतड़ों पर अपने हाथ रखे और दबाव बना अपनी चूत टांगों को फैला कर मुझे और अन्दर जाने के लिए रास्ता दे दी.

उसकी आंखें बंद देख कर मैंने समझ लिया कि अब अवसर आ गया है.
उसका चेहरा मुझे हवस में नहीं, प्यार में डूब जाने के लिए अपना बना रहा था.

मैंने अपने लंड को दबाना शुरू किया.
वो एक बार फिर से दर्द से कराहने लगी.

मैंने एक हाथ से उसके एक चूची को पकड़ा और दूसरी को मुँह में भरा.
वो तड़प रही थी मगर चूत उठा कर मेरे लंड का स्वागत कर रही थी.

मैंने भी धीमे धीमे से अपना पूरा लंड उसकी चूत में पेल दिया और जोर देकर उसे जड़ तक उसकी बच्चेदानी तक छुला दिया.
वो एकदम से सिहर उठी.

उसकी कसमसाहट देख कर मैं वहीं रुका रहा.
एक तो मेरा वजन उसके ऊपर था और उसकी काफी दिनों बाद की चुदाई की वजह से टाइट चूत में मेरा मोटा मूसल लंड फंसा हुआ था.

उसकी आंखों से आंसू आ गए.

मैंने पूछा- दर्द ज्यादा हो रहा है क्या?
उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ रखे और चूसने लगी.

अब मेरी बारी थी.
मैंने अपना लंड धीमे धीमे बाहर निकाला और अन्दर डालना शुरू कर दिया.

अब तक जो सब धीमे धीमे म्यूजिक बज रहा … उसको मैंने धीरे धीरे स्पीड बढ़ाते हुए उसकी चूत में कोहराम मचा दिया.

वो भी लंड लील कर मजा लेने लगी थी और कमर उठा उठा कर मेरा साथ दे रही थी.

अब मैंने पूरा लंड अन्दर डाल कर चोदना शुरू कर दिया था.
चुदाई की फच फच की आवाज़ों ने पूरे कमरे को अपने संगीत में डुबो दिया था.

अब मैंने उसके दोनों हाथ पकड़ कर खींच कर उसे अपने ऊपर ले लिया.
मैं खुद पलंग पर लेट गया और उसे लंड के ऊपर ले लिया. मेरा पूरा लंड उसकी चूत में था. उसकी नाभि के नीचे मैं अपने लंड का उभार देख पा रहा था.

उसने अपनी कमर को हिलाते हुए मेरे ऊपर चुम्बनों की बौछार शुरू कर दी उसके हर धक्के के साथ चुम्बन में उसके दांतों की कसावट का अहसास बढ़ता जा रहा था.

वो बैचेन होकर कभी मेरी गर्दन पर काटती, तो कभी होंठों को.
उसकी कमर लगातार मेरे लंड पर अपना वार कर रही थी.

ऐसा लग रहा था कि आज उसकी चूत की दीवारें मेरे लंड को छील देंगी.

वो जोरों से मेरा लंड अपनी चूत में ले रही थी और हर झटके पर उसके लटकते चुच्चे मेरे सीने पर रगड़ रहे थे.

उसके निप्पलों की रगड़ मुझे पागल कर रही थी.
मैं इस बीच कभी कभी उन निप्पलों को अपने मुँह में लेकर चूस लेता, मेरे तालू और जीभ के बीच जब जब मैं उसके एक निप्पल को दबा कर खींचता, तो उसके चेहरे पर मस्ती दिखने लगती.
वो चुदाई की इस हर क्रिया को मन भरके जी रही थी.

अब उसने अपने दोनों हाथ मेरे सीने पर रख दिए और अपनी कमर की स्पीड बढ़ा दी थी.
कभी वो अपनी चूत को गोल गोल घुमाती, तो कभी लंड की चटनी सी पीसने लगती, तो कभी बस कमर को ऊपर नीचे करती, कभी पूरे शरीर से पूरे शरीर को रगड़ कर मालिश सी करने लगती.

उसके चूचों से मेरे बदन का घिसना मुझे बहुत मस्त लग रहा था.
वो जोर जोर से अपनी चूत में मेरे लंड को अन्दर बाहर करने लगी.
उसका हर धक्का अब बलशाली हो गया था.

मेरे लंड की जड़ उसकी चूत से निकलने वाले रस से गीला हो रहा था. मेरे लंड की नसें फूल कर जैसे फटने को हो रही थीं.

उसकी सांसें उसका साथ नहीं दे रही थीं. वो अपने ही हाथ अपने सर के बालों में डाले हुए बाल सहलाते हुए मस्त उछल रही थी.

साथ ही स्वीटी अपने ही होंठों को चबाती हुई अपनी कमर को लंड पर चलाती हुई चुत रगड़ रही थी.

अचानक से उसके चेहरे पर पूर्ण होने के भाव आने लगे और उसकी स्पीड दुगनी हो गई, उसका शरीर अकड़ने लगा और साथ मेरे सीने पर जम गए.

मैंने उसे कस कर अपनी बांहों में भर लिया. वो फूट फूट कर बहने लगी थी.
उसकी चूत से निकलता पानी मेरे लंड को भिगोता हुआ बाहर निकलने लगा था.
चुत का रस मेरे आंडों को गीला करते हुए चादर तक को गीला करने लगा था.

वो कुछ देर ऐसे ही निढाल होकर मेरे ऊपर लेटी रही और अपनी चूत को मेरे लंड पर ऐसे रगड़ती रही मानो वो अपनी चूत की आखिरी बूँद भी मेरे लंड को पिला देना चाहती हो.

कुछ पल बाद वो थक कर मेरे ऊपर लेट कर बस मुझे देखती रही, मेरे सीने पर सर रख अपने हाथों से मेरे सीने को सहलाने लगी.

उसने मेरे सीने को चूमा, मेरी गर्दन को चूमा और हम दोनों एक दूसरे के होंठों के रसपान करने लगे.

फिर वो मेरे लंड से उतर कर बाजू में लेट गई और मेरे लंड को हाथ में लेकर सहलाने लगी.

मैं अभी बाकी था तो मैंने उसको सीधा लिटाया और उसकी टांगें फैला कर बीच में आकर बैठ गया.

अब तक वो मुझे ना केवल मन से बल्कि तन से भी अपना चुकी थी.
मैंने उसकी चूत में उंगली डाली.

उसकी चुत अब थोड़ा शुष्क हो गयी थी. शायद दो बार में उसने अपने दिल सारे अरमान पूरे कर लिए थे इसलिए चुत थोड़ा सूख गयी थी.

मैंने मेरे लंड को उसकी चुत पर रगड़ना शुरू किया तो कुछ ही मिनट में वासना का सुरूर उसकी आंखों में दिखने लगा.

वो अपनी चूत उठा कर मेरा साथ देने लगी.
मैंने उसके हाथ में लंड पकड़ाया और खुद अपने हाथों के सहारे उसके ऊपर छा गया.
मैं उसके होंठों को, गर्दन को चूसने लगा.

उसने मेरे लंड को हिलाते हिलाते अपनी चूत पर रगड़ना चालू कर दिया.
मुझे अहसास ही नहीं हुआ कि कब मेरा लंड चुत में घुस गया.

एक बार फिर से धकापेल चुदाई शुरू हो गई.
इस बार ऐसा लगा मानो नदी के बहाव में हम दोनों ही बहते जा रहे थे.

उसने चूत उठायी और मैंने मेरी कमर को चला कर कड़क हो चुका लंड उसकी चूत में जोर से पेल दिया.
मेरा लंड चुत की पुत्तियों को चीरता हुआ सीधा उसकी बच्चेदानी से जा टकराया.

उसकी आह निकल गई. शायद दर्द से वो सिहर गयी थी.
पर अब मैं नहीं रुका और जोर जोर से अपने फनफनाते हुए लंड के ताबड़तोड़ प्रहार करते हुए उसकी चूत को चोदने लगा.

मैं इतनी जोर से झटका मार रहा था कि मेरा लंड सीधा उसकी गर्भाशय की दीवार से जाकर टकरा रहा था.

पूरा लंड अन्दर पेल कर मैं कुछ पल रुकता और जब वो थोड़ा संभलती, तब वापस बाहर निकाल कर तुरंत धक्का मार देता.
मेरे हर धक्के पर उसकी जान मुँह में आ जाती.

हम दोनों एक दूसरे को चूसते सहलाते हुए अपनी चुदाई की रफ़्तार बढ़ाने लगे थे.
उसकी दोनों टांगें हवा में उठ कर मेरे लंड को अन्दर तक लीलने में सहायक हो रही थीं.

इस बार उसकी बड़बड़ाहट साफ़ सुनाई दे रही थी ‘आह विक्की अब बस करो ना … विक्की अब बस करो उई मां … आह्ह अह्ह ह्ह्ह सीईई ईई अह्ह्ह.’

मैं उसकी बंद आंखों और उठे हुए चेहरे को प्यार करते हुए कभी उसकी ठोड़ी को चूमता, कभी गर्दन को.

नीचे लंड की फचफच की आवाज़ों से मदहोश होता जा रहा था और उसको लगातार चोद रहा था.

कुछ ही देर में मेरा शरीर उसके शरीर को रगड़ने लगा था.
उसकी उखड़ती सांसों की आवाज के साथ साथ उसकी उतेजित करने वाली आवाजें भी आने लगी थीं ‘आह मेरी जान … मुझे और जोर से चोदो … आंह और जोर से करो.’

मेरी स्पीड बढ़ती ही जा रही थी.
अभी तक जो खेल धीमे धीमे चल रहा था मानो किसी जंग में बदल गया था.

वो मेरी कमर को ऐसे पकड़ कर अपनी ओर खींच रही थी मानो मुझे अपने में समा लेगी.

फिर उसकी सांसें टूटने लगीं. वो थक चुकी थी. वो अपना शरीर फिर से टाइट करने लगी.
मैं समझ गया था कि अब वो झड़ने वाली है.

इस बार मुझे भी उसके साथ ही पूरा होना था. मैं लगातार उसकी चूत में लंड पेलता रहा.

कुछ ही देर में वो झड़ चुकी थी और उसकी ‘करो और करो …’ की आवाज ‘अब बस करो …’ में बदल चुकी थी.

मैंने भी उसकी हालत देख अपने को सीमा पर पहुंचा दिया. उसको कसके बांहों में पकड़ अपना पूरा लंड उसकी चुत में पेल दिया. मेरा लंड फटते हुए उसकी चूत में ही खाली हो गया.

मैं निढाल होकर उसके ऊपर ही गिर गया.
हम दोनों काफी देर ऐसे ही एक दूसरे से चिपके पड़े रहे.

अचानक से मेरे फ़ोन की घंटी ने हमारी चेतना जगा दी.
मेरे ऑफिस से कॉल था मैंने कहा- मैं आज नहीं आऊंगा और फोन काट दिया.

फिर स्वीटी को कसके गले से लगा चूमने लगा और उससे लिपट कर लेट गया.

हम दोनों ऐसे ही काफी देर तक बिना बात किए लेटे रहे.
बस देखते समझते हुए जैसे पूरे हो गए हों.

उसने धीरे से कहा- मुझे घर जाना होगा, घर पर काम वाली आती होगी.
मैंने कहा- अभी तो तुम्हारे सामने मैंने छुट्टी ली है और तुम जाने की बोल रही हो. तुम्हारा तीन बार हुआ, मेरा तो एक बार ही हुआ है. मुझे भी दुबारा होना है.

उसने मुझे झट से दूर किया और कहा- पागल हो क्या … मेरा एक बार में शरीर का एक एक अंग दुखने लगा है. आज तो क्या … मुझे एक महीने तक आराम करना पड़ेगा. कितना स्टेमिना है कि एक बार और … हट पागल.

वो उठ कर हंसती हुई बाथरूम में चली गयी.
उसने हाथ मुँह धोए, कपड़े पहने और वो सच में जाने के लिए तैयार होने लगी.

मैंने पीछे से जाकर उसको बांहों में भरा और कहा- रुक जाओ ना.
उसने मुड़ कर मेरे चेहरे को हाथ में भरा और प्यारा सा किस करके कहा कि अभी जाने दो, कल वापस मिलेंगे.

मैंने कहा- कल तो मेरे वाइफ आ जाएगी.
वो चहकती हुई बोली कि मेरे हस्बैंड तो नहीं होंगे ना … मेरे घर आ जाना.

और वो खिलखिलाती हुई चली गयी.
मैं भी नहा कर थोड़ी देर सोया और उठ कर ऑफिस के लिए निकल गया.

इस पूरे दिन उसको कई बार हैलो लिखा मगर उसने मेरे किसी मैसेज का जवाब नहीं दिया.

लेट नाईट उसने लिखा कि इतना थका दिया था कि दिन भर सोती रही. बच्चों ने क्या किया, क्या खाया, कुछ पता नहीं है. अभी सोकर उठी हूँ. तुम अभी घर आ सकते हो, मुझे कुछ काम है.

मैं उसके घर गया तो उसने मुझे कसकर गले से लगाया और मेरी गर्दन पर जोर से किस करके थैंक्स कहा.

फिर डिनर परोस दिया.
खाने के बाद मैंने उसकी तरफ आशा की नजरों से देखा तो उसने हंसते हुए बाई कह दिया- अब जाओ, नहीं तो रात भर दोनों को जागना पड़ेगा.

मैं भी वहां से चला आया.

उसके बाद भी हमने कई बार चुदाई मजा लिया.
फिर उसके पति का कानपुर ट्रांसफर हो गया.

हम आज भी फ़ोन पर अच्छे दोस्त हैं. एक दूसरे से अपना सुख दुःख बताते हैं. इस उम्मीद में कि कभी वो गुजरात आयी या मैं कानपुर गया, तो वापस एक दूसरे के शरीर की प्यास बुझाएंगे.

भले हमारी पहली चुदाई के बाद कई बार चुदाई हो चुकी है, पर उस दिन का अहसास आज भी मेरे लंड को खड़ा कर देता है.

दोस्तो … आशा है आपको मेरी ये पहली हॉट भाभी रोमांस सेक्स स्टोरी पसंद आयी होगी. अच्छी लगी हो, तो प्लीज़ मेल और कमेंट जरूर करना.
आप लोगो के मेल इंतजार में हूँ … आपका प्यार मिला तो मैं अपनी दूसरी गरम सेक्स कहानी भी लेकर जल्दी आऊंगा.
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