दोस्त की मम्मी की चुत की प्यास बुझाई

हेलो फ्रेंड्स, मेरा नाम सम्राट है, मेरी उम्र 24 साल है. यह मेरी पहली कहानी है, यह कहानी मेरी और मेरे दोस्त की मम्मी की है.
दोस्तो, मैं आपको बता दूँ कि चोदने का असली मजा तो शादीशुदा औरतों को चोदने में ही है क्योंकि उनका शरीर और मम्मे पूरे भरे जाते हैं.

मैं कॉमर्स का छात्र हूँ और कॉलेज हॉस्टल में रहता हूँ जो दूसरे शहर में है. मेरा दोस्त अंकित भी बाहर ही पढ़ता है और दूसरे शहर में रहता है. हमारी छुट्टियाँ लगभग एक साथ ही होती हैं. मैं छुट्टियों में अक्सर उसके घर जाया करता हूँ.
अंकित के घर में उसके दो भाई हैं, जो स्कूल में पढ़ते हैं, उसके पापा डॉक्टर हैं और उसकी मम्मी अनु हाउसवाईफ है. अनु आंटी के बारे में क्या बताऊँ… 40 की उम्र है पर आज भी 30 की लगती है, उसका फिगर साईज 34-28-36 उसके मम्मे मानो सांचे में ढाल कर बनाये गये हों, एकदम गोल गोल और बड़े कि एक हाथ में तो समाये ही ना. उसकी गांड ऐसी थी है कि पीछे से देख कर किसी का भी खड़ा हो जाये. एकदम गोरा बदन, पूरा भरा हुआ एकदम सेक्स बॉम्ब लगती है.

आंटी घर में अक्सर सलवार-कुर्ता पहनती है और ब्रा नहीं पहनती. मैं अक्सर उसकी गांड और चूची को घूरता था. पर वो मेरे दोस्त की मम्मी थी इसलिए मेरे मन में कभी गलत इरादा नहीं आया.

एक दिन शाम को मैं अपने दोस्त के घर गया, दरवाजा उसकी मम्मी ने खोला और मैं उसे देखते ही दंग रह गया. उसने लगभग पारदर्शी लाल रंग का कुर्ता पहना था और ब्रा भी नहीं पहनी थी. उसके निप्पल साफ दिख रहे थे. मेरा 6″ का लंड खड़ा होने लगा. मैं उसकी चूची को घूरता ही रह गया.
आंटी भी मुझे देख मुस्कुरा दी, शायद उसने भी मेरी कामना को समझ लिया था.

उस दिन के बाद से मेरा नजरिया उसके लिये बदल गया. उस रात मैंने तीन बार उसके नाम की मुठ मारी. तब से मैं जब भी उसके घर जाता, उसकी चूची को घूर कर देखता था. वो भी जानबूझ कर अपना क्लीवेज मुझे दिखाती. कभी झाड़ू लगाने के बहाने मेरे पास आकर झुकती और मुझे उसका क्लीवेज साफ दिखाई देता.
कभी बाल धोने के बहाने कुर्ती को गीली कर के मुझे अपनी चूची के दर्शन कराती थी.

मैं अब दिन-रात आंटी ही चोदने के सपने देखता कि किसी तरह अगर मुझे मिल जाये तो मसल के रख दूँ.

एक दिन दोपहर को मैं उसके घर गया… आंटी ने गेट खोला. उसने सफेद रंग का कुर्ता और पंजाबी स्टाईल का सलवार पहनी थी, शायद आज ब्रा भी पहनी हुई थी. उसके बाल खुले हुये थे. कसम से क्या माल लग रही थी वो, एकदम माधुरी दिक्षित जैसी!
मुझे देखते ही मुस्कुराई और मुझे अंदर बुलाया.

घर में कोई नहीं था, मेरा दोस्त कुछ काम के सिलसिले में पास के एक शहर में गया था. अंकल हॉस्पीटल और दोनों बच्चे स्कूल गये थे.
मैं- आंटी, अंकित घर में नहीं है तो मैं चलता हूँ. जब वो आ जायेगा तो आ जाऊँगा.
अनु आंटी- अरे कभी आंटी से भी मिलने आया करो! रुक जा, तेरे लिये जूस लाती हूँ.

यह सुन कर मैं बैठ गया. आंटी मेरे लिये जूस लेकर आई. जैसे ही वो ग्लास टेबल पर रखने के लिये झुकी तो उसके लो-कट कुर्ते से उसकी चूची बाहर झलक पड़ी. मैं देखते ही पागल हो गया. क्या चूची थे… एकदम दूध जैसी और बड़ी बड़ी… क्लीवेज तो मानो कोई घाटी हो!
मैं आंटी की चूची देखता ही रह गया.

आंटी थोड़ी मुस्कुराई और बोली- क्या देख रहे हो?
मैं- कुछ तो नहीं!
और मैं जूस पीने लगा.

अनु आंटी मेरे पास आकर मुझसे सट कर बैठ गई- हमेशा अंकित से ही मिलने आते हो क्या? मैं तुम्हें अच्छी नहीं लगती?
मैं- नहीं आंटी, ऐसी कोई बात नहीं है… अच्छे तो लगते ही हो आप!
आंटी- फिर क्या बात है… अच्छी लगती हूँ तो मिलने नहीं आ सकते?
यह कहते हुये वो मेरे जांघ पर हाथ फिराने लगी.

मैंने कहा- अच्छा, ठीक है आंटी, आज ऐसा मान लो कि मैं आप से ही मिलने आया हूँ.
मैंने भी अपना हाथ उसके पीछे से उसके कंधे पर रख दिया और अपनी तरफ थोड़ा दबा दिया. आंटी अपना हाथ फेरते-फेरते मेरे लंड (जो एकदम खड़ा हो चुका था) के ऊपर लाई और वापिस नीचे ले गई. वो अपनी बड़ी-बड़ी आँखों से मेरी तरफ देखने लगी.

मुझे और बर्दाश्त नहीं हुआ और मैंने अपने होंठ उसके होंठों पे रख दिये और जोर जोर से किस करने लगा. उसने भी पूरा सहयोग दिया और मुझे बांहों में भर लिया. मैं उसे पागलों की तरह किस किये जा रहा था. तब मेरा एक हाथ उसकी चूची पर आ गया था, एकदम नरम और ऐसी कि हथेली में समा ही नहीं रही थी.
मैं एक हाथ से उसकी एक चूची दबा रहा था. उसके मुख से हल्की हल्की आहहह निकल रही थी.

मैं आंटी के गले पर किस करते हुये नीचे आया और कुर्ते के ऊपर से ही उसकी बाईं चूची चूसने लगा और दूसरी वाली हाथ से दबा रहा था.
आंटी मदहोश हो रही थी, उसके हाथ मेरे सर पर थे.

फिर मैंने उसका कुर्ता उतार दिया. जैसे ही मैंने उसका कुर्ता उतारा, अंदर का नजारा देख कर मैं पूरी तरह पागल हो गया. ब्रा में उसकी चूची कयामत लग रही थी. ब्रा सिर्फ मुश्किल से आधी चूची को ढक रही थी.
वो नजारा देखते ही मैं उन पर टूट पड़ा. मैंने उसकी ब्रा भी जल्दी से उतार दी और पागल की तरह उसकी चूची चूसने लगा.
वो बस आहहह… ओहहह…हम्मम की आवाजें निकाल रही थी.
15 मिनट तक उसकी चूची चूसने के बाद मैं उसके पूरे शरीर पर किस करने लगा… लिप्स पर, गाल पर और गर्दन पर… उसके निप्पल भी चूस रहा था.

उसकी सलवार का नाड़ा खोल कर उतारने के बाद वो सिर्फ पैंटी में थी. मैं पैंटी के ऊपर किस करने लगा.
थोड़ी देर के बाद मैंने उसकी चड्डी उतार दी, अब उसकी फूली हुई चूत सामने थी, आंटी की चुत पूरी साफ थी. पहली बार मैं ऐसी चुत देख रहा था. जैसे ही मैंने उसकी चुत को छुआ तो उसके मुख से हल्की से आहहह ससस… की आवाज निकल पड़ी.

अब हम दोनों 69 अवस्था में आ गये. मैं आंटी की चुत चुत को चाट रहा था और बीच-बीच में चुत में उंगली भी कर रहा था. आंटी भी बड़े मजे से मेरा लंड चूस रही थी.
मैं उसकी गांड पर भी किस कर रहा था.
5 मिनट तक चूसने के बाद उसका पानी निकल गया.

फिर वो बोली- अब तड़पाओ मत मेरे राजा, मेरी प्यास बुझा दे. आज के बाद ये आंटी की चुत सिर्फ तम्हारी ही है.
यह सुन कर मैं जोश में आ गया. मैं खड़ा हो गया और उसे बेड पर लेटा दिया. आंटी की चुत चुत गीली हो चुकी थी इसलिये पहले झटके में मेरा लंड आधा अंदर चला गया. वो थोड़ा सा चिल्लाई पर थोड़े झटके के बाद वो शांत हो गई और वो मेरा साथ देने लगी.

मैं पूरी ताकत से आंटी की चुत चोद रहा था, मैं झटके मार रहा था और थोड़ी देर बाद मेरा पानी निकलने वाला था तो आंटी की चुत में ही पानी छोड़ दिया.

उस दोपहर हमने दो बार चुदाई की.

अब जब भी आंटी की चुत को चुदाई की तलब होती है, वो मुझे याद कर लेती है.
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